तोरुल रसोई में पानी पीने गई तो उस के कानों में एक जानीपहचानी सी आवाज आई, ‘‘अरे विनोद भाई साहब की बड़ी बेटी नीलक्षी को देखा? कितनी सुंदर हैं, ऐसा लगता है कुदरत ने उसे फुरसत में बनाया है.’’तभी भावना चाची हंसते हुए बोली, ‘‘अरे तभी तो अपनी तोरुल को बनाने में कुदरत ने जल्दबाजी करी.’’तोरुल यह सुन कर बिना पानी पीए ही उलटे पैर लौट आई. भीगी आंखें लिए जब तोरुल बाहर पहुंची तो मम्मी बोली, ‘‘अरे तोरुल सारा दिन मुंह पर 12 क्यों बजे रहते हैं.’’तोरुल बिना कुछ बोले ऊपर चली गई.

तोरुल 19 वर्षीय लड़की थी जो अपनी बूआ की बेटी के विवाह में अपने परिवार के साथ आई हुई थी. बचपन से तोरुल अपनी बड़ी बहन नीलक्षी के वजूद के साए में जी रही थी. उस का अपना कोई वजूद ही नहीं था. नीलक्षी को हलके रंग पसंद हैं तो तोरुल भी वही पहनती थी बिना यह जाने कि गहरे रंग उस के गहरे रंग को और दबा देते हैं.

नीलक्षी को नीले, हरे, लाल रंग के लाइनर पसंद हैं तो तोरुल भी वही लगाती है. नीलक्षी को पेंटिंग करना पसंद है तो तोरुल भी करती है. उस का अपना कोई वजूद ही नहीं था. तोरुल वह सब करती जो नीलक्षी करती.तोरुल की आवाज बेहद सुरीली थी, मगर वह बस अकेले में गुनगुनाती थी.

उस के अंदर आत्मविश्वास की बेहद कमी थी. उसे लगता कि अगर वह गाएगी तो लोग उस का मजाक बनाएंगे. जब शाम को शादी में गीतसंगीत हुआ तो नीलक्षी की बेसुरी आवाज तोरुल की सुरीली आवाज भी दब गई.

तभी बूआ बोली, ‘‘अरे तोरुल तू गा न. तेरी आवाज तो बड़ी सुरीली लगती है.’’तोरुल इस से पहले कुछ बोलती मम्मी बोली, ‘‘अरे तोरुल को कहां कुछ आता है? यह तो नीलक्षी के सहारे ही सब करती है.’’बूआ बोली,‘‘ अरे भाभी गाने दो न इसे.’’तोरुल की आवाज पहले फटे बांस जैसी बजी मगर बाद में उस ने सुर संभाल लिए.

उस के बाद एक के बाद एक तोरुल ने अपने गानों से महफिल में रंग जमा दिया.नीलक्षी बोली, ‘‘अरे इस कोयल के बारे में हमें तो अब तक पता ही नहीं था.’’तोरुल को नीलक्षी का कटाक्ष सम झ आ गया. उसे पता था उस की आवाज के कारण नहीं बल्कि उस के गहरे रंग के कारण उसे नीलक्षी ने इस उपाधि से नवाजा है.

पनीली आंखें लिए वह अंदर ही जा रही थी कि तभी पीछे से एक आवाज ने उसे रोक लिया, ‘‘सुनिए आप ने क्या कहीं ट्रेनिग ली हुई है?’’तोरुल ने जैसे ही पीछे मुड़ कर देखा, ‘‘अरे आप की तो आंखें भी बेहद संगीतमय हैं, सागर की लहरों जैसी.’’तोरुल को सम झ नहीं आया कि वह इस बात का क्या जवाब दे, इसलिए वह बिना कुछ कहे तीर की तरह भीतर चली गई.

रात में मेहंदी थी, अपनी बूआ के कहने पर तोरुल ने बूआ की ही महरून जयपुरी चुनर की साड़ी पहन ली. साथ में मोतियों की लड़ी, आंखों में काजल और होंठों पर हलकी सी लिपस्टिक. जब तोरुल बहार आई तो सब की निगाहें एकाएक उस पर टिक गईं.

