Top 10 Romantic Story In Hindi : प्यार की कहानियां पढ़ना हर किसी को पसंद होता है. ऐस में हम आपके लिए इस वीकेंड लेकर आए हैं दिल को छूने वाली रोमांटिक स्टोरीज…  जिससे आपको प्यार का नया मतलब जानने को मिलेगा. इन Romantic Stories से आपको कई अहम बातें जानने को मिलेंगी. जिंदगी में प्यार का असली मायने क्या होता है, लोगों को प्यार में सिर्फ धोखा नहीं मिलता.. कई बार सच्चा प्यार मिलने की वजह से भी जिंदगी हसीन हो जाती है… तो अगर आपको भी है संजीदा कहानियां पढ़ने का शौक तो यहां पढ़िए गृहशोभा की Best Romantic Stories in Hindi.

  1. पैबंद: क्या रमा ने पति को छोड़ दिया

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    घंटी बजी तो दौड़ कर उस ने दरवाजा खोला. सामने लगभग 20 साल का एक नवयुवक खड़ा था.उस ने वहीं खड़ेखडे़ दरवाजे के बाहर से ही अपना परिचय दिया,”जी मैं मदन हूं, पवनजी का बेटा. पापा ने आप को संदेश भेजा होगा…”“आओ भीतर आओ,” कह कर उस ने दरवाजे पर जगह बना दी.मदन संकोच करता हुआ भीतर आ गया,”जी मैं आज ही यहां आया हूं. आप को तकरीबन 10 साल पहले देखा था, तब मैं स्कूल में पढ़ रहा था.“आप की शादी का कार्ड हमारे घर आया था, तब मेरे हाईस्कूल के  ऐग्जाम थे इसलिए आप के विवाह में शामिल नहीं हो सका था. मैं यहां कालेज की पढ़ाई के लिए आया हूं और यह लीजिए, पापा ने यह सामान आप के लिए भेजा है,”कह कर उस ने एक बैग दे दिया. बैग में बगीचे के  ताजा फल, सब्जियां, अचार वगैरह थे.

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    2. टीनऐजर्स लव: अस्मिता ने क्या लांघ दी रिश्ते की सीमारेखा

    ‘‘आसमानी ड्रैस में बड़ी सुंदर लग रही हो, अस्मिता. बस, एक काम करो जुल्फों को थोड़ा ढीला कर लो.’’ अस्मिता कोचिंग क्लास की अंतिम बैंच पर खाली बैठी नोट बुक में कुछ लिख रही थी कि समर ने यह कह कर उन की तंद्रा तोड़ी. यह कह कर वह जल्दी ही अपनी बैंच पर जा कर बैठ गया और पीछे मुड़ कर मुसकराने लगा. किशोर हृदय में प्रेम का पुष्पपल्लवित होने लगा और दिल बगिया की कलियां महकने लगीं. भीतर से प्रणयसोता बहता चलता गया. उस ने आंखों में वह सबकुछ कह दिया था जो अब तक पढ़ी किताबें ही कह पाईं.

    अस्मिता इंतजार करने लगी कि ब्रैक हो, समर बाहर आए और मैं उस से कुछ कहूं. आधे घंटे का समय एक सदी के बराबर लग रहा था. ‘क्या कहूंगी? शुरुआत कैसे करूंगी? जवाब क्या आएगा,’ ये सब प्रश्न अस्मिता को बेचैन किए जा रहे थे. कुछ बनाती, फिर मिटाती. मन ही मन कितने ही सवाल तैयार करती, जो उसे पूछने थे और फिर कैंसिल कर देती कि नहीं, कुछ और पूछती हूं. घंटी की आवाज अस्मिता के कानों में पड़ी. जैसे मां की तुतलाती बोली सुन कर कोई बच्चा दौड़ आता है, वह तत्क्षण क्लासरूम से बाहर आ गई. सोच रही थी कि वह अकेला आएगा.

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    3. उलझे रिश्ते: क्या प्रेमी से बिछड़कर खुश रह पाई रश्मि

दिनभर की भागदौड़. फिर घर लौटने पर पति और बच्चों को डिनर करवा कर रश्मि जब बैडरूम में पहुंची तब तक 10 बज चुके थे. उस ने फटाफट नाइट ड्रैस पहनी और फ्रैश हो कर बिस्तर पर आ गई. वह थक कर चूर हो चुकी थी. उसे लगा कि नींद जल्दी ही आ घेरेगी. लेकिन नींद न आई तो उस ने अनमने मन से लेटेलेटे ही टीवी का रिमोट दबाया. कोई न्यूज चैनल चल रहा था. उस पर अचानक एक न्यूज ने उसे चौंका दिया. वह स्तब्ध रह गई. यह क्या हुआ? सुधीर ने मैट्रो के आगे कूद कर सुसाइड कर लिया. उस की आंखों से अश्रुधारा बह निकली. उस का मन किया कि वह जोरजोर से रोए. लेकिन उसे लगा कि कहीं उस का रोना सुन कर पास के कमरे में सो रहे बच्चे जाग न जाएं. पति संभव भी तो दूसरे कमरे में अपने कारोबार का काम निबटाने में लगे थे. रश्मि ने रुलाई रोकने के लिए अपने मुंह पर हाथ रख लिया, लेकिन काफी देर तक रोती रही. शादी से पूर्व का पूरा जीवन उस की आंखों के सामने घूम गया.

