साहिल आज काफी मसरूफ था. सुबह से उठ कर वह जयपुर जाने की तैयारी में लगा था. उस की अम्मी उस के काम में हाथ बंटा रही थीं और समझा रही थीं, ‘‘बेटे, दूर का मामला है, अपना खयाल रखना और खाना ठीक समय पर खा लिया करना.’’ साहिल अपनी अम्मी की बातें सुन कर मुसकराता और कहता, ‘‘हां अम्मी, मैं अपना पूरा खयाल रखूंगा और खाना भी ठीक समय पर खा लिया करूंगा. वैसे भी अम्मी अब मैं बड़ा हो गया हूं और मुझे अपना खयाल रखना आता है.’’
साहिल को इंटरव्यू देने जयपुर जाना था. उस के दिल में जयपुर घूमने की चाहत थी, इसलिए वह 10-15 दिन जयपुर में रहना चाहता था. सारा सामान पैक कर के साहिल अपनी अम्मी से विदा ले कर चल पड़ा.
अम्मी ने साहिल को ले कर बहुत सारे ख्वाब देखे थे. जब साहिल 8 साल का था, तब उस के अब्बा बब्बन मियां का इंतकाल हो गया था. साहिल की अम्मी पर तो जैसे बिजली गिर गई थी. उन के दिल में जीने की कोई तमन्ना ही नहीं थी, लेकिन साहिल को देख कर वे ऐसा न कर सकीं. अम्मी ने साहिल की अच्छी परवरिश को ही अपना मकसद बना लिया था. इसी वजह से साहिल को कभी अपने अब्बा की कमी महसूस नहीं हुई थी. तभी तो साहिल ने अपनी अम्मी की इच्छाओं को पूरा करने के लिए एमए कर लिया था और अब वह नौकरी के सिलसिले में इंटरव्यू देने जयपुर जा रहा था.
साहिल को विदा कर के उस की अम्मी घर का दरवाजा बंद कर घर के कामों में मसरूफ हो गईं. उधर साहिल भी अपने शहर के बस स्टैंड पर पहुंच गया. जयपुर जाने वाली बस आई, तो साहिल ने बस में चढ़ कर टिकट लिया और एक सीट पर बैठ गया.