एक दिन मेरी दाईं आंख फड़क उठी और एक अनजाने से डर और अनहोनी की आशंका ने मुझे घोर अंधविश्वासी बना ही दिया. आखिर कैसे निकली मैं दाहिनी आंख के अपशकुनी अंधविश्वास से?