दुनियावालों की परवा किए बगैर, जातिवाद के खिलाफ, अतुल और दिव्या का विवाह हुआ था. कितने खुश थे वे दोनों. लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था. एक आंधी आई और सबकुछ उड़ा ले गई.