अभी कुछ ही देर पहले ट्रेन लंदन के पैडिंगटन स्टेशन से औक्सफोर्ड रेलवे स्टेशन पर आई थी. सोफिया ने अपना बैग पीठ पर डाला और सूटकेस के साथ कोच से नीचे आई. कुछ

देर प्लेटफौर्म पर इधरउधर देखा फिर दिए गए दिशानिर्देश के अनुसार टैक्सी स्टैंड की ओर

चल पड़ी.

उस दिन औक्सफौर्ड में मूसलाधार बारिश हो रही थी. टैक्सी स्टैंड पर पहले से ही काफी लोग टैक्सी की कतार में खड़े थे. औक्सफोर्ड

एक छोटा शहर है जो अपनी यूनिवर्सिटी के लिए दुनियाभर में जाना जाता है. वहां स्टूडैंट्स पैदल

या साइकिल से चलते हैं. सोफिया के आगे एक हमउम्र लड़का भी सामान के साथ खड़ा था. उसे लगा कि यह लड़का भी जरूर यूनिवर्सिटी जा

रहा होगा.

करीब 20-30 मिनट पर एक टैक्सी आई. उस ने लड़के से पूछा, ‘‘अगर मैं गलत नहीं तो तुम भी औक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी जा रहे हो? हम लोग बहुत देर से खड़े हैं टैक्सी के लिए. अगर तुम्हें एतराज न हो तो हम दोनों टैक्सी शेयर

कर लें.’’

‘‘मु झे कोई एतराज नहीं बशर्ते टैक्सी वाला भी मान जाए,’’ लड़के ने कहा और कुछ पल उसे घूरने लगा.

‘‘क्या हुआ? ऐसे क्यों देख रहे हो? तुम्हें प्रौब्लम है तो रहने दो, मैं टैक्सी का इंतजार कर लूंगी.’’

‘‘सौरी. मु झे कोई प्रौब्लम नहीं होगा. उम्मीद है तुम फेयर शेयर करोगी तो मु झे फायदा ही है . फेयर नहीं शेयर करोगी तब भी मु झे कोई प्रौब्लम नहीं है,’’ बोल कर लड़का मुसकरा पड़ा.

फिर दोनों टैक्सी में सवार हुए. लड़के ने कहा, ‘‘मैं सैंडर हूं. मैं सैंडर सिट्रोएन नीदरलैंड से हूं पर इंग्लिश मेरा विषय रहा है और मैं वहां के इंग्लिश स्पीकिंग क्षेत्र से हूं. बाद में हम लोग स्कौटलैंड चले आए पर अब मेरे पेरैंट्स नहीं हैं.’’

‘‘सौरी टू हियर अबौउट योर पेरैंट्स.  मैं सोफिया डी वैन. शायद मेरी मम्मी भी डच ही थीं पर मु झे किसी और ने गोद लिया था. हम लोग आयरलैंड में सैटल्ड हैं पर मेरी मम्मी भी अब नहीं रही हैं.’’

रास्ते में सोफिया और सैंडर दोनों बातें करते रहे. इसी दौरान उन्हें पता चला कि दोनों को एक ही पते पर जाना था. दोनों ने एक ही अपार्टमैंट में एक रूम का स्टूडियो पहले से ही बुक करा रखा था और वह भी एक ही फ्लोर पर. हालांकि सोफिया का ईस्टर्न विंग में था तो सैंडर का वैस्टर्न विंग में. थोड़ी ही देर में दोनों अपार्टमैंट पहुंच गए. वहां लिफ्ट की सुविधा नहीं थी. उन्हें पहली मंजिल पर जाना था इसलिए ज्यादा दिक्कत नहीं हुई. सीढि़यां चढ़ने के बाद सोफिया पूरब की तरफ मुड़ गई और सैंडर पश्चिम की.

वन रूम स्टूडियो बड़े सलीके से बनाया गया था. अंदर प्रवेश करने पर एक तरफ छोटा बाथरूम और उस के आगे 12?12 फुट का एक कमरा था. इसी कमरे में 12 फुट लंबा एक वार्डरोब था जिसे खोलने पर उसी के अंदर किचन, सिंक और एक स्टोरेज रैक था. किचन के नाम पर एक तरफ इलैक्ट्रिक स्टोव था और दूसरी तरफ नीचे एक छोटा सा फ्रिज. रूम से सटी 4 फुट की बालकनी थी जहां कपड़े सुखाने के लिए एक स्टैंड था. रूम में एक फर्निश्ड सिंगल बैड, 1 छोटी टेबल और 1 चेयर थी. यह छोटा सा स्टूडियो किसी स्टूडैंट के लिए परिपूर्ण था.