भावना चाची के मुंह से एकाएक निकल गया, ‘‘तोरुल, तुम ने अपना यह रूप कहां छिपा रखा था?’’रात में तोरुल ने अपनी आवाज और नाच से समां बांध दिया. 2 गहरी काली आंखें लगातार तोरुल का पीछा कर रही थीं.

जब तोरुल अंदर पानी पीने गई तो वही गहरी आवाज फिर से आई, ‘‘सुनिए, आप अपना नंबर देंगी क्या? मैं ने आप का वीडियो बनाया है, आप को भेज दूंगा.’’तोरुल ने जब उसे प्रश्नवाचक नजरों से देखा तो वह बोला, ‘‘मेरा नाम अनंत है, आप जिस की शादी में आई हैं वह मेरी मौसी की बेटी है.’’तोरुल हंसते हुए बोली, ‘‘और मेरी बूआ की बेटी है.’’तोरुल और अनंत ने एकदूसरे को अपना नंबर दे दिया. अनंत पूरे विवाह में तोरुल के इर्दगिर्द घूमता रहा.

अनंत एक मल्टीनैशनल फर्म में इंजीनियर और दिखने में बेहद खूबसूरत था. ऊंचा कद, गोरा रंग और तीखे नैननक्श. विवाह से आने के बाद भी अनंत और तोरुल के बीच कुछ दिनों तक बातचीत होती रही. तोरुल के व्यवहार से अनंत को सम झ आ गया था कि तोरुल के अंदर आत्मविश्वास की बेहद कमी है और वह तोरुल को जैसा चाहे अपने इशारों पर नचा सकता है. अनंत का जब मन करता तो वह घंटों तोरुल से बात करता और कभी वह पूरा दिन गायब रहता.

अनंत तोरुल से गाने की फरमाइश करता तो कभी तसवीरों की और अगर तोरुल अनंत को न भेजती तो वह उस से हफ्तों बात न करता. धीरेधीरे अनंत और तोरुल के बीच नजदीकियां बढ़ने लगीं. तोरुल अब पूरी तरह से अनंत पर निर्भर हो गई थी, मगर अनंत अब तोरुल से बोर हो गया था.

अनंत की बहुत कोशिशों के बावजूद भी तोरुल आलिंगन और चुंबन से आगे नहीं बढ़ रही थी. इसलिए उस ने उस से थोड़ी दूरी बना ली, मगर तोरुल को अनंत का व्यवहार सम झ नहीं आ रहा था. जब भी तोरुल अनंत को मैसेज करती, उस का एक ही जवाब आता, ‘‘बिजी, विल रिप्लाई.’’तोरुल को ऐसा लगने लगा कि वह कैसे अनंत के बिना रह पाएगी?

अनंत ही तो था जो उसे वैलिडेशन देता, जिस के कारण तोरुल को लगता कि वह भी कुछ है.1 महीने से ऊपर हो गया था अनंत का न कोई मैसेज आया और न ही कोई फोन. आखिरकार थक हार कर तोरुल ने अनंत को फोन लगाया तो 2-3 रिंग के बाद अनंत ने कौल लिया.

तोरुल ने उतावले होते हुए कहा, ‘‘कहां गायब थे तुम इतने दिनों से?’’अनंत ने रुखाई से कहा, ‘‘क्या हुआ तोरुल, मैं क्या तुम्हारा बौयफ्रैंड हूं? मैं ने क्या तुम से कोई वादा किया था?’’तोरुल एकाएक सकपका गई, ‘‘अनंत, अगर तुम्हें बुरा लगा हो तो, आई एम सौरी.’’अनंत बोला, ‘‘तोरुल हम मिले और कुछ टाइम साथ गुजारा, कुछ दिन बातें भी कर लीं, मगर अब तो हमारे बीच में कुछ भी नया नहीं है डिस्कस करने के लिए. हमारे बीच में कोई रिश्ता नहीं था बस टाइम पास था.’’अनंत के फोन रखते ही तोरुल की आंखों से आंसू  झर झर बहने लगे.

