कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

‘‘अब आप उलटीसीधी बातें बोलना और सोचना बंद कर अपना मूड सही कर लीजिए,’’  कहते हुए ज्योति की आंखों में एकाएक आंसू छलक आए.

‘‘तुम से मेरा दुख, मेरी चिंता, मेरा परेशान होना बरदाश्त नहीं होता?’’

‘‘नहीं, आप को खुश और सुखी देखने के लिए मैं कुछ भी कर सकती हूं. आप के होंठों की हंसी मेरी नजरों में मेरी जान से ज्यादा कीमती है, जनाब,’’ भावविभोर हो कर ज्योति ने प्रकाश की आंखों को चूम लिया.

‘‘और तुम मेरी जान हो, ज्योति,’’ कहते हुए प्रकाश ने ज्योति को सीने से लगा लिया. जैसी प्रकाश को आशंका थी, पार्टी में हंगामा हो गया.

‘‘निशा, आज तुम मेरी नजरों में पूरी तरह से गिर गई हो. जो तुम ने आज जन्मदिन की पार्टी में कहा और किया है उस के लिए मैं तुम्हें जिंदगीभर माफ नहीं करूंगा,’’ पार्टी के बाद प्रकाश की आवाज में बहुत दर्द समाया हुआ था.

‘‘मैं ने क्या कोई बात  झूठ कही आज?’’ निशा ने  झगड़ालू स्वर में जवाब दिया, ‘‘मेरे और तुम्हारे घर के लोग अब तक तुम्हें नेकदिल और चरित्रवान इंसान सम झते थे. आज मैं ने सब के सामने तुम्हारे नाजायज प्रेमसंबंध का भंडाफोड़ कर के तुम्हारी उस छवि को नष्ट कर दिया. इसी बात से पीड़ा हो रही है न तुम्हें?’’

‘‘मेरे लिए तुम ने जो जहर आज सब के सामने उगला है वह मेरे लिए अप्रत्याशित नहीं था. ज्योति के लिए तुम ने जिस गंदी भाषा और अपशब्दों का इस्तेमाल किया वह सर्वथा गलत और अनुचित था,’’ प्रकाश बोला.‘‘तुम बिलकुल गलत कह रहे हो. उस कलमुंही औरत के लिए मैं ने जो कहा, वह सब सच है और उस के लिए तुम से माफी मांगने का भविष्य में कभी सवाल ही नहीं उठेगा,’’ निशा ने मजबूती से कहा.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...