‘‘किस का फोन था, पापा?’’

‘‘लाली की मम्मी का. उन्होंने कहा कि किसी वजह से तेरा और लाली का रिश्ता नहीं हो पाएगा.’’

‘‘रिश्ता नहीं हो पाएगा? यह क्या मजाक है? मैं और लाली अपने रिश्ते में बहुत आगे बढ़ चुके हैं. नहीं, नहीं, आप को कोई गलतफहमी हुई होगी. लाली मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकती है? आप ने ठीक से तो सुना था, पापा?’’

‘‘अरे भाई, मैं गलत क्यों बोलने लगा. लाली की मां ने साफसाफ मु झ से कहा, ‘‘आप अपने बेटे के लिए कोई और लड़की ढूंढ़ लें. हम अबीर से लाली की शादी नहीं करा पाएंगे.’’

पापा की ये बातें सुन अबीर का कलेजा छलनी हो आया. उस का हृदय खून के आंसू रो रहा था. उफ, कितने सपने देखे थे उस ने लाली और अपने रिश्ते को ले कर. कुछ नहीं बचा, एक ही  झटके में सब खत्म हो गया, भरे हृदय के साथ लंबी सांस लेते हुए उस ने यह सोचा.

हृदय में चल रहा भीषण  झं झावात आंखों में आंसू बन उमड़नेघुमड़ने लगा. उस ने अपना लैपटौप खोल लिया कि शायद व्यस्तता उस के इस दर्द का इलाज बन जाए लेकिन लैपटौप की स्क्रीन पर चमक रहे शब्द भी उस की आंखों में घिर आए खारे समंदर में गड्डमड्ड हो आए.  झट से उस ने लैपटौप बंद कर दिया और खुद पलंग पर ढह गया.

लाली उस के कुंआरे मनआंगन में पहले प्यार की प्रथम मधुर अनुभूति बन कर उतरी थी. 30 साल के अपने जीवन में उसे याद नहीं कि किसी लड़की ने उस के हृदय के तारों को इतनी शिद्दत से छुआ हो. लाली उस के जीवन में मात्र 5-6 माह के लिए ही तो आई थी, लेकिन इन चंद महीनों की अवधि में ही उस के संपूर्ण वजूद पर वह अपना कब्जा कर बैठी थी, इस हद तक कि उस के भावुक, संवेदनशील मन ने अपने भावी जीवन के कोरे कैनवास को आद्योपांत उस से सा झा कर लिया. मन ही मन उस ने उसे अपने आगत जीवन के हर क्षण में शामिल कर लिया. लेकिन शायद होनी को यह मंजूर नहीं था. लाली के बारे में सोचतेसोचते कब वह उस के साथ बिताए सुखद दिनों की भूलभुलैया में अटकनेभटकने लगा, उसे तनिक भी एहसास नहीं हुआ.

शुरू से वह एक बेहद पढ़ाकू किस्म का लड़का था जिस की जिंदगी किताबों से शुरू होती और किताबों पर ही खत्म. उस की मां लेखिका थीं. उन की कहानियां विभिन्न पत्रपत्रिकाओं में छपती रहतीं. पिता को भी पढ़नेलिखने का बेहद शौक था. वे एक सरकारी प्रतिष्ठान में वरिष्ठ वैज्ञानिक थे. घर में हर कदम पर किताबें दिखतीं. पुस्तक प्रेम उसे नैसर्गिक विरासत के रूप में मिला. यह शौक उम्र के बढ़तेबढ़ते परवान चढ़ता गया. किशोरावस्था की उम्र में कदम रखतेरखते जब आम किशोर हार्मोंस के प्रभाव में लड़कियों की ओर आकर्षित होते हैं,  उन्हें उन से बातें करना, चैट करना, दोस्ती करना पसंद आता है, तब वह किताबों की मदमाती दुनिया में डूबा रहता.

बचपन से वह बेहद कुशाग्र था. हर कक्षा में प्रथम आता और यह सिलसिला उस की शिक्षा खत्म होने तक कायम रहा. पीएचडी पूरी करने के बाद एक वर्ष उस ने एक प्राइवेट कालेज में नौकरी की. तभी यूनिवर्सिटी में लैक्चरर्स की भरती हुई और उस के विलक्षण अकादमिक रिकौर्ड के चलते उसे वहीं लैक्चरर के पद पर नियुक्ति मिल गई. नौकरी लगने के साथसाथ घर में उस के रिश्ते की बात चलने लगी.

