कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

‘‘इधर, मेरी कंपनी ने भी मुझे नौकरी से निकाल दिया. मुझे अपना ही बच्चा बोझ लगने लगा. कभीकभी मुझे अपने बच्चे पर रोना आने लगता. तब मेरी एक सहकर्मी काम आई. उस की सहायता से मैं वहां से बहुत दूर आ गई. वहां मुझे शांति मिली क्योंकि मेरी सहकर्मी ने उन को सबकुछ बता दिया था. इसलिए कोई गंदी नजरों से देखने वाला नहीं था. परंतु मुझे अपने बच्चे की चिंता थी. इसलिए मुझे लगा, इस बच्चे को दुनिया में आना ही नहीं चाहिए. लेकिन जब आश्रम के संचालकजी को पता चला तब उन्होंने समझाया और कहा, हम यहां जीवन देने के लिए बैठे हैं, लेने के लिए नहीं. क्या पता यह बच्चा ही तुम को तुम्हारे पति से मिला दे. आश्रम वालों ने हर कदम पर मेरा साथ दिया.

‘‘मैं आप से ये सब क्यों कह रही हूं? मुझे आप अपनी सी लगीं शायद.’’

मैडम मन ही मन बुदबुदाईं, ‘अपनी? पर अगर सच पता चल जाए तो शायद वे उस से घृणा करने लगें.’ मैडम को अब वहां बैठना भारी लगा. इसलिए वे उठ गईं लेकिन फिर मिलने का वादा कर के. वहां से उठ कर वे आश्रम के संचालक के पास आ कर बैठ गईं. उन से उन की बीमारी का पता चला. यह भी पता चला कि उन को इस आश्रम में भेजा गया था कि यहां वे स्वास्थ्य लाभ कर सकें. उन्होंने ही बताया, इन की इच्छाशक्ति बहुत मजबूत है. कहती हैं कि मैं तब तक नहीं मरूंगी जब तक अपने बेटे को उस के बाप को सौंप न दूं. डाक्टर भी हैरान हैं. मैडम वापस घर आ गईं, जहां फाइलें उन का इंतजार कर रही थीं. उन का समय निकल गया. रात को 10 बजे के करीब उन के पतिदेव राज वर्मा घर आ गए.

खाना खापी कर जब दोनों सोने जा रहे थे तब मैडम बोलीं, ‘‘तुम्हारा बेटा बिलकुल तुम पर गया है.’’

‘‘मेरा बेटा? क्यों मजाक कर रही हो. संतान के लिए हम दोनों तड़प रहे हैं.’’ ‘‘मैं मजाक नहीं कर रही हूं. आज कालेज में इंटरव्यू थे. वह भी आया था. जब वह इंटरव्यू के लिए आया, उसे देख कर लगा कि तुम आ गए. वह बिलकुल आप की तरह था. उस के चश्मा लगा था, तुम्हारे नहीं लगा है. वह तो अच्छा था कि बोर्ड के अन्य सदस्यों ने आप को नहीं देखा हुआ था, वरना वे मुझ से भी ज्यादा हैरान होते.’’

‘‘मैं अभी भी नहीं समझा.’’

‘‘तुम्हारी लिव इन रिलेशन मिल गई है. तुम्हारी ‘वह’ उस समय गर्भवती थी.’’

‘‘पर उस ने मुझे तो कभी नहीं बताया.’’

‘‘उसे भी नहीं पता था. आप से झगड़े के बाद वह अस्पताल गई थी तब उसे पता चला. वह बहुत खुश थी. तुम्हें सूचना देने के लिए वह तुम्हारा इंतजार कर रही थी. और…आज भी कर रही है.’’

‘‘तुम यह सब कैसे जानती हो?’’

‘‘मैं उस से मिली हूं. वह इसी शहर में है. उस की कहानी सुन कर मुझे अपनेआप से घृणा होने लगी. एक बेटे को उस के बाप के प्यार से वंचित करने का गुनाह हो गया. मैं ने भी उसे ऐसीवैसी औरत समझा था. मेरे मन में भी यही था कि जो औरत बिना शादी के एक मर्द के साथ रह सकती है वह किसी के साथ भी भाग सकती है. मैं गलत साबित हुई. सच में, वह वास्तव में, आप से दिल से प्यार करती है. ‘‘प्रभा इंडस्ट्रीज के मालिक का बेटा आश्रम में रहे, यह मैं नहीं चाहती.’’