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4.  चक्रव्यूह प्रेम का : क्या मनोज कुमार अपनी बेटी की लव मैरिज से खुश थे?

‘‘भैया सादर प्रणाम, तुम कैसे हो?’’ लखन ने दिल्ली से अपने बड़े भाई राम को फोन कर उस का हालचाल जानना चाहा.

‘‘प्रणाम भाई प्रणाम, यहां सभी कुशल हैं. अपना सुनाओ?’’ राम ने अपने पैतृक शहर छपरा से उत्तर दिया. वह जयपुर में नौकरी करता था. वहां से अपने घर मतापिता से मिलने आया हुआ था.

‘‘मैं भी ठीक हूं भैया. लेकिन दूर संचार के इस युग में कोई मोबाइल फोन रिसीव नहीं करे, यह कितनी अनहोनी बात है, तुम उन्हें क्यों नहीं समझते हो? मैं चाह कर भी उन से अपने मन की बात नहीं कह पाता, यह क्या गंवारपन और मजाक है,’’ मन ही मन खीझते हुए लखन ने राम से शिकायत की.

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5. खुशी के आंसू : जब आनंद और छाया ने क्यों दी अपने प्यार की बलि?

आनंद आजकल छाया के बदले ब्यवहार से बहुत परेशान था. छाया आजकल उस से दूरी बना रही थी, जो आनंद के लिए असह्य हो रहा था. दोनों की प्रगाढ़ता के बारे में स्कूल के सभी लोगों को भी मालूम था. वे दोनों 5 वर्षों से साथ थे. छाया और आनंद एक ही स्कूल में शिक्षक के रूप में कार्यरत थे. वहीं जानपहचान हुई और दोनों ने एकदूसरे को अपना जीवनसाथी बनाने का फैसला कर लिया था.

दोनों की प्रेमकहानी को छाया के पिता का आशीर्वाद मिल चुका था. वे दोनों शादी के बंधन में बंधने वाले थे कि छाया के पिता को कैंसर जैसी भंयकर बीमारी से मृत्यु हो गई थी. विवाह एक वर्ष के लिए टल गया था. छाया की छोटी बहन ज्योति थी जो पिता की बीमारी के कारण बीए की परीक्षा नहीं दे पाई थी. छाया उसे आगे पढ़ाना चाहती थी. छाया के कहने पर आनंद उसे पढ़ाने उस के घर जाया करता था.

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6.  एक खूबसूरत मोड़ : शेखर और मीना को क्यों अलग होना पड़ा?

‘‘कुछ भी नहीं बदला न इन 12 सालों में.’’

‘‘हां सचमुच. क्या तुम मुझे माफ कर पाए शेखर?’’  यह पूछती मीना की पनीली आंखें भर आईं पर मन हर्षित था. अनायास हुई यह मुलाकात अप्रत्याशित सही पर उसे क्षमा मांगने का अवसर मिल ही गया था. होंठों पर मुसकान ऐसे आ चिपकी जैसे बड़ी जिद्द के बाद भी जो खिलौना न मिला हो और वही बर्थडे गिफ्ट के रैपर खोलते ही अनायास हाथों में आ गया हो.

‘‘तुम से नाराज नहीं था यह कहना गलत होगा. मुझे ऐसा लगा था कि तुम से कभी बात नहीं कर सकूंगा मगर देख तुझे देखते ही सब भूल गया,’’ शेखर एक ही सांस में बोलता चला गया फिर उस ने अपनी शिकायत रखी, ‘‘तू तो ऐसे गई कि मुड़ कर भी नहीं देखा. हमारे जीवन से जुड़े फैसले अकेले कैसे ले लिए?’’

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7. कोने वाली टेबल: क्या सुमित को मिली उसकी चाहत

ठाणे में सब से बड़ा मौल है, विवियाना मौल. काफी बड़ा और सुंदर. एक से एक ब्रैंडेड शोरूम हैं. जब से यह मौल बना है, ठाणे में रहने वालों को हाई क्लास शौपिंग के लिए बांद्रा नहीं भागना पड़ता. वीकैंड में टाइम पास करने वालों की यह प्रिय जगह है. थर्डफ्लोर पर बढ़िया फ़ूड कोर्ट है. वैसे, हर फ्लोर पर बहुत ही क्लासी रैस्त्रां हैं, उन में से एक है, येलो चिल्ली. यह मशहूर सैलिब्रिटी शेफ संजीव कपूर की फ़ूडचेन का पार्ट है.