उसे सम झ नहीं आ रहा था कि वह कैसे अनंत को खुश करे.अगले दिन तोरूल ने हिम्मत करते हुए अपनी टौपलैस तसवीर अनंत को भेज दी. अनंत का थम्सअप आ गया और हार्ट इमोजी.तोरुल एकाएक खुशी से उछल पड़ी. उसे लगा अनंत की भी उस से कुछ उम्मीदें हैं और अगर उसे इस से खुशी मिलती है तो उसे ऐसा करना चाहिए.

अनंत को अच्छे से पता था कि वह तोरुल की कमजोरी है. इसलिए अनंत अपने हिसाब से जैसा चाहे वैसा व्यवहार तोरुल के साथ करता और यह बात बड़े फख्र से वह अपने दोस्तों को बताता. जब मरजी अनंत कौल करता, जब मरजी बात बंद कर देता.

तोरुल को वह बराबर उस की बड़ी बहन से कंपेयर करता और उसे कमतरी का एहसास दिलाता.अनंत को मालूम था कि उसे तोरुल जैसी सीधीसादी लड़की नहीं मिलेगी जो उस के इशारों पर कठपुतली की तरह चलती है.

इसलिए अनंत न तो तोरुल को छोड़ पा रहा था और न ही उसे स्वीकार कर पा रहा था.अनंत का जब मन करता तोरुल को वीडियो कौल करता और वह उसे न्यूड होने के लिए कहता. तोरुल का अंदर से मन नहीं करता था मगर अनंत को खोने के डर के कारण वह सबकुछ करती.

तोरुल को महसूस होता था जैसे वह एकसमान हों. मगर अनंत तोरुल से कहता, ‘‘मैं तो फिर भी तुम से सैक्स करने के लिए नहीं कह रहा हूं क्योंकि तुम अपनी बड़ी बहन की तरह नाजुक और गोरी नहीं हो. तुम्हें न्यूड देख कर खुद को तुम्हारे लिए तैयार करने की कोशिश करता क्योंकि हौटनैस तो तुम्हारे अंदर जीरो है.’’अनंत भले ही यह तीखी बात मजाकमजाक में कहता मगर तोरुल अंदर से टूट जाती.

वह खुद में सिमट जाती. एक दिन तो हद हो गई. तोरुल बाहर थी मगर अनंत के कहने पर वह वाशरूम में जा कर अनंत की जरूरतों को पूरा कर रही थी. तोरुल एक भंवरजाल में फंस गई. नीलक्षी से कहती तो बात मम्मीपापा तक पहुंचने का डर था.

बारबार अनंत का यह कहना कि तोरुल जैसी सामान्य शक्लसूरत की लड़की को कोई दूसरा बौयफ्रैंड नहीं मिल पाएगा, तोरुल को कोई कदम उठाने से रोक रहा था.इस बात का असर तोरुल के जीवन के हर पहलू पर पड़ रहा था.

बोलती तो वह पहले भी कम थी, मगर अब एकदम चुप हो गई थी.तोरुल के एग्जाम शुरू होने वाले थे,मगर उस की तैयारी जीरो थी. उसे मालूम था अगर परिणाम अच्छा नहीं रहा तो भविष्यअंधकार में होगा. तोरुल ने निश्चय कर लियाथा कि अब 1 माह तक वह अनंत से दूरी बना कर रखेगी.

1 हफ्ता हो गया था. तोरुल का न कोई मैसेज न कोई कौल, तोरुल का यह व्यवहारअनंत के लिए अजीब था. खुद से पहल करते हुए अनंत का इगो आड़े आ रहा था. उस ने रोब जमाते हुए तोरुल को मैसेज किया, ‘‘मेरी जूनियर मु झे से मिलना चाह रही है.

