शाम के 4 बज रहे थे. गरमी से काजल की हालत खराब थी. वह सुबह 10 बजे घर से निकली थी. अभी मैट्रो से घर वापस आई थी. अब आ कर देखा तो लाइट नहीं थी. गरमी ने इस साल पूरे देश को जला रखा था. लोग दिनभर हाय गरमी हाय गरमी कर रहे थे. समृद्ध लोग ग्लोबल वार्मिंग पर बात करते हुए दिनबदिन कम होती जा रही हरियाली को कोसते, फिर घर आ कर एसी चला कर टांगें फैला कर पसर जाते. काजल दिनभर दिल्ली में एक सरकारी औफिस से दूसरे सरकारी औफिस धक्के खाती रही थी, लंच भी नहीं किया था. कहीं किसी दुकान पर एक गिलास लस्सी पी ली थी. अब रास्ते से ही उस के सिर में दर्द था. पूरा रास्ता सोचती रही कि घर जा कर नहाधो कर चायब्रैड खाएगी.

घर का दरवाजा खोलते ही दिल भारी सा हुआ. लगा, स्नेह में डूबी एक आवाज आएगी, ‘‘बड़ी देर लगा दी, बेटा,’’ पर अब यह आवाज तो कभी नहीं आएगी, सोचते हुए एक ठंडी सांस  ली और अपना बैग सोफे पर रख टौवेल उठा कर वाशरूम चली गई. वाशरूम में जा कर खूंटी पर टौवेल टांगा ही था कि फिक्र हुई कि मेन गेट अंदर से ठीक से बंद तो कर लिया है न.

आजकल यही तो होता है पता नहीं कितनीकितनी बार घर के दरवाजे चैक करती रहती है.

छत पर जाने वाले दरवाजे का ताला पता नहीं कितनी बार चैक करती, ठीक से बंद है या नहीं. शरीर पर पानी पड़ा तो चैन की सांस आई. पूरा दिन बदन जैसे आग में तपता रहा था. नहातेनहाते रोने लगी कि आओ मम्मी देखो, आप की फूल जैसी बच्ची कहांकहां दिनभर धक्के खा कर आई है, अब आप की बच्ची फूल सी नहीं रही. आप को पता है कि अपनी जिस बेटी को आप फूल सी बना कर पालते रहे, वह फूल अब कांटों से घिरा है?

शावर से गिरते पानी में आंसू मिलते रहे. नहा कर निकली, बस एक हलका छोटा सा  स्लीवलैस टौप पहन लिया. नीचे नामभर की शौर्ट्स पहनी. अकेली ही तो थी घर में, कुछ पहनने का मन नहीं किया. अब बस 1 कप चाय और 2 ब्रैडस्लाइस, फिर थोड़ी देर आराम करेगी. फ्रिज खोला, सिर पकड़ लिया, सुबह जल्दी निकलने के चक्कर में भूल गई थी, दूध खत्म हो गया है. ब्रैड भी तो नहीं है.

पापा के रहते ऐसा कभी नहीं होता था. वह इस बात का हमेशा ध्यान रखते कि फ्रिज भरा रहे. क्या खाए, कुछ सम झ नहीं आया तो मैगी बनने रख दी. पानी, मैगी मसाला, नूडल्स एकसाथ सबकुछ डाल दिया. आंच धीमी कर थोड़ी देर लेटने चली गई. बिस्तर पर लेटी क्या, औंधी पड़ी थी.

काजल 35 साल की देखने में ठीकठाक, पढ़ीलिखी, आधुनिक, अब दुनिया में अकेली रह गई अविवाहित लड़की. 24 साल की थी तो उस की मम्मी की अचानक हार्ट फेल से डैथ हो गई थी. पितापुत्री पर कहर सा टूटा था. शांत सीधे से सरकारी अफसर पापा की देखरेख के लिए उस ने दिल्ली से बाहर शादी करने का मन नहीं बनाया, जिन पापा का हमेशा साथ देने के लिए उन की एक आवाज पर हाजिर रहती, वही अब अचानक हमेशा के लिए छोड़ कर चले गए थे. उस के पापा का भी हार्ट फेल हुआ था. भरी दुनिया में काजल उन के अचानक जाने से ठगी सी रह गई थी. इस के लिए तो सोचा ही नहीं था पर भला इंसान जो सोचता है, क्या हमेशा वही होता है? वक्त की हर शय गुलाम, वक्त का हर शय पर राज.

