मनोज के गुजर जाने के बाद शालिनी नितांत तन्हा हो गई थी. नया शहर व उस शहर के लोग उसे अजनबी मालूम होते थे. पर वह मनोज की यादों के सहारे खुद को बदलने की असफल कोशिश करती रहती. शहर की उसी कालोनी के कोने वाले मकान में मानस रहते थे. उन्होंने ही जख्मी मनोज को अस्पताल पहुंचाने के लिए ऐंबुलैंस बुलवाई थी. मनोज की देखभाल में उन्होंने पूरा सहयोग दिया था. सो, मानस से शालिनी का परिचय पहचान में बदल गया था. मानस ने अपना कर्तव्य समझते हुए शालिनी को सामान्य जीवन गुजारने के लिए प्रोत्साहित करते हुए कहा, ‘‘शालिनीजी, आप कल से फिर मौर्निंगवाक शुरू कर दीजिए, पहले मैं ने आप को अकसर पार्क में वाक करते हुए देखा है.’’
‘‘हां, पहले मैं नित्य मौर्निंगवाक पर जाती थी. मनोज जिम जाते थे और मुझे वाक पर भेजते थे. उन के बाद अब दिल ही नहीं करता,’’ उदास शालिनी ने कहा.
‘‘मैं आप की मनोदशा समझ सकता हूं. 4 साल पहले मैं भी अपनी पत्नी खो चुका हूं. जीवनसाथी के चले जाने से जो शून्य जीवन में आ जाता है उस से मैं अनभिज्ञ नहीं हूं. किंतु सामान्य जीवन के लिए खुद को तैयार करने के सिवा अन्य विकल्प नहीं होता है.’’ दो पल बाद वे फिर बोले, ‘‘मनोजजी को गुजरे हुए 3 महीने से ज्यादा हो चुके हैं. अब वे नहीं हैं, इसलिए आप को अधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है. आप खुद को सामान्य दिनचर्या के लिए तैयार कीजिए.’’
मानस ने अपना तर्क रखते हुए आगे कहा, ‘‘शालिनीजी, मैं आप को उपदेश नहीं दे रहा बल्कि अपना अनुभव बताना चाहता हूं. सच कहता हूं, पत्नी के गुजर जाने के बाद ऐसा महसूस होता था जैसे जीवन समाप्त हो गया, अब दुनिया में कुछ भी नहीं है मेरे लिए, किंतु ऐसा होता नहीं है. और ऐसा सोचना भी उचित नहीं है. किंतु मृत्यु तो साथ संभव नहीं है. जिस के हिस्से में जितनी सांसें हैं, वह उतना जी कर चला जाता है. जो रह जाता है उसे खुद को संभालना होता है. मैं ने उस विकट स्थिति में खुद को व्यस्त रखने के लिए मौर्निंगवाक शुरू की, फिर एक कोचिंग इंस्टिट्यूट जौइन कर लिया. रिटायर्ड प्रोफैसर हूं, सो पढ़ाने में दिल लगता ही है. इस के बाद भी काफी समय रहता है, उस में व्यस्त रहने के लिए घर पर ही कमजोर वर्ग के बच्चों को फ्री में ट्यूशन देता हूं तथा हफ्ते में 2 दिन सेवार्थ के लिए एक अनाथाश्रम में समय देता हूं. इस तरह के कार्यों से अत्यधिक आत्मसंतुष्टि तो मिलती ही है, साथ ही समय को फ्रूटफुल व्यतीत करने का संतोष भी प्राप्त होता है. आप से आग्रह करना चाहता हूं कि आप इन कार्यों में मुझे सहयोग दें.