वह अपने मातापिता की इकलौती संतान था. सो, मां ने उस से उस की ड्रीमगर्ल के बारे में पूछताछ की. जवाब में उस ने जो कहा वह बेहद चौंकाने वाला था.

मां, मु झे कोई प्रोफैशनल लड़की नहीं चाहिए. बस, सीधीसादी, अच्छी पढ़ीलिखी और सम झदार नौनवर्किंग लड़की चाहिए, जिस का मानसिक स्तर मु झ से मिले. जो जिंदगी का एकएक लमहा मेरे साथ शेयर कर सके. शाम को घर आऊं तो उस से बातें कर मेरी थकान दूर हो सके.

मां उस की चाहत के अनुरूप उस के सपनों की शहजादी की तलाश में कमर कस कर जुट गई. शीघ्र ही किसी जानपहचान वाले के माध्यम से ऐसी लड़की मिल भी गई.

उस का नाम था लाली. मनोविज्ञान में पोस्ट ग्रेजुएशन की हुई थी. संदली रंग और बेहद आकर्षक, कंटीले नैननक्श थे उस के. फूलों से लदीफंदी डौलनुमा थी वह. उस की मोहक शख्सियत हर किसी को पहली नजर में भा गई.

उस के मातापिता दोनों शहर के बेहद नामी डाक्टर थे. पूरी जिंदगी अपने काम के चलते बेहद व्यस्त रहे. इकलौती बेटी लाली पर भी पूरा ध्यान नहीं दे पाए. लाली नानी, दादी और आयाओं के भरोसे पलीबढ़ी. ताजिंदगी मातापिता के सान्निध्य के लिए तरसती रही. मां को ताउम्र व्यस्त देखा तो खुद एक गृहिणी के तौर पर पति के साथ अपनी जिंदगी का एकएक लमहा भरपूर एंजौय करना चाहती थी.

विवाह योग्य उम्र होने पर उस के मातापिता उस की इच्छानुसार ऐसे लड़के की तलाश कर रहे थे जो उन की बेटी को अपना पूरापूरा समय दे सके, कंपेनियनशिप दे सके. तभी उन के समक्ष अबीर का प्रस्ताव आया. उसे एक उच्चशिक्षित पर घरेलू लड़की की ख्वाहिश थी. आजकल अधिकतर लड़के वर्किंग गर्ल को प्राथमिकता देने लगे थे. अबीर जैसे नौनवर्किंग गर्ल की चाहत रखने वाले लड़कों की कमी थी. सो, अपने और अबीर के मातापिता के आर्थिक स्तर में बहुत अंतर होने के बावजूद उन्होंने अबीर के साथ लाली के रिश्ते की बात छेड़ दी.

संयोगवश उन्हीं दिनों अबीर के मातापिता और दादी एक घनिष्ठ पारिवारिक मित्र की बेटी के विवाह में शामिल होने लाली के शहर पहुंचे. सो, अबीर और उस के घर वाले एक बार लाली के घर भी हो आए. लाली अबीर और उस के परिवार को बेहद पसंद आई. लाली और उस के परिवार वालों को भी अबीर अच्छा लगा.

दोनों के रिश्ते की बात आगे बढ़ी. अबीर और लाली फोन पर बातचीत करने लगे. फिर कुछ दिन चैटिंग की. अबीर एक बेहद सम झदार, मैच्योर और संवेदनशील लड़का था. लाली को बेहद पसंद आया. दोनों में घनिष्ठता बढ़ी. दोनों को एकदूसरे से बातें करना बेहद अच्छा लगता. फोन पर रात को दोनों घंटों बतियाते. एकदूसरे को अपने अनुकूल पा कर दोनों कभीकभार वीकैंड पर मिलने भी लगे. एकदूसरे को विवाह से पहले अच्छी तरह जाननेसम झने के उद्देश्य से अबीर  शुक्रवार की शाम फ्लाइट से उस के शहर पहुंच जाता. दोनों शहर के टूरिस्ट स्पौट्स की सैर करतेकराते वीकैंड साथसाथ मनाने लगे. एकदूसरे को गिफ्ट्स का आदानप्रदान भी करने लगे.