2 दिन बाद यूनिवर्सिटी की ओर से नए विद्यार्थियों के लिए एक गाइडेड टूर का प्रबंध था. इस से नए विद्यार्थी को यूनिवर्सिटी की भिन्न विभागों की जानकारी मिलती है. सोफिया और सैंडर दोनों का टूर एक ही दिन था. इस के बाद वीकैंड था और फिर सैमैस्टर की शुरुआत. सैंडर भूगोल में मास्टर करने आया था और सोफिया इंग्लिश में. सैंडर ने बीए स्कौटलैंड में ही पूरी कर ली थी और यहां एमफिल करने आया था जबकि सोफिया को 3 साल की इंग्लिश में बीए और फिर 1 साल का मास्टर कोर्स करना था. दोनों को 4 वर्ष वहां पढ़ना था.

सोफिया और सैंडर दोनों साइकिल से कालेज आतेजाते. अपार्टमैंट के ग्राउंड फ्लोर पर मालिक ने एक कवर्ड साइकिल स्टैंड  बना रखा था. विद्यार्थी अकसर साइकिल से या पैदल चल कर कालेज जाते. यूनिवर्सिटी में दोनों को एकसाथ देख कर अकसर उन के दोस्त कहते कि दोनों के चेहरे कुछ हद तक मिलते हैं. अब सोफिया को भी लगा कि उस के और सैंडर के चेहरे में कुछ समानता है. शायद इसी कारण पहली ही मुलाकात में वह उसे घूरने लगा था. औक्सफोर्ड आए अभी 2 साल ही हुए थे कि सोफिया के पापा का निधन हो गया. वे

पत्नी के निधन के बाद ज्यादा शराब पीने लगे थे. जब तक सोफिया साथ थी उन्हें ज्यादा पीने से रोकती. बेटी के जाने के बाद वे बिलकुल अकेले पड़ गए और अब उन्हें रोकने वाला कोई न था. नतीजतन उन्हें लिवर सिरोसिस हुआ और वे चल बसे.

दुख की इस घड़ी में सैंडर सोफिया के साथ खड़ा रहा और उस का साहस बढ़ाते रहा. दोनों एकदूसरे के और नजदीक हो गए और उन में प्यार का बीज फूट पड़ा. दोनों एकदूसरे को चाहने लगे, एकदूसरे की भावनाओं की इज्जत करते. उन्होंने मिल कर फैसला किया कि फिलहाल हम शादी नहीं करेंगे. अपनीअपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद और अपने पैरों पर खड़े होने के बाद ही शादी होगी.

करीब 2 वर्ष बाद वह समय भी आ गया जब उन की पढ़ाई पूरी हुई. शादी की 2 शर्तों में से एक पूरी हुई. अब उन्हें नौकरी की तलाश थी. सैंडर के कहने पर सोफिया भी उस के साथ स्कौटलैंड आई. कुछ ही दिनों के बाद सैंडर को एडिनबरा के एक कालेज में ट्यूटर की नौकरी मिल गई.

तब सैंडर ने सोफिया से कहा, ‘‘तुम शादी के बारे में क्या सोच रही हो? क्या हम अब शादी कर सकते हैं?’’

‘‘नहीं, कुछ दिन और इंतजार कर लेते हैं. इस बीच मु झे जौब मिल जाती है तब ठीक है, नहीं तो मैं आयरलैंड चली जाऊंगी. वहां मेरे बहुत कौंटैक्ट्स हैं.’’

‘‘तुम अगर आयरलैंड चली गई तब हमारी शादी का क्या होगा?’’

‘‘मेरी शादी होगी तो तुम्हीं से होगी,

डौंट वरी.’’

‘‘देखो आयरिश लोगों को हमारे यहां सैटल करने के लिए किसी वीजा की जरूरत नहीं है और न ही कोई समयसीमा है इसलिए तुम यहीं रुक जाओ. नौकरी आज नहीं तो कल मिलेगी ही. आयरलैंड जाने का इरादा छोड़ दो.’’

‘‘एक बार जाना तो पड़ेगा. वहां जा कर घर को लंबी अवधि के लिए लीज पर दे दूंगी और जरूरत पड़ी तो बाद में उसे बेच दूंगी.’’

‘‘तुम फिलहाल कुछ दिनों के लिए आयरलैंड जा कर घर को लीज रैंट कर दो.’’

‘‘ठीक है, मैं 1-2 दिन में जाने की कोशिश करती हूं.’’

‘‘सिर्फ तुम नहीं, हम दोनों जाएंगे. मैं भी बहुत दिनों से आयरलैंड जाने की सोच रहा था. ज्यादा तैयारी भी नहीं करनी है. यहां से करीब

1 घंटे की फ्लाइट है. हम लोग 2 दिन बाद वीकैंड में चलते हैं.’’

