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सुबह 10 बजे के करीब मैं नेहा से मिलने उस के घर पहुंची. उस ने सुमित की जिंदगी से निकलने का फैसला क्यों किया है, मैं यह जानना चाहती थी.

मेरे सवाल को सुन कर वह बहुत परेशान हो उठी. कुछ देर खामोश रहने के बाद उस ने बोलना शुरू किया, ‘‘अनु दीदी, उस की शराब पीने की आदत उस का स्वास्थ्य भी बरबाद कर रही है और हमारे बीच भी ऐसी खाई पैदा कर दी है, जिसे भरने में मेरी कोई दिलचस्पी नहीं है,’’ और वह रोंआसी हो उठी.

‘‘क्या वह बहुत पीने लगा है?’’ मैं ने चिंतित लहजे में पूछा.

‘‘दीदी, सूरज डूबने के बाद उस के लिए शराब पीने से बचना संभव ही नहीं. घर में उस के मम्मीपापा दोनों पीते हैं. सुमित दोस्तों के यहां हो या क्लब में, शराब का गिलास उस के हाथ में जरूर नजर आएगा. बिजनैस बढ़ाने के लिए पीनापिलाना जरूरी है, वह इस उसूल को मानने वाला है. यह बात अलग है कि अब तक वह अपने बिजनैस में 10 लाख से ज्यादा रुपए डुबो चुका है.’’

‘‘तुम तो उसे दिल से प्यार करती थीं?’’

‘‘वह तो आज भी करती हूं दीदी, पर अब उस का साथ निभाना नामुमकिन हो गया है.’’

‘‘प्यार में बड़ी ताकत होती है, नेहा. तुम्हें यों हार नहीं माननी…’’

‘‘दीदी, आप मुझ पर कोशिश न करने का इलजाम न लगाओ, प्लीज,’’ उस की आंखों में आंसू भर आए, ‘‘मैं ने सुमित के सामने हाथ जोड़े… गिड़गिड़ाई… रोई… नाराज हुई… गुस्सा किया पर उस ने शराब छोड़ने के झूठे वादे ही किए, छोड़ी नहीं.

‘‘मैं ने उस से बोलना छोड़ा, तो वह सुधरने के बजाय मारपीट और गालीगलौज पर उतर आया… एक नहीं कई बार उस ने मुझ पर हाथ उठाया.’’

कुछ देर खामोश रहने के बाद मैं ने उस से पूछा, ‘‘वह शराब पीना छोड़ दे, तो क्या तुम उसे अपनी जिंदगी में दोबारा लौटने दोगी?’’

‘‘दीदी, मुझे झूठी आशा मत बंधाइए.’’

‘‘तुम मेरे सवाल का तो जवाब दो.’’

‘‘मैं ने तो सुमित के साथ ही जिंदगी गुजारने का सपना देखा है, दीदी. पर अब कभी शादी न करने का विचार मुझे जंचने लगा है… प्रेम पर से मेरा विश्वास उठ गया है,’’ वह बहुत उदास हो उठी.

‘‘तुम शाम को क्लब आओ, नेहा. मैं अभी सुमित से मिलने जा रही हूं. उस से क्या बात हुई, तुम्हें शाम को बताऊंगी,’’ उस का हाथ प्यार से दबा कर मैं उठ खड़ी हुई थी.

कुछ देर बाद सुमित के घर में व्याप्त तनाव को मैं ने अंदर कदम रखते ही महसूस किया. उस के पिता सुरेंद्र अंकल गुस्से से भरे थे. सीमा आंटी की सूजी आंखें साफ बता रही थीं कि वे कुछ देर पहले खूब रोई हैं.

सुमित से मैं करीब 3 महीने बाद मिल रही थी. उस का चेहरा मुझे सूजा सा नजर आया. आंखों के नीचे काले गड्ढे थे.

वे सब मुझे घर का सदस्य मानते थे. चिंता के कारण को अंकल और आंटी मुझ से ज्यादा देर छिपा नहीं पाए.

सुमित को नाराजगी से घूरते हुए सुरेंद्र अंकल ने मुझे बताया, ‘‘अनु, यह पहले ही लाखों रुपए का नुकसान करा चुका है. अब 20 लाख रुपए की और मांग है नवाबजादे की. यह किसी लायक होता तो मैं कहीं से इंतजाम जरूर करता पर इस को फिर अपने दोस्तों की सलाह पर चल कर नुकसान उठाना है. मुझे अब 1 रुपया भी नहीं लगाना इस के बिजनैस में.’’

