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ऐश्वर्या घर लौट आई. ठंडे दिमाग से सोचा तो उसे यह मौका उपयुक्त लगा. पापा 6 महीने बाद रिटायर होने वाले थे. उस का पैकेज तो साढ़े चार लाख रुपए सालाना का था, लेकिन हाथ में केवल 30 हजार ही प्रतिमाह आते थे. इतने में अपना खर्चा चलाना मुश्किल था, घर की मदद करना तो दूर की बात थी.

वह अगले दिन शाम को जब रैस्टोरैंट में पहुंची तो सुशांत टैरेस में उस की प्रतीक्षा कर रहा था. हलकाहलका संगीत बज रहा था. शाम बहुत ही खूबसूरत थी.

ऐश्वर्या ने जब अमेरिका जाने की इच्छा जताई तो सुशांत ने कहा, ‘‘बहुत सही निर्णय लिया है आप ने. वहां से लौटने के बाद आप के कैरियर में चार चांद लग जाएंगे. मैं कोशिश करूंगा कि वहां की हमारी सहयोगी कंपनी आप के रहने की व्यवस्था भी कर दे.’’

यह सुन ऐश्वर्या का चेहरा प्रसन्नता से खिल उठा कि अमेरिका में रहना सब से महंगा है.

अगर उस का इंतजाम हो जाए तो 1 साल में काफी पैसे बचाए जा सकते हैं. अत: उस ने कृतज्ञता भरे स्वर में कहा, ‘‘सर, आप जो मेहरबानी कर रहे हैं, समझ में नहीं आता कि उसे मैं कैसे चुका पाऊंगी.’’

‘‘आप चाहें तो उसे आज ही चुका सकती हैं,’’ सुशांत ने कहा.

‘‘कैसे?’’ ऐश्वर्या ने अपनी बड़ीबड़ी पलकें ऊपर उठाते हुए पूछा.

‘‘देखिए, यह दुनिया गिव ऐंड टेक के फौर्मूले पर चलती है. मांबाप किसी बच्चे को पालतेपोसते हैं, तो बदले में अपेक्षा करते हैं कि बच्चा बुढ़ापे में उन की देखभाल करेगा. एक अध्यापक किसी को शिक्षा देता है, तो बदले में तनख्वाह लेता है. सरकार भी अगर जनता को सुरक्षा और अन्य ढेर सारी सुविधाएं देती है, तो बदले में उस से टैक्स लेती है. इस दुनिया में मुफ्त में कुछ भी नहीं मिलता,’’ सुशांत के चेहरे पर किसी दार्शनिक जैसे भाव उभर आए थे.

ऐश्वर्या की समझ में नहीं आया कि वह कहना क्या चाहता है. अत: उस ने अचकचाते हुए पूछा, ‘‘जी, मुझे क्या करना होगा?’’

‘‘बस कुछ दिनों के लिए मेरी बन जाओ. मैं आप के कैरियर को इतनी ऊंचाइयों पर पहुंचा दूंगा कि लोग देख कर ईर्ष्या करेंगे,’’ कह सुशांत ने सीधे ऐश्वर्या की आंखों में झांका.

ऐश्वर्या को अपने आसपास की चीजें हिलती महसूस हुईं. उस ने हमेशा कालेज में टौप किया लेकिन क्या अब उस की प्रतिभा और काबिलीयत का कोई मोल नहीं? वह बस मांस का एक लोथड़ा है, जिस की कीमत लगाई जा रही है. देह व्यापार का एक सुसंस्कृत  प्रस्ताव उस के सामने था. अपमान से उस की आंखें छलछला आईं.

‘‘ऐश्वर्याजी, कोई जोरजबरदस्ती नहीं. यह एक प्रस्ताव मात्र है. आप मान लेंगी तो ठीक नहीं मानेंगी तो भी ठीक. कंपनी में आप की पोजीशन पर कोई असर नहीं पड़ेगा. आप पहले की ही तरह अपना काम करती रहेंगी,’’ सुशांत ने अपने स्वर में भरपूर चाश्नी घोलते हुए कहा.

‘‘माफ कीजिएगा सर, आप ने मुझे गलत समझा. मैं बिकाऊ नहीं हूं,’’ अपने आंसुओं को रोकते हुए ऐश्वर्या खड़ी हो गई.

‘‘अरे, आप खड़ी क्यों हो गईं? आराम से कौफी तो पी लीजिए.’’