सोफिया और सैंडर दोनों आयरलैंड के डब्लिन शहर आए. सोफिया का घर काफी बड़ा था. सोफिया ने अपना कुछ सामान गैराज और उस से सटे एक कमरे में शिफ्ट कर दिया. बाकी फर्नीश्ड घर को उस ने लीज पर दे दिया और

कार को भी किराएदार को बेच दिया. दोनों करीब 1 सप्ताह डब्लिन में रहे. इसी दौरान सोफिया को भी नौकरी मिल गई. उसे ईमेल से जौब औफर मिला. उन दोनों की समस्या का समाधान हो गया. दोनों खुशीखुशी एडिनबरा लौट आए.

सोफिया को स्काटलैंड के दूसरे शहर ग्लासगो के एक कालेज में नौकरी मिली. एडिनबरा से ग्लास्गो जाने में ट्रेन या कार दोनों से करीब 1 घंटे का समय लगता था. फिलहाल मजबूरी थी इसलिए सोफिया ने वहां जौइन कर लिया. उस ने एक सैकंड हैंड कार खरीदी और उसी से आनाजाना होता.

अब दोनों ने जल्द ही शादी करने का फैसला लिया. 1 महीने बाद दोनों की शादी हुई. दोनों अपने हनीमून के लिए इटली में वेनिस गए. दोनों पहली बार वेनिस आए थे और 1 सप्ताह वहां रुके. इस के बाद रोम और वैटिकन घूमने गए और फिर रोम से वापस स्कौटलैंड लौट आए.

करीब 2 महीने बाद सोफिया ने पति से कहा, ‘‘लगता है घर में नया मेहमान आने वाला है.’’

‘‘यह तो बहुत अच्छी बात है, बहुत दिन

हुए कोई गैस्ट नहीं आया हमारे घर और भला आएगा कौन. हम दोनों का कोई निकट संबंधी भी तो नहीं है. अच्छा बताओ कौन आ रहा है, तुम्हारा कोई फ्रैंड?’’

‘‘नहीं, हमारा बहुत नजदीकी संबंधी आने वाला है.’’

‘‘ऐसा कौन निकट संबंधी पैदा हो गया है?’’

‘‘पैदा नहीं हुआ है पर 9 महीने बाद पैदा हो जाएगा. तुम डैड बनने वाले हो.’’

‘‘ओह, व्हाट ए प्लीजैंट सरप्राइज,’’ बोल कर सैंडर ने सोफिया को चूमते हुए गोद में उठा लिया.

‘‘पर तुम्हें इतनी जल्दी क्या पड़ी थी? हम ने सोचा था कि 1-2 साल कुछ मौजमस्ती करने के बाद बच्चे की जिम्मेदारी लेते. खैर, जो हुआ अच्छा ही हुआ.’’

‘‘जल्दी तुम्हें पड़ी थी. मैं ने हनीमून में तुम्हें चेताया था प्रिकौशन लेने को पर तुम माने ही नहीं.’’

‘‘मैं ने यों ही कहा था. बहुत खुशी की बात है बल्कि मैं तो कहूंगा दूसरा बच्चा भी जल्द ही प्लान कर लेंगे ताकि हमारे बच्चे हमारे रिटायरमैंट के पहले वैल सैटल्ड हो जाएं.’’

करीब 3 महीने बाद सैंडर ने सोफिया से कहा, ‘‘मेरे कालेज में इंग्लिश ट्यूटर की वैकेंसी बहुत जल्द निकालने जा रही है. एक ट्यूटर ने रिजाइन कर दिया है. वह लंदन जा रहा है. तुम अपना एक रिज्यूम बना कर मु झे दे दो. जैसे ही नोटिफिकेशन होगा मैं तुम्हारी ऐप्लिकेशन दे दूंगा.’’

करीब 1 महीने के अंदर ही सोफिया को एडिनबरा कालेज से औफर मिला. उस ने ग्लास्गो कालेज से इस्तीफा दे कर एडिनबरा कालेज जौइन करने में कोई देरी नहीं की. अब पतिपत्नी दोनों की नौकरी एक ही शहर और एक ही कालेज में थी. दोनों बहुत खुश थे. सोफिया की डिलिवरी भी निकट थी. उस ने मैटरनिटी लीव ले ली थी.

समय पर उन दोनों को 1 बेटा हुआ. उस का नाम ओलिवर रखा गया. प्रसव के बाद सोफिया करीब 9 महीने तक छुट्टी पर रही. स्कौटलैंड में मैटरनिटी लीव 1 साल तक होती है. इस के अतिरिक्त पिता को भी शिशु के जन्म के बाद 2 सप्ताह की छुट्टी मिलती है. सोफिया और सैंडर दोनों ने मिल कर करीब 1 साल तक ओलिवर की देखभाल स्वयं की. इस के बाद वे ओलिवर को डे केयर में छोड़ कर जाते. 2 साल बाद ओलिवर ईएलसी यानी अर्ली लर्निंग चाइल्ड केयर जाने लगा.

