‘‘हैलोपापा, मेरा कैंपस सलैक्शन हो गया है,’’ ऐश्वर्या ने लगभग चिल्लाते हुए कहा. उस से अपनी खुशी छिपाए नहीं छिप रही थी.
‘‘बधाई हो बेटा,’’ पापा की प्रसन्नता भरी आवाज सुनाई दी, ‘‘किस कंपनी में हुआ है?’’
‘‘रिवोल्यूशन टैक्नोलौजी में. बहुत बड़ी सौफ्टवेयर कंपनी है. इस की कई देशों में शाखाएं हैं,’’ ऐश्वर्या ने खुशी से बताया, ‘‘कालेज में सब से ज्यादा पैकेज मुझे मिला है. ज्यादातर बच्चों को तीन से साढ़े तीन लाख रुपए तक के पैकेज मिले हैं, लेकिन मुझे साढ़े चार लाख रुपए का पैकेज मिला है. लेकिन…’’
‘‘लेकिन क्या?’’
‘‘यह कंपनी 2 साल का बौंड भरवा रही है. समझ में नहीं आ रहा क्या करूं?’’
‘‘दूसरी कंपनियां भी तो कम से कम 1 साल का बौंड भरवाती ही हैं. अगर अच्छी शुरुआत मिल रही है तो 2 साल का बौंड भरने में कोई बुराई नहीं है, क्योंकि 2 साल बाद अगर कंपनी बदलती हो तो तुम्हें इस से ऊपर का जंप मिलेगा जबकि तुम्हारे दूसरे साथियों को मुश्किल से उतना मिल पाएगा जितने से तुम शुरुआत कर रही हो,’’ पापा ने राय दी.
‘‘थैंक्यू पापा, आप ने मेरी उलझन दूर कर दी.’’
ऐश्वर्या लखनऊ के एक इंजीनियरिंग कालेज की छात्रा थी. हर सेमैस्टर में टौप करती थी. सभी उस की प्रतिभा का लोहा मानते थे. सभी को विश्वास था कि सब से अच्छा पैकेज उसी को मिलेगा.
2 दिन बाद जब ऐश्वर्या घर पहुंची तो पापा ने उसे गले से लगा लिया. मम्मी ने उस के ऊपर आशीर्वादों की बौछार करते हुए पूछा, ‘‘तुम्हारी पोस्टिंग कहां होगी?’’
‘‘बैंगलुरु में?’’
घर में जश्न का माहौल था. खुशियों के बीच छुट्टियां कब बीत गईं पता ही नहीं चला. ऐश्वर्या जब नौकरी जौइन करने पहुंची तो कंपनी की भव्यता देख दंग रह गई. बैंगलुरु के आई टी हब में एक मल्टी स्टोरी बिल्डिंग की छठी मंजिल पर कंपनी का शानदार औफिस था.
सुबह 10 बजे कंपनी के सभी कर्मचारी मिनी औडिटोरियम में 15 मिनट तक मैडिटेशन करते उस के बाद अपनेअपने कार्यस्थल पर चले जाते. जूनियर कर्मचारियों के लिए हाल में छोटेछोटे क्यूबिकल्स बने थे, जबकि मैनेजर और ऊपर के अधिकारियों के लिए कैबिनों की व्यवस्था थी. किंतु सभी क्यूबिकल्स और कैबिनों की साजसज्जा एक ही तरह की थी, जिस से कंपनी का ऐश्वर्य झलकता था.
ऐश्वर्या की नियुक्ति प्रोजैक्ट मैनेजर सुशांत की टीम में हुई थी. उस की गिनती कंपनी के प्रमुख अधिकारियों में होती थी. अपनी काबिलीयत के बल पर उस ने बहुत तेजी से तरक्की की थी.
पहले ही दिन उस ने ऐश्वर्या का स्वागत करते हुए कहा, ‘‘ऐश्वर्याजी, मेरी टीम कंपनी की लीड टीम है. कंपनी के सब से महत्त्वपूर्ण प्रोजैक्ट हमारी टीम को ही मिलते हैं. मुझे विश्वास है कि आप के आने से हमारी टीम और मजबूत होगी.’’
‘‘सर, मैं आप की अपेक्षाओं पर खरी उतरने की पूरी कोशिश करूंगी,’’ ऐश्वर्या के चेहरे से भरपूर आत्मविश्वास झलक उठा.
सुशांत ने सच ही कहा था. कंपनी के सब से महत्त्वपूर्ण प्रोजैक्ट उस की टीम को ही
मिलते थे, इसलिए सभी को दूसरों की अपेक्षा मेहनत भी ज्यादा करनी पड़ती थी. देखते ही देखते पहला महीना बीत गया. ऐश्वर्या को ज्यादा काम नहीं दिया गया. इस बीच वह काम को समझतीसीखती रही.
पहली तनख्वाह मिलने पर उस ने पूरे 25 हजार की खरीदारी कर डाली और फिर हवाईजहाज से लखनऊ पहुंच गई.
‘‘मम्मी, यह देखिए बैंगलौरी सिल्क की साड़ी और पशमीना शाल दोनों आप पर बहुत खिलेंगी,’’ ऐश्वर्या ने मम्मी के कंधों पर साड़ी रखते हुए कहा.
