राइटर: मो. मुबीन
घर के संस्कार और वातावरण आदमी की प्रकृति को इस हद तक प्रभावित करते हैं कि वह प्रकृति के विपरीत असामान्य आचरण करने लगता है. यहां तक कि उस के परिवार के सदस्यों को भी उस में अधूरेपन का एहसास होने लगता है. क्या सलीम भी इसी का शिकार था?
वह सन्न सी बैठी सलीम को घूर रही थी और सलीम दूसरे पलंग पर आराम से लेटा खर्राटे ले रहा था. कुछ ही क्षणों में उस के विचारों और सपनों की शृंखला कांच के समान टूट कर बिखर गई. कुछ देर पहले जब वह सुहाग की सेज पर बैठी सलीम की राह देख रही थी, उस के हृदय की स्थिति भी अजीब सी थी.
उस के मस्तिष्क में तरहतरह के विचार घूम रहे थे. उन बातों के बारे में सोचसोच कर उस के दिल की धड़कनें बढ़ती जा रही थीं. आने वाले क्षणों की कल्पना से उसे पसीना छूट रहा था. उसी समय दरवाजा एक हलकी सी आवाज के साथ खुला और उस के दिल की धड़कनों की गति और भी तेज हो गई.
वह कुछ और सिकुड़ कर बैठ गई और स्वयं पर नियंत्रण पाने का प्रयत्न करती सोचने लगी कि किस तरह सलीम से बातें करे या उस की बातों का उत्तर दे.
कमरे में मौन छाया रहा. उस का सिर झुका हुआ था. जब उस भयंकर मौन से उस का मन घबरा गया तो उस ने धीरे से नजरें उठा कर चोर नजरों से सलीम की ओर देखा.
वह अपने कपड़े बदल रहा था. कपड़े बदल कर वह सामने वाले पलंग पर बैठ गया.
आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें
डिजिटल
गृहशोभा सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- गृहशोभा मैगजीन का सारा कंटेंट
- 2000+ फूड रेसिपीज
- 6000+ कहानियां
- 2000+ ब्यूटी, फैशन टिप्स
डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन
गृहशोभा सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- गृहशोभा मैगजीन का सारा कंटेंट
- 2000+ फूड रेसिपीज
- 6000+ कहानियां
- 2000+ ब्यूटी, फैशन टिप्स
- 24 प्रिंट मैगजीन