इसी बीच सोफिया एक बार फिर गर्भवती हुई. इस बार उन्हें बेटी हुई ईवा. बेटी होने से दोनों बहुत खुश थे.

सैंडर बोला, ‘‘हमें बेटा और बेटी दोनों मिल गए, अब हम अपनी फैमिली प्लान कर सकते हैं.’’

अब ईवा और ओलिवर दोनों ही अर्ली लर्निंग चाइल्ड केयर जाने लगे थे. समय के साथ उन के बच्चे बड़े होने लगे. सैंडर एक अच्छा सर्फर था. उस ने बहुत दिनों से सर्फिंग नहीं की थी. उस ने सोफिया से कहा, ‘‘अब हमारे बच्चे कुछ बड़े हो चले हैं. बहुत दिन हुए सर्फिंग किए. अगला वीकैंड लौंग वीकैंड है, सोमवार भी औफ है. क्यों न हम पीज बे चलें. ज्यादा दूर भी नहीं 45 मिनट में पहुंच जाएंगे.’’

‘‘थोड़ी बहुत सर्फिंग तो मैं भी कर लेती हूं पर बहुत दिनों से आदत छूट गई है.’’

वीकैंड में सभी पीज बे के लिए निकल पड़े. सैंडर ने सर्फिंग बोर्ड को एक बैग में रखा और उसे अपनी गाड़ी की छत पर सौफ्ट रैक पर बांध लिया. पौने घंटे में ही वे बीच पर थे.

सैंडर सर्फ एक हाथ में बोर्ड लिए था और दूसरे हाथ में फोल्डिंग बीच चेयर. सोफिया ने भी एक हाथ में फोल्डिंग चेयर और दूसरे हाथ से बेटी को पकड़ रखा था. अन्य खानेपीने का सामान सैंडर, सोफिया और ओलिवर के बैग में था.

सैंडर अपने दोनों बच्चों को ले कर समुद्र के पानी में गया. कुछ देर उन के साथ बौल खेलने के बाद उन्हें सोफिया के पास छोड़ कर सर्फिंग बोर्ड ले कर वापस समुद्र में गया. वह करीब 40 मिनट तक लहरों पर सर्फ करता रहा. उस के आने के बाद सोफिया सर्फिंग बोर्ड ले कर जाने लगी. तब सैंडर ने पूछा, ‘‘आर यू श्योर? सर्फ कर सकोगी?’’

‘‘तुम ने मु झे क्या सम झ रखा है? मैं ने कुछ वर्षों से सर्फिंग नहीं की है तो बिलकुल भूल गई हूं. एक बार तैरना या सर्फिंग सीख लेने के बाद कोई इसे भूलता नहीं है,’’ इतना बोल कर सोफिया पानी में चली गई.

सोफिया करीब 20-25 मिनट बाद लौट आई. बीच पर चेंजरूम में जा कर सभी ने फ्रैश वाटर से स्नान कर ड्रैस चेंज की. फिर वापस कार में बैठ कर सब ने खाना खाया और वापस एडिनबरा के लिए चल पड़े. 1 घंटे बाद सभी लोग अपने घर में थे.

समय का कालचक्र अपनी गति से गतिमान था. सैंडर और सोफिया के दोनों बच्चे भी बड़े हो चले थे. दोनों बच्चे स्कूल में थे. दोनों मातापिता से अकसर पूछते, ‘‘न्यू ईयर और क्रिसमस पर सभी बच्चों के घर बहुत गैस्ट आते हैं जिन में उन के ग्रैंड पेरैंट्स भी होते हैं या सभी परिवार के लोग खुद ग्रैंड पेरैंट्स के पास जाते हैं. पूरा सप्ताह साथ रहते हैं. हमारे यहां कोई नहीं आता है न हम लोग  ही ग्रैंड पेरैंट्स के पास जाते हैं.’’

‘‘सौरी, बेटे तुम्हारे ग्रैंड पेरैंट्स इस दुनिया में नहीं रहे. अगर होते तो हम जरूर मिलने जाते या वे लोग ही आते हमारे यहां. तुम्हारे नाना का निधन हमारी शादी के कुछ समय पहले हो गया था. तुम्हारे दादादादी तुम्हारे पापा के बचपन में ही चल बसे थे,’’ सोफिया ने कहा.

औलिवर बोला, ‘‘फिर भी दादादादी और नानानानी कौन थे. उन का अपना घर तो होगा. आप दोनों के सिवा और कोई उन की संतान होगी. वे उन के घर में रहते होंगे.’’

