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एक घटना ने अमिता की पूरी जिदगी ही बदल कर रख दी थी और जब आकाश ने उस से शादी करने की इच्छा जताई तो वह रो पड़ी. आखिर क्या हुआ था उस के साथ. ‘‘आज जाने की जिद न करो, यों ही पहलू में बैठे रहो,’’ कनु के स्वर की मधुर स्वरलहरियां कमरे में तैर रही थीं. सब लोग मगन हो कर सुन रहे थे.

निशा रजत के कंधे पर सिर रखे आंखें बंद कर के गाने का पूरा आनंद ले रही थी बल्कि गाने की पंक्तियों को साकार कर रही थी.

आकाश दीवार से सिर टिकाए सपनों में खोया था. उस का संपूर्ण वजूद एक अक्स से आग्रह कर रहा था, ‘‘आज जाने की जिद न करो...’’नमिता खोईखोई सी नजरों से न जाने कहां देख रही थी. आकाश ने पहलू बदलने के बहाने से एक भरपूर नजर से नमिता को देखा, काश कि यह बात वह खुद नमिता से कह पाता, ‘‘मेरी निमी सिर्फ आज नहीं बल्कि तुम कभी भी इस घर से, मेरे जीवन से जाने की बात मत करो. रह जाओ न सदा के लिए यहीं मेरे पास. देखो तुम्हारे बिना यह घर और मैं दोनों कितने अकेले हैं.’’

 

मगर आकाश कभी कह नहीं पाया. कितनी मुलाकातें, एक लंबा साथ, अच्छी दोस्ती, आपसी सामंजस्य सबकुछ है दोनों के बीच लेकिन तब भी नमिता की तरफ से किसी तिनके की ऐसी ओट है जिसे पार कर वह दोस्ती की हद से आगे अपनी भावनाएं व्यक्त नहीं कर पा रहा है उस के प्रति. बस रातदिन उस के अपने ही भीतर नमिता के प्रति प्यार का रंग गाढ़ा होता जा रहा है.

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