उसशनिवार की शाम मुंबई में रहने वाली मेरी पुरानी सहेली शिखा अचानक मेरे घर आई, तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा. अपनी सास की बीमारी के चलते वह मेरी शादी में शामिल होने दिल्ली नहीं आ सकी थी. इस कारण मेरे पति मोहित उस दिन पहली बार शिखा से मिले.
जब तक मैं चायनाश्ता तैयार कर के लाई, तब तक वे दोनों एकदूसरे से काफी खुल गए थे. मोहित के चेहरे पर छाई खुशी व पसंदगी के भाव बता रहे थे कि वे शिखा के व्यक्तित्व से काफी प्रभावित हैं.
मैं ने नोट किया कि पिछले 6 सालों में वह काफी बदल गई है. वार्त्तालाप करते हुए वह बारबार अच्छी अंगरेजी बोल रही थी. उस के कीमती सैट की महक से मेरा ड्राइंगरूम भर गया था. 2 बेटों की मम्मी होने के बावजूद वह नीली जींस और लाल टौप में सैक्सी और स्मार्ट लग रही थी.
मेरे 5 साल के बेटे मयंक के लिए शिखा रिमोट कंट्रोल से चलने वाली कार लाईर् थी. अपनी शिखा मौसी के गाल पर आभार प्रकट करने वाली बहुत सारी पुच्चियां कर वह कार से खेलने में मस्त हो गया.
मेरे बनाए पकौड़ों के स्वाद की तारीफ करने के बाद शिखा बोली, ‘‘मेरे घर में 3 नौकर काम करते हैं. जो थोड़ाबहुत किचन का काम मैं शादी होने से पहले करना जानती थी अब वह भी भूल गई हूं.’’
‘‘जब नौकर घर में हैं तो तुझे काम करने की जरूरत ही क्या है? तू तो खूब ऐश कर,’’ मैं ने हंसते हुए जवाब दिया.
‘‘ऐश तो मैं वाकई बहुत कर रही हूं, कविता. किसी चीज की कोई कमी नहीं है मेरी जिंदगी में. आधी से ज्यादा दुनिया घूम चुकी हूं और अगले महीने हम चीन घूमने जा रहे हैं.’’