ईवा भी भाई के समर्थन में बोली, ‘‘यस मम्मा. हम लोग उन के बारे में जानना चाहेंगे और अपने पुश्तैनी घर या गांव के बारे में जानना चाहेंगे.’’

‘‘ठीक है, तुम लोग कुछ और बड़े हो जाओ तब दादाजी का घर देखने चलेंगे.’’

‘‘मम्मी बड़े हो जाएंगे तो हम लोग खुद पता लगा लेंगे.’’

दोनों बच्चे अकसर पापामम्मी से अपने पूर्वजों के बारे में पूछा करते. एक दिन

सोफिया ने सैंडर से कहा, ‘‘हम लोगों को बच्चों की इच्छा पूरी करनी चाहिए. मैं तो गोद ली गई थी. मेरे पेरैंट्स अपना देश छोड़ कर आयरलैंड में आ बसे. अब तो वे रहे नहीं और उन का घर भी मैं ने बेच दिया है. तुम्हें कुछ पता है अपने नेटिव प्लेस के बारे में?’’

‘‘मुझे नीदरलैंड जाना होगा. मेरे पेरैंट्स भी नहीं रहे. मु झे जहां तक याद है मेरे अंकलआंटी हम लोगों के साथ रहते थे. डैड और मौम की डैथ के बाद मैं अपनी विधवा मौसी के पास स्कौटलैंड आ गया और मेरा संपर्क वहां से टूट गया. अब तो मौसी भी नहीं रहीं. मु झे भी कोई दिलचस्पी नहीं रही थी इन सब बातों में सो मैं भी सब भूल कर यहीं रम गया.’’

‘‘तुम ने सुना न बच्चे क्या कह रहे थे. वे बोल रहे हैं हम खुद ही पता लगा लेंगे. ओलिवर तो 15 साल का हो गया है, कुछ साल में दोनों बच्चे एडल्ट हो जाएंगे. फिर तो हम न भी पता करें तो वे अपना रूट्स जानने के लिए आजाद हैं. उन्हें हम रोक नहीं सकते हैं.’’

‘‘ठीक है, अगले महीने ईवा भी बोर्डिंग स्कूल जा रही है. उस के बाद हम लोग नीदरलैंड चलते हैं. घूमना भी हो जाएगा और अपनी जड़ें भी खोजेंगे. एक पंथ दो काज.’’

1 महीने बाद सैंडर और सोफिया दोनों नीदरलैंड की राजधानी एमस्टरडम पहुंचे. दोनों वहां के एक होटल में ठहरे थे. थोड़ी देर आराम करने के बाद सैंडर ने टेलीफोन डायरैक्टरी खगालनी शुरू की. सिट्रोएन सरनेम के जितने नाम थे सब के नाम, फोन नंबर और पता नोट किया. इस के बाद डी वालेन और जोर्डान रिहायशी इलाके के नंबर अलग कर लिए. सैंडर की आंटी ने उसे बताया था कि उस के मातापिता दोनों इसी क्षेत्र के निवासी थे. सैंडर ने सोचा फोन न कर सीधे उन से बात करना ठीक रहेगा.

अगले दिन सैंडर और सोफिया दोनों डी वालेन गए वहां सिट्रोएन सरनेम के सिर्फ 3 परिवार रहते थे. तीनों से उन्हें अपने पेरैंट्स का कोई क्लू नहीं मिला. फिर भोजनोपरांत वे जौर्डन महल्ला गए. वहां सिट्रोएन सरनेम के 5 परिवार थे. 4 जगहों से उन्हें निराशा ही मिली. 5वां परिवार कहीं बाहर गया था. सैंडर ने उन्हें फोन कर बताया कि मैं ब्रिटेन से आया हूं और आप से मिलना चाहता हूं. फोन पर जवाब मिला कि वे शहर से बाहर हैं और अगले दिन शाम तक एमस्टरडम लौटेंगे. वे दोनों अपने होटल लौट गए. उन के पास सिट्रोएन के इंतजार करने के सिवा कोई दूसरा उपाय नहीं था.

अगले दिन शाम को सैंडर ने उन्हें फोन किया तो वे बोले, ‘‘तुम अभी या कल सुबह जब चाहो मिल सकते हो.’’

सैंडर ने सुबह मिलने का फैसला किया.

उस ने सोचा सिट्रोएन से मिले क्लू के बाद उसे कुछ और लोगों से भी संपर्क करना पड़ सकता है. यही सोच कर उस ने सुबह का प्रोग्राम बनाया.

अगली सुबह वे दोनों सिट्रोएन के घर पहुंचे. सैंडर ने अपना परिचय दिया. फिर सोफिया की तरफ देख कर सिट्रोएन ने पूछा, ‘‘और ये तुम्हारी सिस्टर हैं?’’