अभी तक काजल अपना पूरा ध्यान अपने पापा में, घर में और अपने किसी न किसी कोर्स में लगाती रही थी. अब जाने कितने काम निकल आए थे, पैंशन पेपर्स और प्रौपर्टी ट्रांसफर के पेपर्स बनवाने के लिए उसे बहुत धक्के खाने पड़ रहे थे. मैगी बनने की खुशबू आई तो भूख फिर जाग गई. पेट कोई  दुखदर्द नहीं देखता. पेट शायद हमेशा ही एक छोटे बच्चे की तरह रहता है, जब उस का टाइम हो, उसे जरूरत हो तो बस चाहिए. काजल उठी, मैगी प्लेट में डाली, उसे अपने पापा की याद आई, उन्हें भी मैगी पसंद थी. दोनों पितापुत्री बहुत शौक से मैगी खाते थे. मम्मी डांटती रह जाती कि दोनों अनहैल्दी चीजें खाते हो. काजल की आंखों के आगे वे दृश्य उपस्थित हो गए. ऐसा तो अब पता नहीं कितनी बार होता था.

टीवी देखते हुए मैगी जल्दीजल्दी खाई, बहुत भूख लग रही थी. अपनी पसंद की चीज देखते ही वैसे भी भूख बढ़ जाती है. खास दोस्त तनु और रवीना के फोन आ रहे थे. उस ने दोनों को मैसेज डाल दिया कि बहुत थकी हुई हूं, बाद में कौल करूंगी. ये दोनों सहेलियां उस की शुभचिंतक थीं, दोनों मैरिड थीं. तनु कोलकाता में और रवीना रोहिणी, दिल्ल में ही रहती थी. दोनों उस की खोजखबर लेती रहतीं.

मैगी खा कर वह बैड पर लेटी ही थी कि डोरबेल बजी. मेन गेट पर बड़ीबड़ी ग्रिल वाला डिजाइन था, किचन की खिड़की से दिख जाता कि कौन है. काजल ने किचन से  झांका, उमेश था. उसे देखते ही काजल का मूड खराब हो गया. उस का चचेरा भाई. काजल के काफी रिश्तेदार आसपास ही थे पर वह उन सब से बहुत परेशान हो चुकी थी.

जब से उस के पापा गए थे, उन की मौरल पौलिसिंग बढ़ गई थी. उस की किसी चीज की किसी को चिंता नहीं थी, उस की किसी परेशानी से मतलब नहीं था पर वह कब क्या कर रही है, इस की उन्हें पूरी जानकारी होना वे सब अपना फर्ज सम झते. उन सब को काजल को परेशान होते देख एक आनंद आता.

काजल सोच में ही थी कि क्या करे. दरवाजा खोले या नहीं. तभी उमेश जोर से आवाज देने लगा, ‘‘अरे, काजल दरवाजा खोल. अभी मैं ने तु झे आते देखा है अरे, कहां है?’’

काजल ने अभी जो आरामदायक कपड़े पहने थे, वे जल्दी से उतारे, एक कुरता और जींस पहन दरवाजा खोला. उमेश उस से 2 साल बड़ा था, विवाहित था, एक बेटे जय का पिता था. उमेश की पत्नी मेखला भी काजल को खास पसंद नहीं थी. उस के दिल में काजल के प्रति ईर्ष्या का भाव है, काजल को हमेशा यही महसूस हुआ. काजल ने बिना गेट खोले रूखे स्वर में पूछा, ‘‘क्या है? मैं अभी आराम कर रही हूं. अगर कोई जरूरी काम नहीं है तो बाद में आना.’’

‘‘अरे, दरवाजा तो खोल, तेरा भाई तेरा हाल पूछने आया है. कहां गई थी? मैं अभी दुकान पर ही था, तु झे आता देखा तो आ गया.’’

काजल ने चिढ़ते हुए दरवाजा खोल दिया, ‘‘दुकान छोड़ कर आ गया?’’

अंदर आ कर उमेश सोफे पर पसर गया, कहा, ‘‘चल, चाय पिला दे.’’

‘‘दूध नहीं है.’’

‘‘सुबह से बाहर थी, कहां घूम कर

आई है?’’

‘‘तु झे क्या मतलब है?’’

उमेश ने उसे ऊपर से नीचे तक घूरा, फिर कहा, ‘‘बड़ी थकी हुई लग रही है? कहां ऐश हो रही है?’’

‘‘यह ऐश तुम लोगों को भी मिले, यही कह सकती हूं.’’

उमेश की पास में ही कपड़ों की दुकान थी. यहां सब रिश्तेदारों के घर आसपास थे, काजल के काम तो कोई नहीं आ रहा था, उलटा जब भी कोई आता उसे चार बातें सुना जाता.

काजल ने कहा, ‘‘देख उमेश मु झे अभी बहुत काम हैं, अभी तू जा और हो सके तो तुम सभी लोग यहां आना छोड़ दो.’’

