सुबह से ही अनिलजी ने पूरे घर को सिर पर उठा रखा था, ‘‘अभी घर की पूरी सफाई नहीं हुई. फूलदान में ताजे फूल नहीं सजाए गए, मेहमानों के नाश्तेखाने की पूरी व्यवस्था नहीं हुई. कब होगा सब?’’ कहते हुए वे झुंझलाए फिर रहे थे. अनिलजी की बेटी श्रेया को इतने बड़े खानदान के लोग देखने आ रहे थे. लड़का सौफ्टवेयर इंजीनियर था. बहन कालेज में लैक्चरर और पिता शहर के जानेमाने बिजनैसमैन. अनिलजी सोच रहे थे कि यहां रिश्ता हो ही जाना चाहिए. अनिलजी आर्थिक रूप से संपन्न थे. सरकारी विभाग में ऊंचे पद पर कार्यरत थे. शहर में निजी फ्लैट और 2 दुकानें भी थीं. पत्नी अध्यापिका थीं. बेटा श्रेयांश इंटरमीडिएट के बाद मैडिकल की तैयारी कर रहा था और श्रेया का बैंक में चयन हो गया था. फिर भी लड़के के पिता विष्णुकांत के सामने उन की हैसियत कम थी. विष्णुकांत के पास 2 फैक्ट्रियां, 1 प्रैस और 1 फौर्महाउस था, जिस से उन्हें लाखों की आमदनी थी. इसी कारण से उन के स्वागतसत्कार को ले कर अनिलजी काफी गंभीर थे.

दोपहर 1 बजे कार का हौर्न सुनाई दिया तो अनिलजी तुरंत पत्नी के साथ अगवानी के लिए बाहर भागे. थोड़ी ही देर में ड्राइंगरूम में विष्णुकांत अपनी पत्नी और बेटी के साथ पधारे, परंतु श्रेया जिसे देखना चाहती थी, वह कहीं नजर नहीं आ रहा था. तभी जोरजोर से हंसता, कान पर स्मार्टफोन लगाए एक स्टाइलिश युवक अंदर आया. लंबे बाल, बांहों पर टैटू, स्लीवलैस टीशर्ट और महंगी जींस पहने वह युवक अंदर आते ही अनिलजी व उन की पत्नी को हैलो कह कर सोफे पर बैठ गया.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

गृहशोभा सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • 2000+ फूड रेसिपीज
  • 6000+ कहानियां
  • 2000+ ब्यूटी, फैशन टिप्स
गृहशोभा इवेंट्स में इन्विटेशन

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें

गृहशोभा सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • 24 प्रिंट मैगजीन
  • 2000+ फूड रेसिपीज
  • 6000+ कहानियां
  • 2000+ ब्यूटी, फैशन टिप्स
गृहशोभा इवेंट्स में इन्विटेशन
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...