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शहर की भीड़भाड़ से दूर कुछ दिन तन्हा प्रकृति के बीच बिताने के ख्याल से मैं हर साल करीब 15 -20 दिनों के लिए मनाली, नैनीताल जैसे किसी हिल स्टेशन पर जाकर ठहरता हूं. मैं पापा के साथ फैमिली बिजनेस संभालता हूं इसलिए कुछ दिन बिजनेस उन के ऊपर छोड़ कर आसानी से निकल पाता हूं.

इस साल भी मार्च महीने की शुरुआत में ही मैं ने मनाली का रुख किया था  मैं यहां जिस रिसॉर्ट में ठहरा हुआ था उस में 40- 50 से ज्यादा कमरे हैं. मगर केवल 4-5 कमरे ही बुक थे. दरअसल ऑफ सीजन होने की वजह से भीड़ ज्यादा नहीं थी. वैसे भी कोरोना फैलने की वजह से लोग अपनेअपने शहरों की तरफ जाने लगे थे. मैं ने सोचा था कि 1 सप्ताह और ठहर कर निकल जाऊंगा मगर इसी दौरान अचानक लॉक डाउन हो गया. दोतीन फैमिली रात में ही निकल गए और यहां केवल में रह गया.

रिसॉर्ट के मालिक ने मुझे बुला कर कहा कि उसे रिसॉर्ट बंद करना पड़ेगा. पास के गांव से केवल एक लड़की आती रहेगी जो सफाई करने, पौधों को पानी देने, और फोन सुनने का काम करेगी. बाकी सब आप को खुद मैनेज करना होगा.

अब रिसॉर्ट में अकेला मैं ही था. हर तरफ सायं सायं करती आवाज मन को उद्वेलित कर रही थी. मैं बाहर लॉन में आ कर टहलने लगा.सामने एक लड़की दिखी जिस के हाथों में झाड़ू था. गोरा दमकता रंग, बंधे हुए लंबे सुनहरे से बाल, बड़ीबड़ी आंखें और होठों पर मुस्कान लिए वह लड़की लौन की सफाई कर रही थी. साथ ही एक मीठा सा पहाड़ी गीत भी गुनगुना रही थी. मैं उस के करीब पहुंचा. मुझे देखते ही वह 'गुड मॉर्निंग सर' कहती हुई सीधी खड़ी हो गई.

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