येलो चिल्ली की कोने वाली टेबल पर 30 वर्षीया लकी बहुत देर से बैठी फ्रैश लाइम वाटर पी रही है. उसे इंतज़ार है सुमित का. बस फोटो ही देखी है उस ने सुमित की. अपने घर वालों के कहने पर दोनों आज पहली बार अकेले मिल रहे हैं. सुमित अंदर आया, लकी ध्यान से सुमित को देख रही थी.

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8. सामने वाला फ्लैट: जोया और शिवा की कहानी

ठाणे के भिवंडी एरिया में नई बनी सोसाइटी ‘फ्लौवर वैली’ की एक बिल्डिंग के तीसरे फ्लोर के एक फ्लैट में 28 वर्षीय शिव त्रिपाठी सुबह अपनी पूजा में लीन था. तभी डोरबैल बजी. किचन में काम करती उस की पत्नी आरती ने दरवाजा खोला.

सामने वाले फ्लैट की नैना ने चहकते हुए कहा, ”गुडमौर्निंग आरती, दही जमाने के लिए खट्टा देना, प्लीज. रात को मैं और ज़ोया सारी दही खा गए, खट्टा बचाना याद ही नहीं रहा,” फिर गहरी सांस अंदर की तरफ खींचती हुई बोली, ”क्या बना रही हो, बड़ी खुशबू आ रही है. अरे, डोसा बना रही हो क्या?”

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9. मेहंदी लगी मेरे हाथ: अविनाश से शादी न होने के बाद भी उसे क्यों चाहती थी दीपा?

शादी के बहुत दिनों बाद मैं पीहर आई थी. पटना के एक पुराने महल्ले में ही मेरा पीहर था और आज भी है. यहां 6-7 फुट की गलियों में मकान एकदूसरे से सटे हैं. छतों के बीच भी 3-4 फुट की दूरी थी. मेरे पति संकल्प मुझे छोड़ कर विदेश दौरे पर चले गए थे. साल में 2-3 टूअर तो इन के हो ही जाते थे. मैं मम्मी के साथ छत पर बैठी थी. शाम का वक्त था. हमारी छत से सटी पड़ोसी की छत थी. उस घर में एक लड़का अविनाश रहता था. मुझ से 4-5 साल बड़ा होगा. मेरे ही स्कूल में पढ़ता था. मुझे अचानक उस की याद आ गई. मैं मम्मी से पूछ बैठी, ‘‘अविनाश आजकल कहां है?’’

‘‘मैं उस के बारे में कुछ नहीं जानती हूं. तुम्हारी शादी से कुछ दिन पहले वह यह घर छोड़ कर चला गया था. वैसे भी वह तो किराएदार था. पटना पढ़ने के लिए आया था.’’

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10. उजाले की ओर: क्या हुआ नीरजा और नील के प्यार का अंजाम?

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राशी कनाट प्लेस में खरीदारी के दौरान एक आवाज सुन कर चौंक गई. उस ने पलट कर इधरउधर देखा, लेकिन कोई नजर नहीं आया. उसे लगा, शायद गलतफहमी हुई है. उस ने ज्योंही दुकानदार को पैसे दिए, दोबारा ‘राशी’ पुकारने की आवाज आई. इस बार वह घूमी तो देखा कि धानी रंग के सूट में लगभग दौड़ती हुई कोई लड़की उस की तरफ आ रही थी.

राशी ने दिमाग पर जोर डाला तो पहचान लिया उसे. चीखती हुई सी वह बोली, ‘‘नीरजा, तू यहां कैसे?’’

दरअसल, वह अपनी पुरानी सखी नीरजा को सामने देख हैरान थी. फिर तो दोनों सहेलियां यों गले मिलीं, मानो कब की बिछड़ी हों.

‘‘हमें बिछड़े पूरे 5 साल हो गए हैं, तू यहां कैसे?’’ नीरजा हैरानी से बोली.

‘‘बस एक सेमिनार अटैंड करने आई थी. कल वापस जाना है. तुझे यहां देख कर तो विश्वास ही नहीं हो रहा है. मैं ने तो सोचा भी न था कि हम दोनों इस तरह मिलेंगे,’’ राशी सुखद आश्चर्य से बोली, ‘‘अभी तो बहुत सी बातें करनी हैं. तुझे कोई जरूरी काम तो नहीं है? चल, किसी कौफीहाउस में चलते हैं.’’

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