‘‘जब से अकेली रह गई है, बहुत बदतमीज होती जा रही है. अकेले छोड़ दें ताकि तू खानदान की नाक कटवा दे? पापा भी कह रहे थे कि तू किसी का फोन नहीं उठाती,’’ फिर उस की आंखों में जो भाव आए, काजल का मन हुआ उसे धक्के दे कर निकाल दे.

उमेश कह रहा था, ‘‘वैसे तू कुछ पतली सी हो गई है और अच्छी लगने लगी है.’’

काजल अभी तक खड़ी ही थी ताकि वह सम झ जाए कि काजल चाहती है कि वह जल्दी चला जाए. काजल ने जानबू झ कर कहा, ‘‘चल, तेरे पास इतनी फुरसत है तो दूध ला कर दे दे.’’

‘‘पागल हो गई है क्या, तेरा हालचाल पूछने के लिए दुकान छोड़ कर आया हूं, काम देखना है,’’ काम सुनते ही उमेश हमेशा की तरह जाने के लिए उठ कर खड़ा हो गया और चला गया.

काजल को अब 1-1 रिश्तेदार की हकीकत सम झ आ गई थी कि कोई उस का साथ नहीं देगा बल्कि उस की परेशानियां ही बढ़ाई जाती हैं. अब वह वक्त के साथ इन सब से निबटना सीख चुकी थी. उस ने फिर अंदर से गेट बंद किया और कपड़े फिर बदले और जा कर लेट गई. तभी काजल के मामा राजीव का फोन आया, ‘‘कहां घूमती रहती है? मांबाप के जाने के बाद एकदम बेलगाम हो गई है. मैं दिन में 2 बार आया, कहां थी?’’

‘‘जहां आज मैं गई थी, आप मेरे साथ कल चलना, मामाजी. मैं भी चाहती हूं कि कोई बड़ा मेरे साथ जाए तो मेरा पेपर वर्क थोड़ा जल्दी हो जाए.’’

यह बात सुन कर मामाजी की आवाज ढीली हो गई, कहा, ‘‘तू तो जानती ही है कि मेरी तबीयत कितनी खराब रहती है. ऐसा कर उमेश को ले जा, उन लोगों का भी तो फर्ज है कुछ.’’

‘‘आप का बेटा क्या सोशल मीडिया पर ही मु झे फौलो करेगा कि मैं कब क्या कर रही हूं. उसे बोलो मामाजी, रियल लाइफ में मेरे साथ चला करे.’’

‘‘वह तो अपनी जौब में बिजी है न.’’

‘‘पता है मु झे सब लोग कितने बिजी हो.’’

‘‘सचमुच बदतमीज होती जा रही है,’’ कह कर मामाजी ने फोन रख दिया.

काजल का मन खराब हो गया. इन सब से बात कर के वह बहुत देर तक उदास रहती. कोई उस से नहीं पूछता कि वह कैसी है, उसे कोई परेशानी तो नहीं. सब ऐसे व्यवहार करते हैं जैसे वह दिनरात कोई गलत काम कर रही है. अब अकेली रह गई है तो सब के लिए जवाबदेही बढ़ गई है? अकेली मतलब बुरी? इतना पढ़लिख लिया है, कोई जौब भी ढूंढ़ ही लेगी पर यह समाज क्या हमेशा ऐसा ही रहेगा? ये सब उस की पर्सनल लाइफ की खोजबीन ही करते रहेंगे? हमारे समाज में अकेली अविवाहित युवा, युवा विधवा, युवा तलाकशुदा का जीवन कितना संघर्षभरा है, ये वही जानती हैं. समाज इन्हें नीचा दिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ता.

काजल ने तनु और रवीना को लेटेलेटे ग्रुप कौल किया, दोनों उस से उस का हालचाल लेती रहीं. उमेश और मामा से हुई बात बताते हुए काजल को रोना आ गया. दोस्त भी उदास हुईं, तनु ने कहा, ‘‘तु झे इन सब से एक दूरी बनानी होगी, तभी तू शांति से अपने काम कर पाएगी. कल कोई जौब करेगी तब भी ये सब तेरा जीना मुश्किल ही करेंगे.’’

‘‘तो क्या करूं? उमेश जब चाहे, मुंह उठा कर चला आता है जैसी नजरों से देखता है. उसे पीटने का मन करता है. एक दिन कह रहा था कि मूवी चलेगी? मैं ने मना किया तो कहने लगा कि ‘‘मु झे ही अपना बौयफ्रैंड सम झ ले, तेरी सारी परेशानियां कम हो जाएंगी.

