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घर आ कर मां से सारी बात बताई और फफक कर रो पड़ी, ‘‘साहिल ने मुझे धोखा दिया. अब मैं उस के साथ नहीं रह सकती.’’

बड़ी बेगम का दिल रो पड़ा. वर्षों पहले जिस आग में उन का घर जला था आज उन की बेटी के घर पर उस की आंच आ गई.

निकाह में शर्तें रखने से भी क्या हुआ? सब मर्द एकजैसे होते हैं, जब जिसे मौका मिल जाए कोई नहीं चूकता.

बड़ी बेगम ने बेटी को संभाला, ‘‘बेटी मैं तुम्हारा दुख समझ सकती हूं. तुम सो जाओ.’’ और उस का सिर अपनी गोद में रख कर सहलाने लगीं.

दूसरे दिन जब सनोबर औफिस गई और बच्ची स्कूल तो साहिल आया. जानता था बड़ी बेगम अकेली होगी. नौकरानी ने बैठाया. बड़ी बेगम को सलाम कर के बैठ गया. धीरे से बोला, ‘‘खालाजान, मुझ से बड़ी गलती हो गई. मैं एक कमजोर पल में बहक गया था. मुझ से गलती हो गई. मैं कसम खाता हूं अब कभी ऐसा नहीं होगा. मुझे माफ कर दीजिए, सनोबर से माफ करवा दीजिए,’’ इतना सब वह एक सांस में ही कह गया था.

बड़ी बेगम चुप रहीं. उन को बहुत दुख था और गुस्सा भी. साहिल की बातों और आंखों में शर्मिंदगी और पछतावा था. वे धीरे से बोलीं, ‘‘मैं कुछ नहीं कर सकती, जैसा सनोबर चाहे.’’

‘‘खालाजान मेरा घर टूट जाएगा, मेरी बेटी मेरे बारे में क्या सोचेगी? मैं सनोबर के बिना जी नहीं सकता.’’

बड़ी बेगम कुछ न कह सकीं.

शाम को जब सनोबर औफिस से आई तो बड़ी बेगम ने बताया कि साहिल आया था और माफी मांग रहा था.

सनोबर ने गुस्सा किया, ‘‘आप ने उसे आने क्यों दिया? हमारा कोई रिश्ता नहीं उस से. मैं तलाक लूंगी.’’

बड़ी बेगम को याद आया जब वकील साहब दूसरी बीवी ले आए थे तो वे भी मायके जाना चाहती थीं पर उन का न तो कोई सहारा था न वे अपने पैरों पर खड़ी थीं. आज सनोबर अपने पैरों पर खडी है. अपने फैसले खुद ले सकती है. फिर सोचने कि लगीं तलाक से इस मासूम बच्ची का क्या होगा? मां या बाप किसी एक से कट जाएगी. अगर दोनों ने दूसरी शादी कर ली तो इस का क्या होगा? वे अंदर ही अंदर डर गईर्ं. अपने बेटे को सनोबर और साहिल के बारे में बताया तो वह दूसरे दिन ही आ गया. दोनों बहनभाई की एक ही राय थी कि तलाक ले लिया जाए. साहिल रोज फोन करता, मैसेज भेजता पर सनोबर जवाब न देती.

साहिल बड़ी बेगम से मिन्नतें करता, ‘‘खालाजान, आप सब ठीक कर सकती हैं. एक बार मुझे माफ कर दीजिए और सनोबर से भी माफ करवा दीजिए. मैं अपनी गलती के लिए बहुत शर्मिंदा हूं.’’

एक दिन सनोबर औफिस से अपने फ्लैट पर कुछ सामान लेने गई तो उस ने देखा घर बिखरा है. किचन में भी कुछ बाहर का खाना पड़ा है. वह समझ गई बाई नहीं आ रही है. घर में हर तरफ लिखा था, ‘आई एम सौरी, वापस आ जाओ सनोबर.’ सनोबर को लगा साहिल 40 साल का नहीं, कोई नवयुवक हो और उसे मना रहा हो.

धीरेधीरे कई कोशिशों के बाद साहिल ने बड़ी बेगम को विश्वास दिला दिया कि यह एक कमजोर पल की भूल थी. उस ने पहले कभी कोई बेवफाई नहीं की. बड़ी बेगम ने सोचा यह तो सच है कि साहिल से भूल हो गई, अपनी गलती पर उसे शर्मिंदगी भी है, माफी भी मांग रहा है. प्रश्न बच्ची का भी है. वह दोनों में से किसी एक से छिन जाएगी. तो क्या इसे एक अवसर देना चाहिए?

बड़ी बेगम ने साहिल को बताया कि सनोबर तलाक लेने की तैयारी कर रही है. यह सुनते ही साहिल दौड़ादौड़ा आया, ‘‘खालाजान, अगर सनोबर ने तलाक की अर्जी डाली तो मैं मर जाऊंगा, मुझे एक मौका दीजिए और बच्चों की तरह रोने लगा.’’

बड़ी बेगम को दया आने लगी बोलीं, ‘‘तुम रो मत मैं आज बात करूंगी.’’

सनोबर बोली, ‘‘औफकोर्स अम्मी.’’

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