उस का नाम रोजी था. लंबा शरीर, नीली आंखें और सांचे में ढला हुआ शरीर. चेहरे का रंग तो ऐसा जैसे मैदे में सिंदूर मिला दिया गया हो.
रोजी को भारत की संस्कृति से बहुत प्यार था और इसलिए उस ने अमेरिका में रहते हुए भी हिंदी भाषा की पढ़ाई की थी और हिंदी बोलना भी सीखा.
उस ने किताबों में भारत के लोगों की शौर्यगाथाएं खूब सुनी थीं और इसलिए भारत को और नजदीक से
जानने के लिए वह राजस्थान के एक छोटे से गांव में घूमने आई थी.
अभी उस की यात्रा ठीक से शुरू भी नहीं हो पाई थी कि कुछ लोगों ने एक विदेशी महिला को देख कर आदतानुसार अपनी लार गिरानी शुरू कर दी और रोजी को पकड़ कर उस का बलात्कार करने की कोशिश की. पर इस से पहले कि वे अपने इस मकसद में कामयाब हो पाते, एक सजीले से युवक रूप ने रोजी
को उन लड़कों से बचाया और उस के तन को ढंकने के लिए अपनी शर्ट उतार कर दे दी.
रूप की मर्दानगी और उदारता से रोजी इतना मोहित हुई कि उस ने रूप से चंद मुलाकातों के बाद ही शादी का प्रस्ताव रख दिया.
रोजी पढ़ीलिखी थी व सुंदर युवती थी. पैसेवाली भी थी इसलिए रूप को उस से शादी करने के लिए हां कहने मे कोई परेशानी नहीं हुई पर थोड़ाबहुत प्रतिरोध आया भी तो वह रूप के रिश्तेदारों की तरफ से कि एक विदेशी क्रिस्चियन लड़की से शादी कैसे होगी? न जात की न पात की और न देशकोस की...इस से कैसे निभ पाएगी?
पर रूप अपना दिल और जबान तो रोजी को दे ही चुका था इसलिए उस की ठान को काटने की हिम्मत किसी में नहीं हुई पर पीठ पीछे सब ने बातें जरूर बनाईं.