नंदिनी कायरा की बात सुन कर सोच में पड़ गई थी. क्या कायरा की लापरवाही इस के लिए जिम्मेदार है या फिर आरव का बड़ी उम्र की महिलाओं के प्रति रुझान या फिर नंदिनी ने ही आरव को इतनी ढील दे रखी है कि वह नंदिनी को सास नहीं, एक दोस्त समझता हैं.
नंदिनी जब अपने मन की टोह नहीं ले पा रही थी तो उस ने अपनी सब से अच्छी दोस्त श्वेता को फ़ोन लगा दिया था. श्वेता बेहद बिंदास और मस्तमौला इंसान थी. जिंदगी को भरपूर जीती थी और कभी किसी को जज नहीं करती थी.
फ़ोन पर श्वेता चहकती हुई बोली, ‘भई, तुम ने तो इंस्टा पर अपनी नई तसवीरों से आग लगा रखी है. तुम्हारा दामाद आरव अभी भी तुम से उतना ही इंफैचुएटेड है जितना शादी की रात को था!’
नंदिनी ने छूटते ही बोला, ‘तुम्हें कैसे पता?’
श्वेता हंसती हुइ बोली, ‘अरे, उसे देख कर कोई भी बता सकता हैं?’
नंदिनी अनमनी सी बोली, ‘श्वेता, मुझे भी अच्छा लगता है आरव का अपने आगेपीछे घूमना.’
श्वेता बोली, ‘तो क्या हुआ, तुम एक खूबसूरत औरत हो और तारीफ़ किसे पसंद नहीं हैं, यार.’
नंदिनी बोली, ‘पर यार, मैं आरव से रिश्ते में, गरिमा में और उम्र में बड़ी हूं.’
श्वेता ने कहा, ‘नंदिनी, तुम जितना खुद को रोक कर रखोगी उतना ही बंधा हुआ महसूस करोगी. यह कुछ गलत नहीं है, यह प्राकृतिक है. तुम्हारा इसे नकारना तुम्हें ग्लानि से भर देता है.’ नंदिनी बोली, ‘क्या करूं मैं, यार? मैं बहुत परेशान हूं’
श्वेता बोली, ‘आरव तुम्हारा दामाद होने से पहले एक इंसान भी है. क्या ग़लत है अगर वह तुम्हें पसंद करता है? अगर तुम दोनों को एकसाथ मित्रों की तरह बात करना पसंद हैं तो इस में गलत क्या है? मेरी और मेरी बहू में बहुत दोस्ती है तो अगर तुम्हारी अपने दामाद से दोस्ती है तो इस में कुछ गलत नही हैं. हां, अगर तुम उस की कुछ बातों को ले कर असहज हो तो एक मित्र होने के नाते क्यों नहीं तुम उसे सही दिशा दिखा सकती हो. कुछ भी गलत नही है, बस, तुम्हारी सोच गलत है.’
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