‘‘मैं ने कहा कि चाचा को बताती हूं तो हंस दिया कि अरे मेरी बहन है तू, मजाक नहीं कर सकता क्या? चचेरे भाईबहन तो कितने ही मजाक करते हैं और फिर बेशर्मी से हंस दिया कि तु झे क्या पता, मजाक के साथसाथ क्याक्या चलता है कजिंस में मु झे सम झ नहीं आ रहा है कि मैं कैसे इन सब से निबटूं?

‘‘अब पैंशन औफिस में क्या कह रहे हैं?’’

‘‘15 दिन बाद आने के लिए कहा है. सोच रही हूं, एक वैलनैस सैंटर खुला है दिल्ली से निकलते ही, नोएडा वाले रोड पर. मु झे मैंटल पीस चाहिए, तुम लोगों को भी सही लगता है तो कुछ दिनों के लिए चली जाऊं?’’

दोनों कुछ देर सोचती रहीं, फिर रवीना ने कहा, ‘‘हां, अभी एकाध हफ्ता कहीं मूड चेंज करने के लिए चली जा. ठीक लगे तो रुकना नहीं तो या मेरे पास या तनु के घर आ जाना. हमारा घर तेरा अपना ही है, संकोच मत करना. अभी अंकल को गए 4 महीने ही तो हुए हैं, घर में मन भी नहीं लगता होगा. सम झ रही हूं, तेरे रिश्तेदार किसी काम के नहीं. तेरी मानसिक शांति ही भंग करते हैं और इस उमेश के लिए तो गेट खोला ही मत कर.’’

‘‘हां, यह फोन पर भी उलटेसीधे मैसेज भेजता रहता है.’’

‘‘पढ़वा दे इस की पत्नी को, दिमाग ठिकाने आ जाएगा.’’

‘‘सोच रही हूं, काफी रिश्तेदारों को ब्लौक कर दूं. अभी भी तो बुरी लड़की ही सम झ रहे हैं, बात नहीं होगी तो मेरा दिमाग तो नहीं खाएंगे.’’

‘‘हां, कर दे ब्लौक.’’

‘‘सचमुच कर दूं?’’

‘‘हां, कर दे.’’

थोड़ी देर बाद सब ने फोन रख दिया. फोन रखने के बाद काजल ने सोचा, वह अकेली रहती है, अब उस का कोई नहीं. जो भी दोस्त हैं, दूर हैं. 1-2 दोस्त और भी हैं, अमित और नैना. दोनों उस के साथ पढ़े हैं. अमित तो उस के घर से 2 किलोमीटर दूर ही है, नैना पटपड़गंज में. दोनों पापा के जाने के बाद उस के घर कई बार आ चुके हैं, मुसीबत में काम भी आएंगे, उसे यह भी यकीन है. ये रिश्तेदार उसे सिर्फ ताने मारते हैं, उस का मजाक उड़ाते हैं, ये सब उस के किसी काम नहीं आने वाले हैं. उमेश की गंदी नजरों से बचना ही अब बहुत मुश्किल होता जा रहा है पर अपनी सेफ्टी के लिए उसे कई कदम उठाने ही होंगे. अकेली है तो क्या जीना छोड़ दे?

काजल ने अब उमेश को और कई लोगों को फोन पर ब्लौक कर ही दिया. देखा जाएगा और बुरी सम झ लें, क्या फर्क पड़ जाएगा. फिर उस ने आसपास के वैलनैस सैंटर ढूंढे़. उस का मन था कि दिल्ली से थोड़ा बाहर निकले. यहां की हवा में तो अब सांस भी मुश्किल से आती थी, हर तरफ धुआं ही धुआं, गरमी, अजीब सा मौसम और माहौल. उसे नोएडा वाला ही सैंटर सम झ आया, नैचुरल वैलनैस सैंटर. उस के पास उस के अकाउंट में इतने पैसे थे कि उस के खर्चे आराम से पूरे हो रहे थे. यहां 15 हजार 1 हफ्ते का था, उसे पहले तो ज्यादा लगे पर उस ने सोचा कि उस की मैंटल हैल्थ के लिए यहां से कुछ दिन दूर होना उस के लिए जरूरी है. उस ने रजिस्ट्रेशन करवा लिया. उसे अब अगले दिन ही सुबह निकलना था. वह अब कुछ तैयारी करने लगी. बाहर निकल कर दूध और भी कुछ चीजें लेने निकलीं.

काजल ने सोचा इस समय बस थोड़ी सी खिचड़ी बना लेगी. सुबह चायब्रैड खा कर निकल जाएगी. 5 मिनट दूर ही सब दुकानें थीं. उस ने घर का कुछ सामान लिया. इस समय रात के 8 बज रहे थे. इस समय भी इतनी उमस थी, पसीना पोंछती सब सामान ले कर घर की तरफ बढ़ ही रही थी कि उमेश ने आ कर पीछे से जोर से बोलते हुए डरा ही दिया, ‘‘तेरे फोन को क्या हुआ?’’

