‘‘क्या हुआ, आज कैंटीन में नहीं आई? कहीं तेरे उस नए आशिक का फोन तो नहीं आ गया था?’’ पूजा के चेहरे पर हंसी थी.

‘‘आया था, रात के 2 बजे, चांद का दीदार कराने, पर सच वह दृश्य बड़ा सुंदर था. नहीं देख पाती तो इतनी सुंदर चांदनी में नहाई प्रकृति को मिस करती. शायद, जनाब को शायरी करने का शौक है. ऐसा लगता है उसे मेरे बारे में बहुतकुछ मालूम है, यहां तक कि मैं कविता लिखती हूं.’’

‘‘तब तो वह तेरा सच्चा आशिक है, नेहल.’’

‘‘सच्चे आशिक को अपना नामपता छिपाने की जरूरत नहीं होती, पूजा. वैसे एक बात है, वह बातें बड़े अंदाज से करता है. पता नहीं कहां से छिप कर मेरे बारे में सारी बातें पता कर लेता है. यहां तक कि मेरे पहने हुए कपड़ों के रंग भी याद रखता है.’’

‘‘सच कह, नेहल, तू उस की बातें एंजौय करती है या नहीं?’’

‘‘जब उस का फोन आता है तब तो गुस्सा आता है, पर बाद में उस की बातों पर हंसी आती है. वैसे, आज तक कभी उस ने कोई अश्लील बात नहीं कही है, जैसे कि अकसर सड़कछाप लड़के कहते हैं.’’

‘‘मुझे तो वह कोई सच्चा प्रेमी लगता है, नेहल. संभल के रहना.’’

‘‘अरे, क्या मुझे पागल समझती है? ये बातें छोड़, आज मां का फोन आया था, मेरी शादी के लिए मुझ से मिलने कोई आने वाला है. समझ में नहीं आ रहा है क्या करूं? पता नहीं मांबाप को बेटियों की शादी की इतनी जल्दी क्यों होती है.’’

‘‘वाह, यह तो गुड न्यूज है. कोई है वह जो हमारी नेहल को ले जाएगा. काश, मेरी शादी यहां आने के पहले ही तय न हो गई होती,’’ पूजा ने आह भरी.

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