‘‘बेकार की बातें कर के अपना और मेरा दिमाग मत खराब करो डैड. आप की रकम मैं साल भर में लौटा दूंगा,’’ सुमित बड़ी कठिनाई से अपने गुस्से को काबू में रख पा रहा था.

‘‘इस बार इस की मदद कर दीजिए,’’ अपनी पत्नी के इस सुझाव की प्रतिक्रिया में सुरेंद्र अंकल ने उन्हें बेहद गुस्से से देखा.

‘‘महत्त्वपूर्ण फैसले शांत मन से करने चाहिए, क्रोध या टकराव की भावना के वश में हो कर नहीं, अंकल. सुमित की परेशानी आप हल नहीं करेंगे तो कौन हल करेगा?’’ इन के झगड़े के बीच मैं खुद को बड़ा असहज व परेशान महसूस कर रही थी.

‘‘इस की मुसीबत की जड़ इस के वे दोस्त हैं अनु, जिन्हें शराब पी कर मौजमस्ती करने के अलावा कोई काम नहीं है और वह लड़की नेहा, जो इसे दुत्कारती रहती है और यह है कि उस के आगेपीछे घूमे जा रहा है… अरे, क्या कमी है इस के लिए अच्छी लड़कियों की? मैं एक से एक…’’

‘‘मुझे कोई दिलचस्पी नहीं है आप की किसी भी एक से एक बढि़या लड़की में. मेरा इस घर में दम घुटता है,’’ कह कर सुमित झटके से उठा और बाहर चला गया.

मैं उठ कर उस के पीछे भागी. वह मुझ से भी बात करने के मूड में नहीं था. शाम को क्लब में मिलने का वादा कर के वह अपनी फैक्टरी चला गया.

बाद में सुरेंद्र अंकल ने मुझ से सुमित की शिकायतें दिल भर कर कीं. सीमा आंटी जब भी अपने बेटे का पक्ष लेतीं, दोनों के बीच फौरन झगड़ा शुरू हो जाता.

लंच मैं ने अंकलआंटी के साथ ही किया. वे दोनों बीयर पीते हुए खा रहे थे.

‘‘सोलन में तो बहुत ठंड पड़ती है. तुम ने वहां भी अब तक ड्रिंक लेना शुरू नहीं किया है, अनु?’’ सीमा आंटी ने अपना बीयर का गिलास भरते हुए पूछा.

‘‘नहीं, आंटी,’’ मैं ने जबरदस्ती मुसकराते हुए जवाब दिया.

सुरेंद्र अंकल ने पहली बार वार्त्तालाप में हिस्सा लेते हुए हंस कर कहा, ‘‘जिंदगी के हर मोड़ पर आजकल जबरदस्त कंपीटीशन है. युवावर्ग टैंशन का शिकार है और उसे दूर करने के लिए पीना उस की जरूरत बन गया है.’’

‘‘आज का युवावर्ग कम पिएगा अगर हम ड्रिंक करने को सामाजिक स्वीकृति देना बंद कर दें. पीने को सामाजिक जीवन का स्वीकृत हिस्सा बना कर हम ठीक नहीं कर रहे हैं. इस से होने वाले नुकसानों को मुझे गिनाने की जरूरत नहीं है,’’ मैं ने जज्बाती अंदाज में अपने दिल की बात कही.

उन दोनों ने मेरी बात सुन कर भी अनसुनी सी कर दी. अपनी किसी गलती को सच्चे मन से स्वीकार कर के बदलाव लाना क्या आसान काम है?

शाम को सुमित की शराब पीने की लत ने जो रंग दिखाया, उसे मैं गहरे दुख और अफसोस के साथ ही बयान कर रही हूं.

ऐन वक्त पर पापा के एक दोस्त उन से मिलने आ गए, इस कारण हम उस शाम क्लब कुछ देर से पहुंचे थे. हौल में प्रवेश करने से पहले ही सुमित की नशे में लड़खड़ाती गुस्से से भरी आवाज हमारे कानों तक पहुंची. अंदर का दृश्य देख कर हमारा दिमाग घूम गया.

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