दिन बीतने के साथ दोनों के मन में एकदूसरे के लिए चाहत का बिरवा फूट चुका था. सो, दोनों की तरफ से ग्रीन सिगनल पा कर लाली के मातापिता अबीर का घरबार देखने व उन के रोके की तारीख तय करने अबीर के घर पहुंचे. अबीर का घर, रहनसहन, जीवनशैली देख कर मानो आसमान से गिरे वे.

अबीर का घर, जीवनस्तर उस के पिता की सरकारी नौकरी के अनुरूप था. लाली के रईस और अतिसंपन्न मातापिता की अमीरी की बू मारते रहनसहन से कहीं बहुत कमतर था. उन के 2 बैडरूम के फ्लैट में ससुराल आने पर उन की बेटी शादी के बाद कहां रहेगी, वे दोनों इस सोच में पड़ गए. एक बैडरूम अबीर के मातापिता का था, दूसरा बैडरूम उस की दादी का था.

अबीर की दादी की घरभर में तूती बोलती. वे काफी दबंग व्यक्तित्व की थीं. बेटाबहू उन को बेहद मान देते. उन की तुलना में अबीर की मां का व्यक्तित्व उन्हें तनिक दबा हुआ प्रतीत हुआ.

अबीर के घर सुबह से शाम तक एक पूरा दिन बिता कर उन्होंने पाया कि उन के घर में दादी की मरजी के बिना पत्ता तक नहीं हिलता. उन की सीमित आय वाले घर में उन्हें बातबात पर अबीर के मातापिता के मितव्ययी रवैए का परिचय मिला.

अगले दिन लाली के मातापिता ने बेटी को सामने बैठा उस से अबीर के रिश्ते को ले कर अपने खयालात शेयर किए.

लाली के पिता ने लाली से कहा, ‘सब से पहले तो तुम मु झे यह बताओ, अबीर के बारे में तुम्हारी क्या राय है?’

‘पापा, वह एक सीधासादा, बेहद सैंटीमैंटल और सुल झा हुआ लड़का लगा मु झे. यह निश्चित मानिए, वह कभी दुख नहीं देगा मु झे. मेरी हर बात मानता है. बेहद केयरिंग है. दादागीरी, ईगो, गुस्से जैसी कोई नैगेटिव बात मु झे उस में नजर नहीं आई. मु झे यकीन है, उस के साथ हंसीखुशी जिंदगी बीत जाएगी. सो, मु झे इस रिश्ते से कोई आपत्ति नहीं.’

तभी लाली की मां बोल पड़ीं, ‘लेकिन, मु झे औब्जेक्शन है.’

‘यह क्या कह रही हैं मम्मा? हम दोनों अपने रिश्ते में बहुत आगे बढ़ चुके हैं. अब मैं इस रिश्ते से अपने कदम वापस नहीं खींच सकती. आखिर बात क्या है? आप ने ही तो कहा था, मु झे अपना लाइफपार्टनर चुनने की पूरीपूरी आजादी होगी. फिर, अब आप यह क्या कह रही हैं?’

‘लाली, मैं तुम्हारी मां हूं. तुम्हारा भला ही सोचूंगी. मेरे खयाल से तुम्हें यह शादी कतई नहीं करनी चाहिए.’

‘मौम, सीधेसीधे मुद्दे पर आएं, पहेलियां न बु झाएं.’

‘तो सुनो, एक तो उन का स्टेटस, स्टैंडर्ड हम से बहुत कमतर है. पैसे की बहुत खींचातानी लगी मु झे उन के घर में. क्यों जी, आप ने देखा नहीं, शाम को दादी ने अबीर से कहा, एसी बंद कर दे. सुबह से चल रहा है. आज तो सुबह से मीटर भाग रहा होगा. तौबा उन के यहां तो एसी चलाने पर भी रोकटोक है.

