मेरे ड्राइवर ने मुझे फोन कर के कहा कि वह मुरादाबाद पहुंच गया है. ड्राइवर का फोन आते ही मैं ने गौरी से विदा ली. विदा लेते समय गौरी का चेहरा उतर गया. वह बहुत भावुक हो गई थी. उस की आंखों की चमक कम हो गई. वह एकदम छुईमुई सी दिखाई देने लगी. उस ने मुसकराने की कोशिश की, मगर उस के होंठ कांपने लगे. उस की आंखों में आंसू तैरने लगे. उस ने अपनी उंगली से आंख में लटके आंसू की उस बूंद को उठा लिया, जो टपक कर उस के गाल पर गिरने ही वाली थी.
मैं अपने ड्राइवर को गौरी के बारे में कुछ पता नहीं चलने देना चाहता था, इसलिए मैं गौरी से कुछ दूर चला गया. गौरी मुझे अभी भी अपलक देख रही थी.
मैं कार में बैठ गया. ड्राइवर ने गाड़ी आगे बढ़ाई, तो गौरी ने अपना एक हाथ थोड़ा सा ऊपर उठा कर मुझे बाय का इशारा किया. बदले में मैं ने कुछ नहीं किया. गाड़ी की पिछली सीट पर बैठा मैं पीछे घूम कर काफी दूर तक गौरी को देखता रहा. वह भी मुझे यों ही देखती रही और अपनी उंगलियों से अपनी आंखों के आंसू पोंछती रही.
गौरी से मिलने के बाद एक बात तो पूरी तरह साफ हो गई कि वह बहुत ही मासूम और भोली लड़की थी. उस के मन में मेरे लिए कोई छलकपट नहीं था. दिल की भी साफ थी. पता नहीं कैसे वह मेरी तरफ आकर्षित हो गई. कोई बात नहीं, अगर उस से यह भूल हो गई तो मुझे उस की भूल को सुधारना होगा.