‘‘नो, माइ वाइफ सोफिया.’’

‘‘ओह, सौरी.’’

इस के बाद बिना देर किए अपने मातापिता का नाम बताया. फिर अपने और मातापिता के बारे में जितना जानता था बताया.

सिट्रोएन ने कहा, ‘‘मैं सीधे तौर पर तुम्हारे पेरैंट्स को नहीं जानता पर यह घर किसी सिट्रोएन फैमिली का ही था जिसे मेरे डैड ने खरीदा था. 1 मिनट रुको मैं कुछ दस्तावेज देख कर उन का पूरा नाम बताता हूं.’’

कुछ देर बाद सिट्रोएन ने कहा, ‘‘इस घर को किसी विलेन सिट्रोएन नाम के आदमी से मेरे डैड ने खरीदा था.’’

‘‘हां, यही तो मेरे छोटे अंकल का नाम था, मेरी मौसी ने बताया था.’’

‘‘तुम ने अपने डैड का क्या नाम बताया था?’’

‘‘ब्रेम, आई मीन ब्रेम सिट्रोएन.’’

‘‘और, मां का क्या नाम था?

‘‘फेना डी वैन सिट्रोएन.’’

सोफिया ने कहा, ‘‘मौम फेना डी वैन थीं. शादी के बाद फेना सिट्रोएन बनी होंगी. मेरी मौसी का भी सरनेम डी वैन था शादी के पहले.’’

‘‘डी वैन का मतलब फ्राम माउंटेन होता है और यहां एक ही डी वैन नाम सुना है मैं ने.’’

सिट्रोएन ने कहा सैंडर के मातापिता का नाम सुन कर वह व्यक्ति कभी सैंडर तो कभी सोफिया को गौर से देखने

लगा. कुछ देर सिर खुजलाता रहा फिर बोला, ‘‘मेरी मौम

और तुम्हारी मौम दोनों एकदूसरे को जानती थीं पर पता नहीं

क्यों मौम ने बाद में फेना से दूरी बना ली. जहां तक मु झे याद है मौम से सुना था कि फेना को

2 बच्चे थे.’’

सैंडर आश्चर्य से पूछ बैठा ‘‘2 बच्चे, और क्या जानते हैं मेरे पेरैंट्स के बारे में?’’

‘‘मैं सम झ नहीं पा रहा हूं तुम्हें कैसे बताऊं या बताऊं भी कि नहीं.’’

‘‘आप निस्संदेह जो भी जानते हों फ्रैंकली बता सकते हैं, अच्छाबुरा जो भी.’’

कुछ देर सिट्रोएन को खामोश देख कर सोफिया से नहीं रहा गया, ‘‘सिट्रोएन, क्या हुआ? आप ने हमारी जिज्ञासा बड़ा दी है. अब तो बिना जाने हम यहां से जाएंगे भी नहीं.’’

सिट्रोएन ने कहना शुरू किया, ‘‘आई एम सौरी. मैं जो कहने जा रहा हूं वह सुनी बात है, इस की सचाई का दावा मैं नहीं करता. हो सकता है गलत बात हो तो मु झे माफ  करना पर हो सकता है इस बात से तुम्हारे मकसद में मदद मिले.’’

‘‘हांहां, आप अवश्य कहें.’’

‘‘मैं ने सुना है कि आप की मौम की शादी आप के डैड सिट्रोएन से हुई थी. पर उन के चालचलन से आप के डैड बहुत नाराज थे और उन्होंने फेना को छोड़ दिया था.’’

‘‘अगर आप कुछ और स्पष्ट करें तो बेहतर होगा.’’

‘‘आप की मौम लैस्बियन थीं. हालांकि बाद में उन्हें मां बनने की इच्छा हुई. उन्हें 2 बच्चे हुए थे और दोनों सरोगेसी से, आई मीन आईवीएफ तकनीक से. एक बेटा उन के साथ रहा था कुछ दिन. बाद में उन्हें एक बेटी हुई. सुना है उसे किसी ने गोद ले लिया था.’’

‘‘क्या आप किसी खास फर्टिलिटी क्लीनिक के बारे में जानते हैं जहां से मौम प्रैगनैंट हुई थीं?’’

‘‘यह मैं कैसे बता सकता हूं? वैसे भी यह कानूनन मना है. हां दोनों पार्टी यानी डोनर और रिसीवर सहमत हों तो यह संभव है.’’

‘‘ठीक है, आप ने जितना कुछ बताया वह बहुत है हमारे लिए. बहुतबहुत धन्यवाद.’’

