नया पर्स ले कर कालेज जाने के लिए बाहर निकल ही रही थी कि पड़ोस के कमरे की सरोज प्रिंटर के लिए एफोर साइज के कागज मांगने आ पहुंची. पर्स पर नजर पड़ी तो बोली, ‘‘रंग तो बड़ा अच्छा है. कितने का खरीदा?’’

‘‘क्व2,100 में. सस्ता है न?’’

‘‘सस्ता. चीप स्टो वैबसाइट पर बिलकुल यही पर्स 15-30% में नहीं 90% डिस्काउंट पर आप को दिलवा दूं. ये ईकौमर्स करते लोग तो महा ठग होते हैं. सही साइट की पहचान न हो तो मनमाने ढंग से लूटते हैं.’’

सुन कर दिल को बड़ा धक्का लगा. स्टाइल दिखाने के चक्कर में कुछ न कुछ रोज खरीदना ही पड़ता है और हमें तो फ्रैश बास्केट वाले बारहों महीने उल्लू बनाते हैं. गरमियों में सस्ती के दाम 20% बढ़ा कर 10% की छूट कर के देते हैं. रेन डिस्काउंट में कहते हैं एंड औफ रेन सीजन पर

4 सब्जियां 30% डिस्काउंट पर मिलेंगी पर 10 के दाम बढ़े होते हैं.

कजिन का विवाह पास आ रहा था. मुझे 2-3 हलकी ड्रैसों की आवश्यकता थी. रूममेट ने सु?ाव दिया कि साइटों से कंपेयर करना मेरे बस की बात नहीं. अत: मुझे कपड़ो ऐसी साइट से लेना चाहिए जहां एकदाम हो ताकि हेराफेरी की संभावना न रहे. पैराजान माल और दाम सही होते हैं. ब्लैक वैडनैसडे उन का हर वैडनैसडे होता है.

लौपटौप पर औफिस से छुट्टी ले कर रूमसैट के साथ मैं बैठ गई. साइट खुली तो दिखा 75% औफऔन सिलैक्टेड प्रोडक्ट्स.

हमें कुछ अटपटा सा लगा क्योंकि क्लिक करने पर कुछ नहीं हुआ. 75% मिस पर यही पता नहीं चल रहा था. कहीं कोई बटन नहीं दिखा. 1 मिनट के इंतजार के बाद एक पौप रूप स्क्रीन आई. क्लिक किया तो आगे बस एक जलेबी घूम रही थी.

5 मिनट बाद खीज हुई और लैपटौप बंद करना पड़ा. आधे घंटे बाद फिर उसी ईकौमर्स साइट पर पहुंचे तो वही हाल. मैं ने तो शौपिंग के लिए छुट्टी ली थी पर यहां एक ही प्रोडक्ट बारबार आ रहा था.

एक और ईकौमर्स साइट सेवकार्ट पर गए. वहां 60% डिस्काउंट का एक बौक्स हमें बुला रहा था. क्लिक किया तो लिखा था- औन परचेज औफ 10000 रुपीज और मेरा औन… कार्ड क्रैडिट कार्ड. अब यह कार्ड नहीं था मेरे पास इसलिए डील औफ ट्रैंड पर क्लिक किया. खूब सारी ड्रैसें थीं, दूसरे प्रोडक्ट्स भी. अगर एक बौक्स में 40% डिस्काउंट औन सिलैक्टेड आइटम्स. मन खुश हो गया. क्लिक किया तो स्क्रैच करने पर एक के बाद एक सही ही दिल्ली के लाजपत नगर में बिकने वाली ड्रैसें थीं. कुछ अच्छी लगीं तो उन के नीचे आउट औफ स्टौक लिखा था.

ईकौमर्स साइट वालों को गालियां देते हुए मैं ने और रूममेट ने लैपटौप बंद कर दिया. वैसे और भी कई साइटों पर एक ही अनुभव काफी था. ऐसा लग रहा था जैसे कंप्यूटर पर गेमिंग खेल रहे हों, शौपिंग नहीं कर रहे. जैसे कहीं भीख मांगने गए हों और दुत्कार मिली हो.

