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अलसाई हुई वाणी के मोबाइल की घंटी बजी तो उस ने उसे उठाया. उधर मम्मीजी थीं.

‘‘वाणी, हैप्पी मैरिज ऐनिवर्सरी.’’

‘‘थैंक्स मम्मीजी.’’

‘‘तुम्हारा प्यारा पिया कहां है?’’

‘‘मम्मीजी वे तो घर पर नहीं हैं.’’

‘‘कहां गया?’’

‘‘मैं तो सो रही थी. वे न जाने कब उठ कर चले गए. मु  झे पता ही नहीं चला.’’

‘‘सोम कभी नहीं सुधरेगा. उसे याद भी नहीं रहा कि आज तुम लोगों की मैरिज ऐनिवर्सरी है.’’

‘‘उन्हें कोई जरूरी काम होगा इसीलिए चले गए होंगे,’’ वाणी ने कहा, लेकिन वह मन ही मन उदास हो उठी थी. सोम को ऐनिवर्सरी भी याद नहीं रही.

तभी आहिस्ता से सोम कमरे में आया और फोन हाथ में ले कर बोला, ‘‘थैंक्स मौम.’’

‘‘हम लोग शाम तक तुम्हारे पास पहुंच रहे हैं. आज कुछ पार्टीशार्टी हो जाए.’’

‘‘ओ.के. मौम, लेकिन आप की लाडली बहू जब परमिशन देगी तब तो.’’

‘‘सम  झ लो मिल गई.’’

‘‘ओ.के. मौम, मैं एअरपोर्ट पर आऊं?’’

‘‘नहीं. तुम पार्टी की तैयारी करो.’’

फिर सोम ने वाणी को अपने आगोश में ले लिया और एक प्यारा सा चुंबन उस के गाल पर अंकित कर उस की कलाइयों में डायमंड के कंगन पहना दिए और बोला, ‘‘डियर, हैप्पी ऐनिवर्सरी. आज तो सैलिब्रेशन का दिन है. आज तो ग्रैंड पार्टी होगी. डांस फ्लोर वाला हौल बुक करेंगे. मौम और डैड को तो डांस के बिना मजा ही नहीं आएगा.’’

‘‘लेकिन एक बात सुन लीजिए. ड्रिंक के लिए नो परमिशन.’’

आज से 5 साल पहले की बात है, जब मंजरी की शादी में उस के सौंदर्य और शालीनता से प्रभावित हो कर मम्मीजी और पापाजी ने उसे अपनी बहू बनाने का फैसला कर लिया था.

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