काजल तेजी से चली, कहा, ‘‘मेरे पीछे आया तो तेरे घर जा कर मेखला के सामने क्याक्या कहूंगी, कई दिन याद रखेगा, सम झा?’’

पत्नियों के नाम से अच्छेअच्छों को डर लगता है. भरी भीड़ में उमेश उस समय तो चुप हो गया पर मन में सोचा, इसे तो बाद में देख लूंगा.

घर जा कर काजल ने अपने दिल की बेतरतीब धड़कनें संभालीं. हमारे समाज में एक अकेली लड़की की परेशानी सम झना आसान नहीं है. कैसेकैसे भेडि़ए अपनों की शक्ल में आसपास घूमते हैं, अपनों से ही अपनी सुरक्षा करनी होती है. उस ने नैना और अमित को भी फोन कर के सब बता दिया और सब दोस्तों को अगले हफ्ते लगातार टच में रहने के लिए कहा.

काजल ने अगले दिन निकलने के लिए अपनी पैकिंग की, खिचड़ी बनाई, स्नेहिल सुधा जिसे काजल, आंटी कहती थी, जो उस की मम्मी के समय से घर के काम करती थीं, उन्हें सुबह जल्दी आने के लिए कहा. घर में हर तरफ उसे अपने मम्मीपापा दिखते, लगता कहीं नहीं गए हैं, उस के आसपास ही हैं. मगर यह तो मन को बहलाने वाली बात थी. वह अकेली है, वह जानती थी. उस ने गूगल पर इस नैचुरल वैलनैस सैंटर के बारे में और पढ़ा. वहां प्राकृतिक माहौल में मैडिटेशन, ऐक्सरसाइज, हैल्दी लाइफस्टाइल के बारे में सिखाया जाता था. रिव्यू अच्छे थे. उसे सब ठीक ही लग रहा था. इस का एड उसे न्यूजपेपर में काफी टाइम से दिख रहा था.

अगले दिन सुधा आंटी से काम कराते हुए काजल ने अपने जाने के बारे में बता दिया. सुधा को अब उस की फिक्र रहती, उसे अपना ही सम झती थी. अब नौकर और मालिक का रिश्ता न था, इंसानियत और स्नेह

का रिश्ता था. सुधा ने उसे सुरक्षा सबंधी कई निर्देश दिए. वह भी जानती थीं काजल आज की पढ़ीलिखी लड़की है, अलर्ट रहती है. इतने सालों से एक मासूम बच्ची को मजबूत बनते देख रही थी.

काजल मैट्रो से नोएडा पहुंच गई. सैंटर तक पहुंचने में उसे कोई दिक्कत नहीं हुई. आजकल तो वह वैसे भी पता नहीं कहांकहां किसकिस विभाग में चक्कर काट रही थी. अब तो मशीन की तरह एक से दूसरी जगह पहुंचती रहती. दिल्ली में ही जन्मी और पलीबढ़ी थी. रिसैप्शन पर उस ने एक फौर्म भरा, अपनी कुछ डिटेल्स दी. वहां की हरियाली ने उस का मन मोह लिया. लगा ही नहीं कि आसपास इतना सुंदर कोई सैंटर था. बहुत शांति थी. वहां के स्टाफ की एक 20-21 साल की लड़की मुसकराते हुए उसे एक रूम तक ले गई, कहा, ‘‘काजल, आप फ्रैश हो लें. फिर 1 घंटे बाद हौल में मिलते हैं.’’

काजल ने पूछ लिया, ‘‘यहां कितने लोग हैं? सब को 1-1 रूम मिलता है?’’

‘‘इस हफ्ते के बैच में यहां 20 लोग हैं,

2 पुरुषों को एक रूम शेयर करना होता है, किसी लड़की को एक ही रूम दिया जाता है. उसे शेयर नहीं करना पड़ता.’’

‘‘क्यों?’’

‘‘उन की प्राइवेसी का ध्यान रखना पड़ता है,’’ कहते हुए वह जब मुसकराई तो उस की स्माइल काजल को कुछ भाई नहीं.