‘फिर दूसरी बात, मु झे अबीर की दादी बहुत डौमिनेटिंग लगीं. बातबात पर अपनी बहू पर रोब जमा रही थीं. अबीर की मां बेचारी चुपचाप मुंह सीए हुए उन के हुक्म की तामील में जुटी हुई थी. दादी मेरे सामने ही बहू से फुसफुसाने लगी थीं, बहू मीठे में गाजर का हलवा ही बना लेती. नाहक इतनी महंगी दुकान से इतना महंगी मूंग की दाल का हलवा और काजू की बर्फी मंगवाई. शायद कल हमारे सामने हमें इंप्रैस करने के लिए ही इतनी वैराइटी का खानापीना परोसा था. मु झे नहीं लगता यह उन का असली चेहरा है.’

‘अरे मां, आप भी न, राई का पहाड़ बना देती हैं. ऐसा कुछ नहीं है. खातेपीते लोग हैं. अबीर के पापा ऐसे कोई गएगुजरे भी नहीं. क्लास वन सरकारी अफसर हैं. हां, हम जैसे पैसेवाले नहीं हैं. इस से क्या फर्क पड़ता है?’

‘लेकिन मैं सोच रही हूं अगर अबीर भी दादी की तरह हुआ तो क्या तू खर्चे को ले कर उस की तरफ से किसी भी तरह की टोकाटाकी सह पाएगी? खुद कमाएगी नहीं, खर्चे के लिए अबीर का मुंह देखेगी. याद रख लड़की, बच्चे अपने बड़ेबुजुर्गों से ही आदतें विरासत में पाते हैं. अबीर ने भी अगर तेरे खर्चे पर बंदिशें लगाईं तो क्या करेगी? सोच जरा.’

‘अरे मां, क्या फुजूल की हाइपोथेटिकल बातें कर रही हैं? क्यों लगाएगा वह मु झ पर इतनी बंदिशें? इतना बढि़या पैकेज है उस का. फिर अबीर मु झे अपनी दादी के बारे में बताता रहता है. कहता है, वे बहुत स्नेही हैं. पहली बार जब वे लोग हमारे घर आए थे, दादी ने मु झे कितनी गर्माहट से अपने सीने से चिपकाया था. मेरे हाथों को चूमा था.’

‘तो लाली बेटा, तुम ने पूरापूरा मन बना लिया है कि तुम अबीर से ही शादी करना चाहती हो. सोच लो बेटा, तुम्हारी मम्मा की बातों में भी वजन है. ये पूरी तरह से गलत नहीं. उन के और हमारे घर के रहनसहन में मु झे भी बहुत अंतर लगा. तुम कैसे ऐडजस्ट करोगी?’’ पापा ने कहा था.

‘अरे पापा, मैं सब ऐडजस्ट कर लूंगी. जिंदगी तो मु झे अबीर के साथ काटनी है न. और वह बेहद अच्छा व जैनुइन लड़का है. कोई नशा नहीं है उस में. मैं ने सोच लिया है, मैं अबीर से ही शादी करूंगी.’

‘लाली बेटा, यह क्या कह रही हो? मैं ने दुनिया देखी है. तुम तो अभी बच्ची हो. यह सीने से चिपकाना, आशीष देना, चुम्माचाटी थोड़े दिनों के शादी से पहले के चोंचले हैं. बाद में तो, बस, उन की रोकटोक, हेकड़ी और बंधन रह जाएंगे. फिर रोती झींकती मत आना मेरे पास कि आज सास ने यह कह दिया और दादी सास ने यह कह दिया.

‘और एक बात जो मु झे खाए जा रही है वह है उन का टू बैडरूम का दड़बेनुमा फ्लैट. हर बार त्योहार के मौके पर तु झे ससुराल तो जाना ही पड़ेगा. एक बैडरूम में अबीर के पेरैंट्स रहते हैं, दूसरे में उस की दादी. फिर तू कहां रहेगी? तेरे हिस्से में ड्राइंगरूम ही आएगा? न न न, शादी के बाद मेरी नईनवेली लाडो को अपना अलग एक कमरा भी नसीब न हो, यह मु झे बिलकुल बरदाश्त नहीं होगा.

‘सम झा कर बेटा, हमारे सामने यह खानदान एक चिंदी खानदान है. कदमकदम पर तु झे इस वजह से बहू के तौर पर बहुत स्ट्रगल करनी पड़ेगी. न न, कोई और लड़का देखते हैं तेरे लिए. गलती कर दी हम ने, तु झे अबीर से मिलाने से पहले हमें उन का घरबार देख कर आना चाहिए था. खैर, अभी भी देर नहीं हुई है. मेरी बिट्टो के लिए लड़कों की कोई कमी है क्या?’

