कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

मनाली कभी उन लोगों से नहीं मिली थी इसलिए वहां जाने में हिचकिचा रही थी, मगर उस का संकोच जल्द ही दूर हो गया. आंटी, अंकल बहुत ही मिलनसार थे. उन की इकलौती संतान विशाल बीटैक करने के बाद कुछ दिन पहले ही नौकरी पर लगा था. घर की चकाचौंध देख मनाली आश्चर्यचकित हो गई. बंगले सदृश्य दिखने वाले मकान में सब प्रकार की सुविधाएं थीं. विशाल का कमरा किसी होटल के कमरे से कम नहीं लग रहा था. नक्काशीदार डबलबैड, कमरे में बिछा मोटा गद्देदार कालीन और दीवार पर लगी सुंदर पेंटिंग अपनी कीमत जैसे स्वयं ही बता रहे थे.

मनाली को अगले ही दिन जब विशाल एक रेस्टोरैंट में ले गया गया तो मैन्यू कार्ड में दाम देख मनाली की आंखें फटी रह गईं. विशाल ने कई प्रकार की डिशेज मंगवाई थीं. मनाली को समझते देर न लगी कि विशाल को मनमाना पैसा खर्च करने की छूट मिली हुई है.

खाना खाने के बाद जब वे लौटे तो विशाल के मातापिता दोनों को घुलतेमिलते देख बहुत प्रसन्न हुए. कुछ दिनों से विशाल अकेलेपन को झेल रहा था. उस का अपनी गर्लफ्रैंड से ब्रैकअप हुए 2-3 महीने ही बीते थे.

मनाली विशाल के कमरे में बैठी देर रात तक बातें करती रही. विशाल ने मनाली को सोने की वह चेन दिखाई जो उस ने अपनी गर्लफ्रैंड के लिए बनवाई थी. चेन का पेंडैंट 'एम' लैटर से था।

"उस का नाम मुसकान था," विशाल बताने लगा, "इस से पहले कि मैं मुसकान को चेन गिफ्ट करता मुझे पता लगा कि वह एक और लड़के के चक्कर में पड़ी हुई है. मैं ने बिना देरी किए रिश्ता तोड़ लिया."

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...