1 घंटा काजल ने आराम किया, अपने दोस्तों को, यहां तक कि सुधा आंटी को भी अभी तक के अपडेट्स दे दिए. सभी ने उसे ध्यान से रहने के लिए कहा. सभी को उस की चिंता थी. सभी चाहते तो यही थे कि वह किसी अनजान जगह न जाए पर पिछले कुछ महीनों से काजल जिस उदास दौर से गुजर रही थी, सब ने उस की हां में हां यही सोच कर मिला दी थी कि कहीं निकलेगी तो उस का मन बहलेगा. हौल में पहुंच कर वहां आए लोगों पर एक नजर डाली. सभी उम्र के लोग थे. काजल ने एक बात जरूर नोट की कि स्टाफ की लड़कियां बैच के पुरुषों को कुछ अलग तरह से अटैंड कर रही थीं. उसे अजीब सा लगा. इन लड़कियों की ड्रैस थी, वाइट कलर का टौप और वाइट कलर की ही ढीली सी पैंट. यह ड्रैसकोड काफी स्टाइलिश लग रहा था. फिर वहां 2 लड़के और 2 लड़कियां आए, इन लड़कों ने बड़े स्टाइलिश कुरतेपजामे पहने हुए थे, लड़कियों ने कुरता और लैगिंग. ये चारों वहां बने एक छोटे से स्टेज पर गुरुओं की तरह बैठ कर सब का वैलकम करते हुए अपने वैलनैस प्रोग्राम के बारे में बताने लगे. बैच के लोग इन के सामने जमीन पर बिछी दरी पर बैठे थे.

स्टाइलिश गुरुओं ने सब पर नजर डाली, फिर एक गुरु की नजर काजल पर अटक गई. काजल कुछ असहज हुई. फिर कुछ प्राणायाम हुआ, कुछ ओशो जैसी बातें हुईं. काजल को याद आया कि ये सब ज्ञान की बातें तो इंस्टाग्राम पर रील्स पर खूब घूमती हैं. काफी कुछ यौगिक क्रियाओं पर बातें हुईं. कभी कोई गुरु बोल रहा था, कभी कोई, जैसे सब ने अपनीअपनी बातें रट रखी हों. काजल हैरान सी थी कि सबकुछ कितना मैनेज्ड है. 2 घंटे बाद कहा गया कि जा कर सब लोग थोड़ा आराम कर लें, फिर सैंटर में थोड़ा टहल कर आएं, लंच सब साथ करेंगे. बता दिया गया कि कैंटीन किधर है.

यहां इतनी गरमी, घुटन नहीं थी जितनी काजल को दिल्ली में लग रही थी. इस का कारण यहां की हरियाली होगा. काजल को यहां सब शांत लग रहा था, शांत पर कुछ अलग. लोग आपस में एकदूसरे से पूछने लगे कि कौन कहां से क्यों आया है. कारण लगभग एक सा ही था. बोरिंग लाइफ में

कुछ चेंज के लिए. काजल को छोड़ कर सब के साथ एक न एक परिवार वाला या दोस्त था. वही बिलकुल अकेली थी. सब रूम शेयर कर रहे थे. उसी के पास सिंगल रूम था. सादा स्वादिष्ठ खाना सब ने साफसुथरी कैंटीन में साथ ही खाया. चारों गुरुओं ने भी अपने नाम पल्लवी, ऋतु, रजत और चिराग बताए और अपना परिचय दिया. सब ने कोई न कोई बड़ी डिग्री ली हुई थी पर अब शौकिया अच्छे मनपसंद काम में समय बिता रहे थे.

खाना हो गया तो रजत ने कहा, ‘‘अब आप लोग जो चाहें करें, 4 बजे वापस हौल में आ जाएं, 1 घंटा कुछ बातें करेंगे, फिर शाम की सैर, फिर कुछ ऐक्सरसाइज. यहां वहां सामने एक छोटी सी लाइब्रेरी भी है, जो चाहे, वह करें. हौल में फोन बंद ही रखें.’’

रजत ने काजल से कहा, ‘‘आप अकेली हैं, चाहें तो हमारे स्टाफ के साथ घूम सकती हैं या हम लोग भी हैं, हमारे साथ भी टाइम बिता सकती हैं,’’ कहतेकहते उस ने काजल को जिन नजरों से देखा, उसे उमेश याद आ गया. वह दुखी तो थी पर मूर्ख तो बिलकुल नहीं थी.

काजल ने सामान्य से स्वर में कहा, ‘‘थैंक्स, अभी तो मैं थोड़ी देर सामने पेड़ के नीचे रखी चेयर पर कुछ देर बैठना चाहूंगी. फिर हौल में ही मिलती हूं.’’

‘‘श्योर, एज यू विश, ऐंजौय द ब्यूटी औफ दिस प्लेस,’’ कह कर वह चला गया.

काजल इधरउधर देखती हुई पेड़ के नीचे रखी 2 सुंदर चेयर्स में से एक पर बैठ गई. यहां अच्छा तो लग रहा था पर मन में कुछ खटक रहा था. दोस्तों के व्हाट्सऐप पर कई मैसेज आए हुए थे कि ठीक हो न, सब ठीक है? कुछ रिश्तेदारों के भी मैसेज थे कि कहां घूम रही हो? तुम्हारे घर पर ताला क्यों लगा है? सुबहसुबह कहां निकल जाती हो?