‘अरे मम्मा, आप मेरी बात नहीं सम झ रहीं हैं. इन कुछ दिनों में मैं अबीर को पसंद करने लगी हूं. उसे अब मैं अपनी जिंदगी में वह जगह दे चुकी हूं जो किसी और को दे पाना मेरी लिए नामुमकिन होगा. अब मैं अबीर के बिना नहीं रह सकती. मैं उस से इमोशनली अटैच्ड हो गई हूं.’

‘यह क्या नासम झी की बातें कर रही है, लाली? तू तो मेरी इतनी सम झदार बेटी है. मु झे तु झ से यह उम्मीद न थी. जिंदगी में सक्सैसफुल होने के लिए प्रैक्टिकल बनना पड़ता है. कोरी भावनाओं से जिंदगी नहीं चला करती, बेटा. बात सम झ. इमोशंस में बह कर आज अगर तू ने यह शादी कर ली तो भविष्य में बहुत दुख पाएगी. तु झे खुद अपने पांव पर कुल्हाड़ी नहीं मारने दूंगी. मैं ने बहुत सोचा इस बारे में, लेकिन इस रिश्ते के लिए मेरा मन हरगिज नहीं मान रहा.’

‘मम्मा, यह आप क्या कह रही हैं? मैं अब इस रिश्ते में पीछे नहीं मुड़ सकती. मैं अबीर के साथ पूरी जिंदगी बिताने का वादा कर चुकी हूं. उस से प्यार करने लगी हूं. पापा, आप चुप क्यों बैठे हैं? सम झाएं न मां को. फिर मैं पक्का डिसाइड कर चुकी हूं कि मु झे अबीर से ही शादी करनी है.’

‘अरे भई, क्यों जिद कर रही हो जब यह कह रही है कि इसे अबीर से ही शादी करनी है तो क्यों बेबात अड़ंगा लगा रही हो? अबीर के साथ जिंदगी इसे बितानी है या तुम्हें?’ लाली के पिता ने कहा.

‘आप तो चुप ही रहिए इस मामले में. आप को तो दुनियादारी की सम झ है नहीं. चले हैं बेटी की हिमायत करने. मैं अच्छी तरह से सोच चुकी हूं. उस घर में शादी कर मेरी बेटी कोई सुख नहीं पाएगी. सास और ददिया सास के राज में 2 दिन में ही टेसू बहाते आ जाएगी. जाइए, आप के औफिस का टाइम हो गया. मु झे हैंडल कर लेने दीजिए यह मसला.’

इस के साथ लाली की मां ने पति को वहां से जबरन उठने के लिए विवश कर दिया और फिर बेटी से बोलीं, ‘यह क्या बेवकूफी है, लाली? यह तेरा प्यार पप्पी लव से ज्यादा और कुछ नहीं. अगर तू ने मेरी बात नहीं मानी तो सच कह रही हूं, मैं तु झ से सारे रिश्ते तोड़ लूंगी. न मैं तेरी मां, न तू मेरी बेटी. जिंदगीभर तेरी शक्ल नहीं देखूंगी. सम झ लेना, मैं तेरे लिए मर गई.’ यह कह कर लाली की मां अतीव क्रोध में पांव पटकते हुए कमरे से बाहर चली गईं.

मां का यह विकट क्रोध देख लाली सम झ गई थी कि अब अगर कुदरत भी साक्षात आ जाए तो उन्हें इस रिश्ते के लिए मनाना टेढ़ी खीर होगा. मां के इस हठ से वह बेहद परेशान हो उठी. उस का अंतर्मन कह रहा था कि उसे अबीर जैसा सुल झा हुआ, सम झदार लड़का इस जिंदगी में दोबारा मिलना असंभव होगा. आज के समय में उस जैसे सैंसिबल, डीसैंट लड़के बिरले ही मिलते हैं. अबीर जैसे लड़के को खोना उस की जिंदगी की सब से बड़ी भूल होगी.