सैंडर और सोफिया दोनों वहां से निकल पड़े. उन्होंने शहर के फर्टिलिटी क्लीनिक के

नंबर गूगल कर निकाले. सैंडर ने शहर के कुछ पुराने फर्टिलिटी क्लीनिक के नंबर और पता नोट किया. एक सब से मशहूर क्लीनिक के एम्सटरडम और उस के आसपास 3 ब्रांचें थे. अगले दिन वे उस क्लीनिक में गए. सैंडर ने अपना पासपोर्ट दिखा कर अपनी मां के नाम का सुबूत दिखा कर फेना की डिलिवरी के बारे में रिसैप्शन पर पूछा.

रिसैप्शनिस्ट ने कहा, ‘‘एक तो आप के अनुसार यह केस 3 दशक से भी ज्यादा पुराना है. वैसे भी इस की जानकारी इंचार्ज के पास होगी. भला हो कंप्यूटर का कि सारे रिकौर्ड्स को हम लोगों ने कंप्यूटर के डेटा बेस में ले लिया है.’’

वे दोनों इंचार्ज से मिलने गए और पूरी बात बताई तो उस ने अपने कंप्यूटर में चैक कर

कहा, ‘‘हां, आज से करीब 35 साल पहले यहां फेना की सरोगेसी हुई थी और उन्हें एक बेटा

हुआ था.’’

‘‘आप स्पर्म डोनर का नाम बता सकते हैं?’’

‘‘सौरी, मैं उन की बिना सहमति के नहीं बता सकता हूं.’’

‘‘आप प्लीज, बता दें. मैं पिछले कई वर्षों से अपने पेरैंट्स के बारे में जानना चाहता हूं.’’

‘‘नहीं, मैं ऐसा नहीं कर सकता हूं.’’

‘‘आप उन से फोन पर मेरी बात करा दें तो मैं उन का कंसैंट ले लूंगा.’’

बहुत मिन्नत करने के बाद क्लीनिक

इंचार्ज तैयार हुआ और बोला, ‘‘1 मिनट मु झे

चैक करने दीजिए. उस समय उन का पुराना लैंड लाइन का नंबर था. अगर उन्होंने अपडेट किया है तब तो आसानी होगी वरना क्या पता नंबर बदल गया हो.’’

कुछ देर बाद क्लीनिक इंचार्ज ने बताया ‘‘हां, नंबर भी अपडेट कराया है उन्होंने. दरअसल वे फ्रीक्वैंट डोनर हैं.’’

क्लीनिक वाले ने उस डोनर से सैंडर की बात कराई. सैंडर ने अपना और मां के बारे में पूरी बात बताई. डोनर ने क्लीनिक वाले को फोन पर अपनी सहमति दे दी. पर क्लीनिक ने उसे ईमेल या व्हाट्सऐप पर कन्फर्म करने को कहा. थोड़ी ही देर में डोनर का मैसेज आया.

क्लीनिक वाले ने थोड़ी देर में सैंडर से कहा, ‘‘फेना उस दिन रिक वर्हिस के स्पर्म से प्रैगनैंट हुई थीं और उन्होंने एक बेटे को इसी क्लीनिक में जन्म दिया था. रिक

ही उस दिन पैदा हुए बच्चे का बायोलौजिकल फादर है.’’

अगले दिन सैंडर रिक से मिलने गया. उस ने कहा, ‘‘मु झे उम्मीद है कि आप ही मेरे बायोलौजिकल फादर हैं. इस उम्मीद को मैं यकीन में बदलना चाहता हूं. इस के लिए हम दोनों को डीएनए टैस्ट कराना होगा. प्लीज, आप मेरा साथ दें.’’

‘‘तुम बचकानी हरकत कर रहे हो बल्कि पागल जैसी बात कर रहे हो. मैं क्यों अपना डीएनए दूं और तुम्हें इस से क्या मिलेगा?’’

‘‘मैं कुछ लेने के लिए ऐसा नहीं कह रहा हूं. वैसे भी मु झे पता है कानूनन हम दोनों का एकदूसरे पर कोई हक नहीं है. बस मेरी तस्सली के लिए. आप से और कुछ नहीं चाहिए मु झे मैं लिखित दे सकता हूं.’’

‘‘मैं तुम्हारे कहने पर इतना भर कर सकता हूं. तुम अपना डीएनए टैस्ट कराओ और वहीं पर मैं भी सैंपल दूंगा. लैब वाले मेरी सहमति से तुम्हें बता देंगे डीएनए का रिजल्ट पर मैं अपनी रिपोर्ट तुम्हें नहीं दूंगा.’’

‘‘इतना ही काफी है मेरे लिए.’’

4  दिनों के बाद दोनों के डीएनए रिपोर्ट मिलनी थी. इन 4 दिनों के अंदर सैंडर और सोफिया दोनों कुछ और क्लीनिक में पता लगाने गए कि फेना की दूसरी संतान किस क्लीनिक

में हुई थी. एक क्लीनिक शहर से दूर था. वहां उन्होंने रिक की रिपोर्ट मिलने के बाद जाने का फैसला किया.