मगर ड्रैसों का क्या हो? मैं ने सुना था कि कुछ इन्फ्लुएंसर्स हैंडलों में छोटे ब्रैंड्स भी मिलते हैं. डंके की चोट पर बड़ी ईकौमर्स कंपनियों के कान काट लाती हैं. नैक्सूट रूम की रूममेट सरोज की पेपर, स्टैप्लर, कैरी बैग मांगने की आदत से सारा होस्टल चाहे परेशान हो पर उस की खरीदारी की कला की धाक सब पर जमी हुई है.

मैं ने उसे अपनी कठिनाई बताई तो उस ने कहा, ‘‘सोमवार को 4-5 इन्फ्लुएंसर्स डै्रस बाजार में बेहद सस्ती और बढि़या ड्रैसों की रील्स दिखाती हैं. कमैंट सैक्शन में लिंक भी होता हैं. सोमवार को औफिस के बाद मिलते हैं.’’

पहला सोमवार तो कट गया क्योंकि वह दर्शनीय थी. हरेक में चमचमाती ड्रैसें, बे… बौडी डै्रसें दिख रही थीं… अंबार लगे थे. हम एक इन्फ्लुएंसर्स पोस्ट के पास रुके. कुछ सुंदर डै्रसें पहन कर वे अदाएं दिखा रही थीं. उन में से एक पसंद आने पर मैं ने नीचे डिस्क्रिप्शन पढ़ी और होस्टल मेट ने कहा, ‘‘पहले उसे कार्ड में डाल लो. पता नहीं कहीं आउट औफ स्टौक न हो जाए.’’

मैं ने यही किया. ऐसा करते ही एक पौप अप स्क्रीन उभरी, ‘‘थैंक्स फौर योर पेशंस. नाऊ साइन अप एंड गैट ऐक्स्ट्रा 20% डिस्काउंट.’’

होस्टल मेट ने गर्व से देखा और कहा, ‘‘इस शौपिंग का यही तो राज हरेक को नहीं मालूम है.’’

‘‘उस पर कीमत तो सवा सौ है, क्या यह 50 में मिल जाएगी?’’

‘‘हो सकता है 50 में भी मिल जाए,’’ मेट ने कहा, ‘‘यह डील पर डिपैंड करता है. कई बार घंटों के लिए 80% की छूट होती है.’’

फिर भी वहां कई और चीजों पर ऐसे ही दाम लिखे दिख रहे थे.

मैं ने सोचा 125 की चीज खरीद है. 50 रुपए में, सिल्क की ड्रैस कहां मिलेगी. फिर भी वहां कई और चीजों पर ऐसे ही दाम लिखे दिख रहे थे.

ड्रैसों की बहार देखते हुए हम ने और ब्राउजिंग शुरू की. अब तो जो भी साइट खोलों किसी न किसी ड्रैस वाले का एड टपक पड़ रहा था. ड्रैसें शानदार, दशा बिलकुल सही पर हर जगह क्रैडिट कार्ड से एडवांस में भुगतान, सीओडी यानी कैश औन डिलिवरी की सुविधा नहीं. कुछ साइटें बिलकुल अनजान. एक कंप्यूटर ऐक्सपर्ट सहेली से पूछा तो उस ने कहा कि उस के अकाउंट अस या कौंटैक्ट अस पर जाओ और देखो अकाउंट अस में सैकड़ों शब्द. एक जगह लगा था क्लिक फौर टर्मस ऐंड कंडीशंस. उस पर क्लिक किया तो 20 पेज की छोटे टाइप में पीडीएफ फाइल. अंत में ओके करने को कहा. कहीं कोई सवालजवाब नहीं.

अंत में एक साइट पर 50% डिस्काउंट पर सहेली की सिफारिश पर एक ड्रैस खरीद ली. एक बार पहनी और उस के बाद से वह अलमारी की सब से नीचे की दराज में पड़ी हम पर रोज हंसती है.

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