वाणी का कड़ा रुख देख सोम चुपचाप अपने कमरे में चला गया. परंतु उस की आंखें क्रोध से लाल हो रही थीं. दोनों में बोलचाल बंद थी. घर में शांति छा गई थी. वाणी को सीक्रेट सर्विस वालों की रिपोर्ट का इंतजार था. वह जब उसे मिली तो उस का शक सही निकला था. उन लोगों ने सोम और नैना के रिश्तों की बात सच बताई. साथ ही नैना के अन्य संबंधों की सीडी उस को दे कर गए. अब वह आश्वस्त थी कि अपने और सोम के रिश्ते को या तो बचा लेगी या तोड़ लेगी. तभी मम्मीजी का फोन आ गया कि पापा को हार्टअटैक पड़ा है, इसलिए तुम दोनों तुरंत आओ.
सोम और वह दोनों तुरंत वहां पहुंच गए थे. पापाजी एक हफ्ते नर्सिंग होम में रहने के बाद डिस्चार्ज हो कर घर आ गए थे.
सोम के पिता महेंद्रजी बहुत जल्दी स्वस्थ हो गए. नैना के नशे में डूबा सोम वाणी को वहीं छोड़ मुंबई चला आया. वाणी के उतरे हुए चेहरे और गुमसुम रहने से सरिताजी का माथा ठनका. उन्होंने पूछा, ‘‘वाणी, तुम्हारे और सोम के बीच सब ठीक तो है न?’’
‘‘जी मम्मीजी.’’
‘‘सोम तो तुम्हें फोन भी नहीं करता?’’
‘‘वे काम में बहुत बिजी रहते हैं, इसलिए नहीं कर पाए होंगे.’’
‘‘तुम मु झ से कुछ छिपा रही हो. सचसच बताओ. मैं अपने बेटे के स्वभाव को अच्छी तरह जानती हूं.’’
अब वाणी अपने को रोक न पाई तो
एकदम से उबल पड़ी, ‘‘मम्मीजी, मैं सोम से तलाक लेना चाहती हूं. मैं उन के साथ अब नहीं निभा सकती.’’
‘‘क्या बात है?’’
‘‘प्लीज, आप पापाजी से कुछ मत कहिएगा. अभी उन की तबीयत पूरी तरह ठीक नहीं है.’’