समाज जहां औरतों को धर्म और परंपरा का भय दिखा कर ताउम्र दासी बना कर रखना चाहता है, वहीं सुभा का स्वछंद आचरण लोगों को कांटे की तरह चुभता था. एक दिन तो वह मंदिर आ कर देवी की मूर्ति हटाने की बात करने लगी...