साड़ी और शाल वास्तव में बहुत खूबसूरत थी. मम्मी का चेहरा खिल उठा.
‘‘पापा, आप के लिए गरम सूट और घड़ी,’’ कह ऐश्वर्या ने 2 पैकेट पापा की ओर बढाए.
सूट पापा के मनपसंद रंग का था और घड़ी भी बहुत खूबसूरत थी. पापा का चेहरा भी खिल उठा.
‘‘तुम ने कितने की खरीदारी कर डाली?’’ मम्मी ने पूछा.
‘‘ज्यादा नहीं, सिर्फ 25 हजार की,’’ ऐश्वर्या मुसकराई.
सुन मम्मी की आंखें फैल गईं, ‘‘अब पूरे महीने का खर्चा कैसे चलाओगी?’’
‘‘जैसे पहले चलाती थी. पापा जिंदाबाद,’’ ऐश्वर्र्या खिलखिला पड़ी.
‘‘हांहां क्यों नहीं. अभी मेरे रिटायरमैंट में6 महीने बाकी हैं. तब तक तो अपनी लाडली का खर्चा उठा ही सकता हूं,’’ पापा ने भी ठहाका लगाया.
2 दिन बाद ऐश्वर्या बैंगलुरु लौट गई. अगले दिन लंच के बाद उस के सीनियर ने उसे एक टास्क दिया, जिसे पूरा करतेकरते 7 बज गए, लेकिन टास्क पूरा नहीं हुआ. कंपनी के ज्यादातर कर्मचारी चले गए थे, पर ऐश्वर्या अपने काम में जुटी रही. जानती थी कि यह काम आज ही पूरा होना जरूरी है.
‘‘मैडम, आप अभी तक घर नहीं गईं?’’ अपने चैंबर से निकलते सुशांत की नजर उस पर पड़ी.
‘‘सर, एक छोटा सा टास्क था, जो पूरा नहीं हो पाया. लेकिन मैं कर लूंगी.’’
‘‘लाइए मैं देखता हूं क्या है?’’ सुशांत ने कहा.
ऐश्वर्या कंप्यूटर के सामने से हट गई. सुशांत ने चंद पलों तक स्क्रीन पर खुले प्रोग्राम
को देखा, फिर उस की उंगलियां तेजी से कीबोर्ड पर चलने लगीं.
करीब 5 मिनट बाद सुशांत मुसकराया, ‘‘लीजिए आप का टास्क पूरा हो गया.’’
जिस काम को ऐश्वर्या कई घंटों से नहीं कर पा रही थी उसे सुशांत ने 5 मिनट में ही पूरा कर दिया. ऐश्वर्या उस की प्रतिभा की कायल हो गई.
‘‘थैंक्यू सर,’’ ऐश्वर्र्या ने कृतज्ञता प्रकट की.
‘‘इस की जरूरत नहीं,’’ सुशांत हलका सा मुसकराया, ‘‘थैंक्स के बदले क्या आप मेरे साथ 1 कप कौफी पीना चाहेंगी?’’
ऐश्वर्या भी काफी थक गई थी. उसे भी कौफी या चाय की जरूरत महसूस हो रही थी, इसलिए उस ने हामी भर दी.
सुशांत उसे एक महंगे रैस्टोरैंट में ले गया. वहां हाल के साथसाथ टैरेस में भी बैठने की व्यवस्था थी. सुशांत सीधे टैरेस में आ गया. वहां अपेक्षाकृत भीड़ कम थी और शांति भी थी. टैरेस से बाहर के दृश्य बहुत खूबसूरत नजर आ रहे थे. शहर की जगमगाती लाइटें देख कर लग रहा था जैसे सितारे जमीं पर उतर आए हों.
‘‘ऐश्वर्याजी, कंपनी की तरफ से 2 इंजीनियर 1 साल के लिए अमेरिका भेजे जा रहे हैं. आप ने उस के लिए आवेदन क्यों नहीं दिया? कौफी की चुसकियां लेते हुए सुशांत ने पूछा.’’
‘‘सर, मैं बिलकुल नई हूं, इसलिए आवेदन नहीं किया.’’
‘‘बात नए या पुराने की नहीं है. बात प्रतिभा की है और इस मामले में आप किसी से कम नहीं हैं. आप को आवेदन करना चाहिए. 3 लाख प्रति माह के साथसाथ कंपनी की तरफ से बोनस भी मिलेगा. 1 साल बाद जब लौटेंगी तो आप की मार्केट वैल्यू काफी बढ़ चुकी होगी,’’ सुशांत ने समझाया.
‘‘लेकिन सर, मैं बहुत जूनियर हूं. क्या मेरा चयन हो पाएगा?’’
‘‘उस की चिंता छोडि़ए. यह प्रोजैक्ट मेरा है. कौन अमेरिका जाएगा और कौन नहीं, इस का फैसला मुझे ही करना है.’’
ऐश्वर्या सोच में पड़ गई. वह तत्काल कोई निर्णय नहीं ले पा रही थी.
तब सुशांत ने कहा, ‘‘कोई जल्दी नहीं है. आप अच्छी तरह सोच लीजिए. कल शाम हम फिर यहीं मिलेंगे. तब आप अपना फैसला सुना दीजिएगा.’’