लेकिन मां का क्या करे वह? वे एक बार जो ठान लेती हैं वह उसे कर के ही रहती हैं. वह बचपन से देखती आई है, उन की जिद के सामने आज तक कोई नहीं जीत पाया. तो ऐसी हालत में वह क्या करे? पिछली मुलाकात में ही तो अबीर के साथ जीनेमरने की कसमें खाई थीं उस ने. दोनों ने एकदूसरे के प्रति अपनी प्रेमिल भावनाएं व्यक्त की थीं.

पिछली बार अबीर के उस के कहे गए प्रेमसिक्त स्वर उस के कानों में गूंजने लगे, ‘लाली माय लव, तुम ने मेरी आधीअधूरी जिंदगी को कंप्लीट कर दिया. दुलहन बन जल्दी से मेरे घर आ जाओ. अब तुम्हारे बिना रहना शीयर टौर्चर लग रहा है.’

क्या करूं क्या न करूं, यह सोचतेसोचते अतीव तनाव से उस के स्नायु तन आए और आंखें सावनभादों के बादलों जैसे बरसने लगीं. अनायास वह अपने मोबाइल स्क्रीन पर अबीर की फोटो देखने लगी और उसे चूम कर अपने सीने से लगा उस ने अपनी आंखें मूंद लीं.

तभी मम्मा उस का दरवाजा पीटने लगीं… ‘‘लाली, दरवाजा खोल बेटा.’’

उस ने दरवाजा खोला. मम्मा कमरे में धड़धड़ाती हुई आईं और उस से बोलीं, ‘‘मैं ने अबीर के पापा को इस रिश्ते के लिए मना कर दिया है. सारा टंटा ही खत्म. हां, अब अबीर का फोनवोन आए, तो उस से तु झे कुछ कहने की कोई जरूरत नहीं. वह कुछ कहे, तो उसे रिश्ते के लिए साफ इनकार कर देना और कुछ ज्यादा बात करने की जरूरत नहीं. ले देख, यह एक और लड़के का बायोडाटा आया है तेरे लिए. लड़का खूब हैंडसम है. नामी एमएनसी में सीनियर कंसल्टैंट है. 40 लाख रुपए से ऊपर का ऐनुअल पैकेज है लड़के का. मेरी बिट्टो राज करेगी राज. लड़के वालों की दिल्ली में कई प्रौपर्टीज हैं. रुतबे, दौलत, स्टेटस में हमारी टक्कर का परिवार है. बता, इस लड़के से फोन पर कब बात करेगी?’’

‘‘मम्मा, फिलहाल मेरे सामने किसी लड़के का नाम भी मत लेना. अगर आप ने मेरे साथ जबरदस्ती की तो मैं दीदी के यहां लंदन चली जाऊंगी. याद रखिएगा, मैं भी आप की बेटी हूं.’’ यह कहते हुए लाली ने मां के कमरे से निकलते ही दरवाजा धड़ाक से बंद कर लिया.

मन में विचारों की उठापटक चल रही थी. अबीर उसे आसमान का चांद लग रहा था जो अब उस की पहुंच से बेहद दूर जा चुका था. क्या करे क्या न करे, कुछ सम झ नहीं आ रहा था.

सारा दिन उस ने खुद से जू झते हुए बेपनाह मायूसी के गहरे कुएं में बिताया. सां झ का धुंधलका होने को आया. वह मन ही मन मना रही थी, काश, कुछ चमत्कार हो जाए और मां किसी तरह इस रिश्ते के लिए मान जाएं. तभी व्हाट्सऐप पर अबीर का मैसेज आया, ‘‘तुम से मिलना चाहता हूं. कब आऊं?’’

उस ने जवाब में लिखा, ‘जल्दी’ और एक आंसू बहाती इमोजी भी मैसेज के साथ उसे पोस्ट कर दी. अबीर का अगला मैसेज एक लाल धड़कते दिल के साथ आया, ‘‘कल सुबह पहुंच रहा हूं. एयरपोर्ट पर मिलना.’’

लाली की वह रात आंखों ही आंखों में कटी. अगली सुबह वह मां को एक बहाना बना एयरपोर्ट के लिए रवाना हो गई.

क्यूपिड के तीर से बंधे दोनों प्रेमी एकदूसरे को देख खुद पर काबू न रख पाए और दोनों की आंखों से आंसू बहने लगे. कुछ ही क्षणों में दोनों संयत हो गए और लाली ने उन दोनों के रिश्ते को ले कर मां के औब्जेक्शंस को विस्तार से अबीर को बताया.