4 दिनों के बाद दोनों की डीएनए रिपोर्ट मिलें. रिक ही सैंडर का बायोलौजिकल फादर था.

दूसरे दिन वे जब एक क्लीनिक गए तो पता चला कि फेना ने किस क्लीनिक में सरोगेसी डिलिवरी कराई थी. यहां क्लीनिक से पता

चला कि फेना की दूसरी सरोगेसी डिलिवरी यहीं हुई थी. उसे एक बेटी हुई थी. यहां भी क्लीनिक वाले ने बहुत अनुरोध करने पर डोनर से बात कराई. यह डोनर भी रिक ही था. सैंडर और सोफिया दोनों कुछ पल एकदूसरे को देखने लगे. दोनों ने एक बार फिर रिक से अनुरोध किया कि वह सोफिया की डीएनए रिपोर्ट से अपनी रिपोर्ट मैच कराए.

सोफिया ने अपना डीएनए टैस्ट कराया. उस का और रिक का डीएनए मैच कर रहा था. रिक ही सोफिया का भी बायोलौजिकल फादर निकला. सैंडर और सोफिया दोनों के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगीं. दोनों ने अपना डीएनए मैच कराया तो देखा कि उन का डीएनए भी 55% मैच कर रहा था. उन्होंने डीएनए ऐक्सपर्ट से भी बात की तो उस ने कहा तुम दोनों की मौम एक ही हैं, फेना और स्पर्म डोनर भी एक ही है रिक तो इस में शक की कोई गुंजाइश ही नहीं है. तुम दोनों के सिबलिंग होने में कोई शक नहीं है. तुम दोनों सगे भाईबहन हो.’’

सैंडर और सोफिया दोनों पर जैसे बिजली गिर पड़ी, सोफिया बोली, ‘‘कुदरत हमें माफ करें, ये हम ने क्या किया. अनजाने में ही हम से गुनाह हो गया.’’

‘‘यह गुनाह कुदरत की मरजी से हुआ है. हम ने खुद जानबू झ कर कोई गुनाह नहीं किया

है. हम लोग तो 4-5 दिन पहले तक इस बारे

में कुछ नहीं जानते थे. हमें कोई पछतावा नहीं करना चाहिए.’’

सैंडर और सोफिया दोनों औक्सफोर्ड में

हुई मुलाकात से पहले एकदूसरे से बिलकुल अनजान थे और वर्षों से पतिपत्नी रहे हैं और उन के 2 बच्चे भी हुए. वे दोनों नीदरलैंड से वापस एडिनबरा आए. वहां उन्होंने वकील से राय ली कि ऐसे में क्या करना चाहिए.

उस ने कहा, ‘‘आप ने जानबू झ कर ऐसा नहीं किया है. पर अब पतिपत्नी के रूप में रहना कानूनन अपराध है. बेहतर है आप लोग खामोश रहें पर आप खुद सम झदार हैं कि अब आप भाईबहन हैं  और रहेंगे, पतिपत्नी नहीं. बच्चों से भी इस की चर्चा न करें.’’

सोफिया और सैंडर दोनों काफी उदास और चिंतित थे. उन्हें देख कर वकील ने कहा, ‘‘आप पहले ऐसे दंपती नहीं हैं. पहले भी ऐसे मामले मु झे देखने और सुनने को मिले हैं. रिक जैसे कुछ प्रोफैसनल डोनर्स हैं जिन्हें खुद पता नहीं कि दुनिया में उन की कितनी औलादें हैं. कुछ दिन पहले मु झे पढ़ने को मिला था कि किसी डोनर ने 150 से भी ज्यादा बार स्पर्म डोनेट किया है. ऐसे में इस तरह की समस्या का होना कोई आश्चर्यजनक बात नहीं है.’’

‘‘बच्चों को क्या बताया जाण्?’’ सैंडर ने पूछा.

वकील ने कहा, ‘‘सचाई छोड़ कर उन्हें कुछ भी बातएं मसलन कोई मनगढ़ंत कहानी बता कर इस मुद्दे को हमेशा के लिए खत्म कर दें. पूरे परिवार की भलाई इसी में है.’’

सोफिया और सैंडर दोनों ने सिर हिला कर अपनी सहमति जताई. अब उन्हें भी बात सम झ में आने लगी थी कि क्यों लोग अकसर हम दोनों को साथ देख कर कुछ पल घूरा करते थे. हमारे चेहरों का मिलना मात्र संयोग नहीं था. हमारे चेहरे बायोलौजिकल फादर रिक से मिलते थे.

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