काजल ने अपने दोस्तों से बात की, सब बताया कि अभी तक क्या चल रहा है. इन रिश्तेदारों को ब्लौक कर दिया जिन्हें बस सवाल पूछने थे.

तभी काजल को एक लगभग 50 साल का व्यक्ति अपनी ओर आता दिखा, स्टाइलिश सूट में, मौडर्न शूज, शानदार परफ्यूम की खुशबू बिखेरता उस के सामने आ कर खड़ा हो गया. अपना परिचय दिया, ‘‘हैलो काजल, मैं रवि कुमार. यहां का ओनर, यहां का कांसैप्ट मेरा ही है. आप डिस्टर्ब न हों तो मैं थोड़ी देर आप को कंपनी देना चाहूंगा. आप अकेली हैं, आप को अभी तक यहां कोई प्रौब्लम तो नहीं, बस आप से मिलने आ गया.’’

‘‘नो प्रौब्लम, रविजी, आप से मिल कर खुशी हुई. आइए, बैठिए.’’

रवि उस की ऐजुकेशन, उस के पेरैंट्स के बारे में बात करता रहा, उस के आगे के प्लान पर बात करता रहा. अपने बारे में बताता रहा, उस ने शादी नहीं की थी. वह सालों से इसी कौंसैप्ट पर काम करने में बिजी रहा. फिर कहने लगा, ‘‘आप यहां 1 हफ्ता आराम से रहिए, रातदिन किसी भी टाइम कंपनी चाहिए तो मु झे फोन कर दीजिए, मैं आप की सेवा में हाजिर हो जाऊंगा, आप भी अकेली, मैं भी अकेला. यह रहा मेरा कार्ड,’’ कह कर वह जिस तरह से हंसा, काजल को उमेश की मक्कारी वाली हंसी याद आ गई. वह सोचने लगी कि यहां के लोगों को देख कर उसे उमेश का ध्यान क्यों आ रहा है. आंखों से ही बहुत कुछ कह कर रवि कुमार चला गया. काजल ने ठंडी सांस ली. उफ, उसे क्यों लग रहा है जैसे यह वैलनैस सैंटर किसी मौडर्न बाबा का मौडर्न आश्रम है, अकेली लड़की पर यहां कुछ खास मेहरबानी हो रही है. उसे उमेश जैसी नजरों से देखा जा रहा है. उसे हवा में ही किसी खतरे की गंध आई. उस ने फौरन अमित को फोन लगा दिया, ‘‘अमित, तुम मु झे यहां आ कर तुरंत ले जाओ, बोलना फैमिली इमरजैंसी है. ये लोग कुछ कहें तो अड़ जाना. सख्ती से बात करना.’’

‘‘क्या हुआ? तुम ठीक तो हो?’’

‘‘बस, मु झे आज ही यहां से ले जाओ. और हां, ये लोग हौल में फोन बंद करने के लिए कहते हैं. अब तुम देख लेना कि क्या कैसे करना है. यहां अंदर आ जाओ तो कौल करना, मैं सम झ जाऊंगी कि तुम आ गए हो.’’

‘‘चिंता मत करो, अभी औफिस से निकल रहा हूं.’’

काजल ने बाकी दोस्तों को भी सब बता दिया. सब परेशान हो गए पर सब को यही ठीक लगा कि किसी अनहोनी का इंतजार न किया जाए. अभी निकला जाए.’’

काजल हौल में सब के साथ बैठी थी, उस के कुरते में फोन वाइब्रेट कर रहा था पर इस समय वह फोन उठा नहीं सकती थी. उस ने रूमाल निकालने के बहाने देख लिया कि अमित कौल कर रहा है. वह अब कुछ निश्चिंत हो गई. इस समय मंच पर रजत और पल्लवी सही तरह से सांस लेने की टैक्नीक बता रहे थे. काजल का अब पूरा ध्यान 1-1 आवाज पर था. किसी ने आ कर रजत के कान में कुछ कहा, उस के चेहरे पर नागवारी के भाव आए.

रजत ने पल्लवी को धीरे से कुछ कहा, फिर उस ने घोषणा की, ‘‘काजल, हौल से बाहर जाइए, आप से कोई मिलने आया है. कुछ अर्जैंट है.’’

काजल कुछ न सम झने की ऐक्टिंग करते हुए बाहर निकली, औफिस की तरफ गई, वहां खड़े अमित ने बहुत ही गंभीर स्वर में कहा, ‘‘तुम्हारा फोन ही नहीं लग रहा है, बहुत बुरी खबर है.’’