अबीर और लाली दोनों ने इस मुद्दे को ले कर तसल्ली से, संजीदगी से विचार किया और इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि अब जो कुछ करना है उन दोनों को ही करना होगा.

‘‘लाली, इन परिस्थितियों में अब तुम बताओ कि क्या करना है? तुम्हारी मां हमारी शादी के खिलाफ मोरचाबंदी कर के बैठी हैं. उन्होंने साफसाफ लफ्जों में इस के लिए मेरे पापा से इनकार कर दिया है. तो इस स्थिति में अब मैं किस मुंह से उन से अपनी शादी के लिए कहूं?’’ अबीर ने कहा.

‘‘हां, यह तो तुम सही कह रहे हो. चलो, मैं अपने पापा से इस बारे में बात करती हूं. फिर मैं तुम्हें बताती हूं.’’

‘‘ठीक है, ओके, चलता हूं. बस, यह याद रखना मैं तुम्हें बहुत चाहता हूं. शायद खुद से भी ज्यादा. अब तुम्हारे बिना मेरा कोई वजूद नहीं.’’

लाली ने अपनी पनीली हो आई आंखों से अबीर की तरफ एक फ्लाइंग किस उछाल दिया और फुसफुसाई, ‘हैप्पी एंड सेफ जर्नी माय लव, टेक केयर.’’

लाली एयरपोर्ट से सीधे अपने पापा के औफिस जा पहुंची और उस ने उन्हें वस्तुस्थिति से अवगत कराया. उस की बातें सुन पापा ने कहा, ‘‘अगर तुम और अबीर इस विषय में निर्णय ले ही चुके हो तो मैं तुम दोनों के साथ हूं. मैं कल ही अबीर के घर जा कर तुम्हारी मां के इनकार के लिए उन से माफी मांगता हूं और तुम दोनों की शादी की बात पक्की कर देता हूं. इस के बाद ही मैं तुम्हारी मां को अपने ढंग से सम झा लूंगा. निश्चिंत रहो लाली, इस बार तुम्हारी मां को तुम्हारी बात माननी ही पड़ेगी.’’

लाली के पिता ने लाली से किए वादे को पूरा किया. अबीर के घर जा कर उन्होंने अपनी पत्नी के इनकार के लिए उन से हाथ जोड़ कर बच्चों की खुशी का हवाला देते हुए काफी मिन्नतें कर माफी मांगी और उन दोनों की शादी पक्की करने के लिए मिन्नतें कीं.

इस पर अबीर के पिता ने उन से कहा, ‘‘भाईसाहब, अबीर के ही मुंह से सुना कि आप लोगों को हमारे इस 2 बैडरूम के फ्लैट को ले कर कुछ उल झन है कि शादी के बाद आप की बेटी इस में कहां रहेगी? आप की परेशानी जायज है, भाईसाहब. तो, मेरा खयाल है कि शादी के बाद दोनों एक अलग फ्लैट में रहें. आखिर बच्चों को भी प्राइवेसी चाहिए होगी. यही उन के लिए सब से अच्छा और व्यावहारिक रहेगा. क्या कहते हैं आप?’’

‘‘बिलकुल ठीक है, जैसा आप उचित सम झें.’’

‘‘तो फिर, दोनों की बात पक्की?’’

‘‘जी बिलकुल,’’ अबीर के पिता ने लाली के पिता को मिठाई खिलाते हुए कहा.

बेटी की शादी उस की इच्छा के अनुरूप तय कर, घर आ कर लाली के पिता ने पत्नी को लाली और अबीर की खुशी के लिए उन की शादी के लिए मान जाने के लिए कहा. लाली ने तो साफसाफ लफ्जों में उन से कह दिया, ‘‘इस बार अगर आप हम दोनों की शादी के लिए नहीं माने तो मैं और अबीर कोर्ट मैरिज कर लेंगे.’’ और लाली की यह धमकी इस बार काम कर गई. विवश लाली की मां को बेटी और पति के सामने घुटने टेकने पड़े.

आखिरकार, दिल वर्सेस दौलत की जंग में दिल जीत गया और दौलत को मुंह की खानी पड़ी.

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