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लेखक- सुशांत सुप्रिय

‘यार, हौट लड़कियां देखते ही मुझे कुछ होने लगता है.’

मेरे पतिदेव थे. फोन पर शायद अपने किसी दोस्त से बातें कर रहे थे. जैसे ही उन्होंने फोन रखा, मैं ने अपनी नाराजगी जताई, ‘‘अब आप शादीशुदा हैं. कुछ तो शर्म कीजए.’’

‘‘यार, यह तो मर्द के ‘जिंस’ में होता है. तुम इस को कैसे बदल दोगी? फिर मैं तो केवल खूबसूरती की तारीफ ही करता हूं. पर डार्लिंग, प्यार तो मैं तुम्हीं से करता हूं,’’ यह कहते हुए उन्होंने मुझे चूम लिया और मैं कमजोर पड़ गई.

एक महीना पहले ही हमारी शादी हुई थी, लेकिन लड़कियों के मामले में इन की ऐसी बातें मुझे बिलकुल अच्छी नहीं लगती थीं. पर ये थे कि ऐसी बातों से बाज ही नहीं आते. हर खूबसूरत लड़की के प्रति ये खिंच जाते हैं. इन की आंखों में जैसे वासना की भूख जाग जाती है.

यहां तक कि हर रोज सुबह के अखबार में छपी हीरोइनों की रंगीन, अधनंगी तसवीरों पर ये अपनी भूखी निगाहें टिका लेते और शुरू हो जाते, ‘क्या ‘हौट फिगर’ है?’, ‘क्या ‘ऐसैट्स’ हैं?’ यार, आजकल लड़कियां ऐसे बदनउघाड़ू कपड़े पहनती हैं, इतना ज्यादा ऐक्सपोज करती हैं कि आदमी बेकाबू हो जाए.’

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कभी ये कहते, ‘मुझे तो हरी मिर्च जैसी लड़कियां पसंद हैं. काटो तो मुंह ‘सीसी’ करने लगे.’ कभीकभी ये बोलते, ‘जिस लड़की में सैक्स अपील नहीं, वह ‘बहनजी’ टाइप है. मुझे तो नमकीन लड़कियां पसंद हैं...’

राह चलती लड़कियां देख कर ये कहते, ‘क्या मस्त चीज है.’

कभी किसी लड़की को ‘पटाखा’ कहते, तो कभी किसी को फुलझड़ी. आंखों ही आंखों में लड़कियों को नापतेतोलते रहते. इन की इन्हीं हरकतों की वजह से मैं कई बार गुस्से से भर कर इन्हें झिड़क देती.

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