Writer- जयश्री चटर्जी
मेरे यह कहते ही कि घर में एक नया मेहमान आने वाला है, मेरे पति ने मु?ो जिस गुस्से व आश्चर्य से देखा उसे मैं कभी नहीं भूल पाऊंगी.
‘‘हम उस का क्या करेंगे?’’ उन्होंने पूछा.
‘‘मु?ो नहीं मालूम,’’ मैं ने कहा. मु?ो इन से किसी ऐसे सवाल की उम्मीद नहीं थी, इसलिए मु?ो कुछ गुस्सा सा भी आ गया था और मैं ने उसी लहजे में उन से पूछ डाला, ‘‘और सब बच्चों का क्या करते हैं? उन्हें खिलापिला कर, पालपोस कर बड़ा ही करते हैं न.’’
मगर जैसे ही मैं ने अपनी बात खत्म की,
मेरे पति ने देश की खराब आर्थिक स्थिति पर
एक लंबा भाषण मु?ो सुना डाला और यह सम?ाने की कोशिश की कि जब उज्ज्वल भविष्य के अवसर न हों तो बच्चे पैदा करना एक अपराध है. उन्होंने मु?ो राहुल गांधी के 2-4 भाषण दिखा
डाले, जिस में उन्होंने बेरोजगारी की बात की. उन खबरों को दिखा डाला जिन में सिपाई और पटवारी की सैकड़ों की नौकरियों के 20-30 लाख कैंडीडेट बैठे थे.
2 घंटे बाद जब मेरे पति ने दफ्तर से फोन किया तो मैं ने सोचा कि वे परिवारनियोजन के विशेषज्ञ से बातचीत कर के कुछ नई बात बताने वाले होंगे. लेकिन फोन पर उन्होंने जिस लहजे में बात की वह बिलकुल भिन्न था.
‘‘अपने दफ्तर में कोई भारी चीज उठाना
या खिसकाना नहीं,’’ उन्होंने बड़े प्यारभरे स्वर
में कहा, ‘‘तुम्हें इस दौर में कोई अधिक थकाने वाला काम भी नहीं करना चाहिए. इस में पहले
3 महीने बहुत नाजुक होते हैं. जब तक मैं
डाक्टर से सलाह ले कर यह बता न दूं कि
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