‘‘अरे, क्या हुआ?’’

‘‘तुम्हारे कजिन की ऐक्सीडैंट में डैथ हो

गई है.’’

‘‘उफ…’’

‘‘जल्दी चलो, तुम्हारे चाचा ने फौरन

बुलाया है.’’

वहीं कुछ दूरी पर रवि कुमार भी खड़ा था. उस का चेहरा ऐसा था जैसे हाथ आए खजाने को कोई छीन कर भाग गया हो. फिर भी उस ने कोशिश की, ‘‘सो सौरी, काजल. बहुत दुख हुआ. आप चाहें तो दोबारा आ जाएं. आप की फीस तो जमा ही रहेगी, हम उसे तो वापस नहीं कर सकते.’’

‘‘जी, थैंक यू, कोशिश करूंगी कि जल्दी आ जाऊं.’’

काजल ने पहले से तैयार अपना बैग जल्दी से जाकर उठाया. वहां से अमित और काजल भागते हुए ही निकले. अमित अपनी कार ले कर आया था. कार में बैठते हुए अपनी सीट बैल्ट लगाते हुए दोनों ने चैन की सांस ली, अमित ने पूछा, ‘‘अब बताओ यार क्या हुआ था?’’

‘‘अभी तक तो कुछ नहीं हुआ था पर मु झे पूरा यकीन है कि यह मौडर्न वैलनैस सैंटर किसी ऐयाश बाबा के आश्रम का ही नया रूप है. नए रैपर में पुरानी मिठाई ही है.’’

‘‘फिर तो समय रहते वहां से निकलना ही ठीक था. इस जगह की शिकायत करनी है?’’

‘‘अभी मेरे पास कोई पू्रफ नहीं है.’’

‘‘हां, यह बात भी है.’’

दोनों बहुत सी बातें करते रहे. काजल ने एक जगह कहा, ‘‘बस मु झे यहीं उतार दो, यहां से मैं मैट्रो पकड़ सकती हूं. मु झे घर छोड़ने जाओगे तो तुम्हें लंबा रास्ता पड़ेगा. थैंक यू, दोस्त. अब तुम ही लोग हो मेरे पास,’’ कहतेकहते काजल का गला भर आया.

अमित ने कहा, ‘‘किसी बात की टैंशन न ले, घर जा कर आराम कर. जल्द ही सब मिलते हैं.’’

इस तरह की अकेली रहने वाली लड़कियों के पास कुछ अच्छे दोस्त भी होते हैं जिन पर ये यकीन कर सकती हैं. ऐसे दोस्तों के कारण इन की दुनिया कुछ सुंदर तो हो ही जाती है. दोस्ती में अगर स्वार्थ, ईर्ष्या न हो तो यह रिश्ता दुनिया का सब से सुंदर रिश्ता होता है.

काजल ने मैट्रो पकड़ी. उसे अच्छा लग रहा था कि आज सुबह से उसे किसी रिश्तेदार का फोन नहीं आया न आगे आना था. सब से कटने का वह मन बना ही चुकी थी. उस ने घर आ कर सुधा आंटी को बता दिया कि वह आ गई है. उस के जल्दी आने पर वह चिंतित हुई. उसे चैन नहीं आया कि काजल तो

1 हफ्ते के लिए गई थी, आज ही कैसे आ गई? वह देखने आ ही गई, ‘‘काजल. आज ही कैसे आ गई, बेटा?’’

काजल ने सब कह सुनाया. आंटी हैरान हुई, दुखी भी हुई. बोली, ‘‘कितनी सम झदार हो तुम, आज का दिन मुश्किल सा रहा होगा पर ऐसी बातें तुम्हें बहुत मजबूत बना देंगी. आराम करो, बेटा सुबह आती हूं. अपनी मम्मी वाला गाना याद कर लो,’’ स्नेह भरे स्वर में कह कर आंटी तो चली गई पर आंटी की कही बात को काजल देर तक सोचती रही, मथती रही. लगा, मम्मी घर के ही किसी कोने में गुनगुना रही हैं कि ऐ दिल तु झे कसम है, तू हिम्मत न हारना, दिन जिंदगी के जैसे भी गुजरें, गुजारना…’’

काजल को यह गाना याद कर मम्मी की याद आई तो कुछ आंसू भी गालों पर बह चले पर अपने दिल पर हाथ रख कर कहा कि चल दिल, हिम्मत नहीं हारनी है, जीना है और हिम्मत से जीना है और फिर उस ने अपने सब दोस्तों को यह एक लाइन गा कर वौइस मैसेज भेज दिया. काजल का मैसेज सब फौरन देखते थे. सब की हार्ट वाली इमोजी और थम्सअप आ गया.

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