उसे मु झ पर क्रश है, तुम्हारा तो कुछ अतापता नहीं है, क्या मिल लूंउस से? बहुत सुंदर, नाजुक और गोरी है और एकदम परफैक्ट फिगर, कुछ तसवीरें भी भेजी हैं उस ने.’’तोरुल को एकाएक अनंत के व्यवहार से घृणा सी हो गई, इसलिए उस ने मैसेज किया, ‘‘तुम्हारी जिंदगी,तुम्हारी मरजी.’’अनंत को तोरुल से ऐसे व्यवहार की उम्मीद नहीं थी, इसलिए बोला, ‘‘तुम्हें कोई नहीं मिलेगा, चलो जल्दी से वीडियो कौल पर आओ, मु झे तलब हो रही है.’’तोरुल बोली, ‘‘अनंत, मेरे एग्जाम करीब हैं, मैं कुछ नहीं करूंगी.’’‘‘अगर, तुम कुछ नहीं करोगी, तो मैं उस जूनियर से बोल देता हूं,’’

अनंत बोला.तोरुल ने बिना कोई जवाब दिए, फोन एक तरफ रख दिया.10 दिन बीत गए थे, तोरुल को लगा वह अब पहले से अधिक खुश है. उसे कोई ऐसा काम नहीं करना पड़ रहा जो वह करना नहीं चाहती थी.तोरुल अपनेआप में खुश थी. न जाने उस के अंदर क्या बदलाव आ गया था कि उसे किसी वैलिडेशन की जरूरत महसूस नहीं हो रही थी.

वह अपने रंग और वजन के साथ खुश थी. तोरुल को अपनेआप से प्यार हो गया था. अनंत के जिंदगी में आने के बाद ही तोरुल ने अपनी कीमत को जाना था. रात के 11 बज रहे थे. अनंत ने तोरुल को मैसेज किया, ‘‘न्यूड भेजो, मन कर रहा है.’’तोरुल ने टैक्स्ट पढ़ कर डिलीट कर दिया. उसे अपना समय और ऊर्जा अनंत जैसे लड़कों में लगाने का अब कोई मन नहीं था.

अनंत ने अगले दिन कौल किया, यहअनंत की चौथी कौल थी, इसलिए तोरुल नेउठा ली.अनंत गुर्राते हुए बोला, ‘‘बहुत पंख लग गए हैं तुझे.

फटाफट फोटो भेज वरना मैं तेरी पहले की तसवीरें इंटरनैट पर डाल दूंगा.’’तोरुल पहले तो डर गई मगर फिर हिम्मत जुटाते हुए बोली, ‘‘हजारों तसवीरें पड़ी हैं इंटरनैट पर, एक मेरी भी सही और तुम यह करो तो सही मैं तुम्हें जेल की हवा खिलाती हूं.’’एकाएक अनंत ने अपना स्वर बदल दिया, ‘‘अरे पगली… बाबू मान जा, तुम तो मेरा काला हीरा हो.’’तोरुल ने कहा, ‘‘देर से ही सही, तुम्हारा असली चेहरा पहचान तो आ गया.’’अनंत ने रामबाण फेंका, ‘‘रह लोगी तुम मेरे बिना, हर कोई लड़का मेरी तरह नहीं होता है.

सब लड़कों को गोरी, पतली और लंबी गर्लफ्रैंड चाहिए होती है.’’तोरुल सधे स्वर में बोली, ‘‘तुम भी ढूंढ़ लो अनंत. मैं ने खुद को सुंदरता और उस पर आधारित रिश्तों के पिंजरे से आजाद कर लिया है. जैसी हूं जो भी हूं मैं खुद के लिए काफी हूं,’’ और फिर फोन रखने के बाद आत्मविश्वासी कदमों के साथ तोरुल ने वैलिडेशन का पिंजरा तोड़ दिया. अब वह आत्मविश्वास के पंखों के साथ खुले आसमान में उड़ गई जहां वह खुल कर सांस ले सकती थी.

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