मीनाक्षी आकाश की बचपन की दोस्त थी और नमिता के प्रति उस के प्यार को सम   झती थी. वह जानती थी नमिता और आकाश की जोड़ी बहुत अच्छी रहेगी. आकाश बहुत अच्छा इंसान है. उस ने कई बार नमिता को शादी के विषय पर टटोलना चाहा लेकिन हर बार नमिता एक ही जवाब देती, ‘‘मैं अपनी जिंदगी से ऐसे ही खुश हूं. किसी बंधन में बंधना नहीं चाहती.’’‘‘लेकिन हर लड़की का एक सपना होता है कि उस का अपना एक घर हो, परिवार हो,’’ मीनाक्षी कहती.‘‘है तो मेरा परिवार, मांपिताजी हैं, भैयाभाभी हैं, एक प्यारा सा भतीजा है,’’ नमिता कहती.

‘‘हां लेकिन जैसे तुम्हारे भैया का अपना एक परिवार है क्या तुम्हारा मन नहीं करता कि वैसा ही एक परिवार तुम्हारा हो, बच्चे हों?’’  मीनाक्षी उसे उकसाती. ‘‘नहीं मैं ऐसे ही खुश हूं,’’ नमिता बात को वहीं खत्म कर देती.

मीनाक्षी को समझ नहीं आता कि नमिता आखिर शादी क्यों नहीं करना चाहती. क्या उस के मातापिता कमाऊ लड़की की शादी नहीं करना चाहते ताकि उस का पैसा उन्हें मिलता रहे, लेकिन ऐसा भी नहीं लगता क्योंकि उन्हें पैसों की कोई कमी नहीं थी, अच्छाभला व्यवसाय था उन का. मीनाक्षी का सिर घूम जाता सोचसोच कर लेकिन कोई कारण उसे समझ नहीं आता.

समय यों ही बीत रहा था. रजत और निशा की शादी हो गई और तनु और पंकज की सगाई हो गई. मीनाक्षी के लिए भी उस के घर वालों ने लड़का पसंद कर लिया था और जल्द ही उस की भी सगाई होने वाली थी. हर शनिवार अब भी आकाश के घर पर उन सब की महफिल जमती मगर जल्द ही मीनाक्षी शादी के बाद यूएस जाने वाली थी और रजतनिशा बैंगलुरु शिफ्ट होने वाले थे. कनु और पंकज भी विदेश में सैटल होने का सोच रहे थे.

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