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मोहित उठ कर उस के पास आया, उस का हाथ पकड़ा और अपने रूमाल से उस के आंसू पोंछे.

“रिया, तुम ने कुछ नहीं किया. लेकिन हमें पता लगाना है कि जय असल में क्या वही है जो वह बता रहा है?”

“क्या होगा अगर पुलिस ने मम्मीपापा को सबकुछ बता दिया?”

“नहीं रिया, मैं ने पुलिस को बता दिया है. वह सबकुछ गोपनीय रखेगी.

मीडिया को भी कुछ नहीं बताएगी.”

मोहित ने अपने टेबल से प्रिंटआउट उठाया. “रिया, मैं ने इसे अभी टाइप किया है. इसे पढ़ कर इस पर दस्तखत करो.”

“लेकिन, यह तो जय के खिलाफ शिकायत है.”

“हां रिया, हमें यह ले जाना होगा. लेकिन मैं इसे पुलिस को तभी दूंगा जब मेरा शक सही निकलेगा.”

मोहित खुद भी अजनबी ही था लेकिन कार में उस के नज़दीक बैठते ही रिया को सुकून और सुरक्षा का एक अजीब एहसास हुआ.

“मोहित, आने के लिए शुक्रिया.”

“नहीं रिया, यह बहुत जरूरी था कि मैं आप की मदद करूं.” रास्ते में वह एक कंप्यूटर की दूकान पर रुका. “अपना फ़ोन और डाक्यूमैंट्स दो रिया. हमे साईंफ्ट कौपी भी देना होगा पुलिस को.”

“मुझे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है, मोहित.”

“मुझ पर भरोसा रखो, रिया.”

जैसे ही वे पुलिस साइबर क्राइम सैल दफ्तर पहुंचे, मोहित ने उस का हाथ पकड़ लिया.

“डरना नहीं, रिया. मैं हूं तुम्हारे साथ.”

पुलिस अफसर को मोहित ने जय के बारे में पहले ही बता दिया था. अफसर ने उन की बातचीत, बैंक लेनदेन विवरण चैक किया. फिर जय की तसवीर को देख कर कहा, “यह लंदन रिटर्न्ड नहीं है. यह एक कुख्यात मुजरिम है और एक खूंखार आपराधिक गिरोह का सदस्य है. कुछ महीने पहले ही जेल से छूट कर आया है.

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