‘‘उस की मां?’’

‘‘वह भी हमारे साथ रहेगी.’’

‘‘क्या तुम अपने ही घर में सौतन को बरदाश्त कर सकोगी?’’

‘‘मुझ से ज्यादा, तुम पर, उस का हक है. भले ही वह तुम्हारी ब्याहता नहीं है. मुझे बस यही चिंता है कि सारी सचाई जान कर क्या वह मुझे माफ करेगी?’’ ‘‘क्या राहुल इस सचाई को स्वीकार कर सकेगा?’’ दोनों रातभर ढंग से सो नहीं पाए. सुबह दोनों जल्दी उठ गए. जल्दी से तैयार हो गए. एक डर के साथ दोनों आश्रम की ओर रवाना हो गए. उन के कमरे का एक दरवाजा बाहर सड़क की ओर खुलता था उसी ओर दोनों गए. दरवाजा खुला हुआ था.

पहले मैडम ने प्रवेश किया. मैडम को दरवाजे पर देख कर वे मुसकरा उठीं, ‘‘आज कैसे?’’

‘‘आज मैं तुम्हारे लिए सरप्राइज लाई हूं,’’ फिर दरवाजे की ओर मुंह कर के बोलीं, ‘‘राजजी, अंदर आ जाओ.’’ वे अंदर आ गए. दोनों ने एक लंबे अरसे बाद एकदूसरे को देखा और एकदूसरे को देखते ही रहे, फिर प्रभा बिस्तर से उठने की कोशिश करने लगी. राज ने तत्काल उस के पास पहुंच कर उसे अपनी बांहों में भर लिया. वे यह भूल गए कि उन की ब्याहता पत्नी साथ है. प्रभा ने भी उन्हें बांहों में भर लिया. मैडम कुछ देर तक शांत रहीं, फिर अपनी उपस्थिति दर्शाने के लिए खांसी, तब दोनों को एहसास हुआ कि कोई और भी मौजूद है, एकदूसरे से अलग हो गए. तभी राहुल ने वहां प्रवेश किया और मैडम को देख कर चौंक गया और मैडम से पूछा, ‘‘आप यहां कैसे?’’ मैडम के कुछ कहने से पूर्व ही उस की नजर मां के पास बैठे शख्स की ओर पड़ी. तभी उस की मां बोल पड़ीं, ‘‘ये तुम्हारे पापा हैं, पैर छुओ, बेटा.’’

राहुल बोला, ‘‘अब क्यों आए हैं? अब मैं अपनी मां का खयाल रख सकता हूं. उस समय कहां थे जब मां को आप की सब से ज्यादा जरूरत थी. मां ने क्याक्या नहीं भुगता. उन को दूसरों को जवाब देना पड़ा. आप को अंदाजा भी नहीं होगा.’’ वह आगे भी कुछ कहता तभी मैडम बोल पड़ीं, ‘‘तुम्हारे पापा का कोई दोष नहीं है.’’

यह सुन कर राहुल बोला, ‘‘मैडम, आप बीच में मत पडि़ए. यह हमारा पारिवारिक मामला है. आप मत बोलिए.’’

मैडम बोलीं, ‘‘मैं तुम्हारे पापा की ब्याहता हूं.’’ यह सुनते ही मां और राहुल चौंक गए.

राहुल बोला, ‘‘तभी आप ने वे प्रश्न पूछे जिन का इंटरव्यू से कोई संबंध नहीं था.’’ ‘‘तुम को देख कर मैं चौंक गई थी. पर मुझे खुशी भी हुई थी. लेकिन मैं चाहती थी कि पहले अपनी शंकाओं का समाधान कर लूं. जैसेजैसे उत्तर मिल रहे थे, मेरी खुशी बढ़ती जा रही थी. बस, मेरी एक ही चिंता थी कि क्या तुम्हारे पापा को पता था कि तुम्हारी मां गर्भवती थीं? इसलिए मैं ने तुम से पूछा था कि इंटरव्यू के बाद कहां जाओगे? क्योंकि मैं तुम्हारी मम्मी से अकेले में मिलना चाहती थी. मैं तुम्हारी मम्मी से मिली भी थी और यह भी पता चल गया कि उस समय तक तुम्हारे पिता को यह बात पता नहीं थी. मुझे एक तरह से संतुष्टि हुई थी. एक और गुनाह से बच गई थी.’’

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...