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नंदिनी के पास आज कायरा का फ़ोन आया था. कायरा बिना रुके धाराप्रवाह बोले जा रही थी, ‘मम्मी, अगर आप नहीं आईं तो मेरे हाथों से यह प्रोजैक्ट निकल जाएगा.’  नंदिनी बोलना चाहती थी कि वह नहीं आ सकती है. न जाने क्यों नंदिनी अपने दामाद आरव का सामना नहीं करना चाहती थी. पर हमेशा की तरह मन की बात मन में ही रह गई और उधर से कायरा ने फ़ोन काट दिया था.

रात को जब प्रशांत आए तो मुसकराते हुए बोले, ‘लगता है मेरी आज़ादी के दिन नज़दीक हैं, तुम्हारी लाड़ली ने तुम्हारा बेंगलुरु जाने का टिकट बुक करा लिया है. अगले रविवार की तैयारी कर लो.’

नंदिनी थोड़े गुस्से में बोली, ‘तुम ने या उस ने मुझ से पूछने की भी जरूरत नहीं समझी?’

प्रशांत हैरान होते हुए बोले, ‘अजीब मां हो तुम, मुझे क्या है, मत जाओ तुम.’

नंदिनी प्रशांत से कहना चाहती थी कि आरव की मौजूदगी उसे परेशान करती है पर वह क्या और कैसे कहे. ऐसा नही है कि आरव ने नंदिनी के साथ बदतमीज़ी की हो पर न जाने क्यों नंदिनी को आरव के साथ कुछ अलग सा लगता है.

आरव का नंदिनी को कंप्लीमैंट्स देना, उस के सलीके की तारीफ करना सबकुछ नंदिनी को आरव की तरफ खींचता हैं. इस कारण भी नंदिनी आरव का सामना नहीं करना चाहती थी.  एक 52 वर्ष की महिला, एक 27 वर्ष के खूबसूरत लड़के के बारे में ऐसा सोच भी कैसे सकती है वह भी जब वो उस का दामाद हो.

नंदिनी भारी मन से तैयारी कर रही थी. वह एक अजीब सी उलझन में घिर गई थी. किस से बात करे, उसे समझ नहीं आ रहा था.  अभी कायरा की शादी को दिन ही कितने हुए हैं, बस 7 महीने ही तो हुए हैं पर आज भी नंदिनी की आंखों के आगे वह होली आ जाती है जब आरव नंदिनी को रंग लगाते हुए कह रहा था- ‘कौन कहेगा कि आप कायरा की मम्मी हो, आप अभी भी कितनी फिट हो’ और यह कहते हुए आरव शरारत से मुसकरा रहा था. नंदिनी शर्म से पानीपानी हो उठी पर न जाने क्यों उस का मन आरव की तारीफ़ से खिल उठता था.

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