‘‘ऐश्वर्या ने उस की बात का कोई उत्तर नहीं दिया और तेजी से वहां से चली गई. अपने फ्लैट आ कर वह बुरी तरह फफक पड़ी. उस ने सफलता के लिए शौर्टकट अपनाने वाली बहुत सी लड़कियों के किस्से सुन रखे थे, लेकिन उसे भी ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ेगा, ऐसा उस ने कभी सोचा भी न था. अब तो उस के लिए इस कंपनी में काम करना मुश्किल हो जाएगा, क्योंकि सुशांत हर कदम पर उस के लिए समस्याएं खड़ी करेगा. तो क्या उसे यह कंपनी छोड़ देनी चाहिए? लेकिन उस ने तो 2 साल नौकरी करने का बौंड भर रखा है.’’

पूरी रात ऐश्वर्या करवटें बदलती रही. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करे. अगले दिन वह सहमीसहमी सी औफिस पहुंची. उसे पूर्ण विश्वास था कि आज सुशांत किसी न किसी बहाने उसे जलील करेगा, लेकिन उस का व्यवहार तो पहले की ही तरह मृदु और शिष्ट था. ऐसा लग रहा था जैसे कुछ हुआ ही न हो.

1 सप्ताह ऐश्वर्या सहमीसहमी सी रही, फिर सामान्य हो गई. उसे लगा कि शायद सुशांत को अपने किए पर पछतावा होगा. धीरेधीरे महीना बीत गया. कोई खास घटना नहीं हुई.

एक दिन सुशांत ने उसे अपने चैंबर में बुला कर कहा, ‘‘ऐश्वर्या, यह अमेरिका के हमारे एक खास क्लाइंट का प्रोजैक्ट है. इसे 48 घंटे में पूरा करना है. क्या आप इसे कर पाएंगी?’’

‘‘जी, मैं पूरी कोशिश करूंगी.’’

‘‘गुड,’’ सुशांत ने कहा, ये कंपनी के खास क्लाइंट हैं, इसलिए ध्यान रहे कि कोई गड़बड़ न हो.

‘‘ओके सर,’’ कह ऐश्वर्या अपनी सीट पर लौट आई. उस ने उस प्रोजैक्ट को आराम से देखा, तो लगा कि यह तो बहुत आसान है. सुशांत सर बेकार में परेशान हो रहे थे. वह इसे आज ही पूरा कर सकती है.

ऐश्वर्या ने काम शुरू कर दिया लेकिन उस का अंदाजा गलत निकला. वह उस प्रोजैक्ट पर जैसेजैसे आगे बढ़ती गई वैसेवैसे उस की जटिलताएं भी बढ़ती गईं. दोपहर तक वह कोई खास काम नहीं कर पाई. उसे लगने लगा कि 2 दिनों में यह काम पूरा कर पाना संभव नहीं है.

वह लंच के बाद सुशांत से इस के बारे में कुछ पूछने गई, लेकिन वह किसी मीटिंग के सिलसिले में बाहर गया था और अगले दिन ही लौटना था. उस ने दूसरे सीनियर्स से भी बात की, लेकिन किसी ने भी पहले कभी ऐसे प्रोजैक्ट पर काम नहीं किया था.

अगले दिन सुशांत ने औफिस आते ही प्रोजैक्ट की प्रगति देखी तो बुरी तरह भड़क उठा, ‘‘यह क्या? आप ने तो कुछ किया ही नहीं? मैं औफिस में नहीं था, तो आप हाथ पर हाथ रख कर बैठी रहीं.’’

‘‘ऐसा नहीं है सर, इस में कुछ प्रौब्लम आ गई थी, जिस के बारे में कोई कुछ नहीं बता पाया. मैं ने दोपहर बाद क्लाइंट को कई बार फोन भी किया, लेकिन उस ने उठाया नहीं,’’ ऐश्वर्या ने सफाई दी.

‘‘ऐश्वर्या, आप होश में तो हैं,’’ सुशांत चीख सा पड़ा, ‘‘आप पढ़ीलिखी हैं. आप को इतनी तमीज तो होनी चाहिए कि जिस समय आप फोन कर रही थीं उस समय अमेरिका में रात होगी और क्लाइंट सो रहा होगा. खैर मनाइए कि उस की नींद नहीं टूटी वरना आप की नौकरी चली जाती.’’

‘‘सर, तो मैं और क्या करती?’’ अपनी बेबसी पर ऐश्वर्या की आंखें छलछला आईं.

‘‘अपने दिमाग का इस्तेमाल करतीं और काम पूरा करतीं,’’ सुशांत ने बुरी तरह डपटा. फिर प्रोजैक्ट को देख कर कुछ बातें बता उसे उस की सीट पर भेज दिया.

ऐश्वर्या ने लाख कोशिश की, लेकिन प्रोजैक्ट उस दिन पूरा नहीं हो पाया. इस से नाराज हो कर सुशांत ने उसे एक मैमो पकड़ा दिया.

धीरेधीरे सुशांत का असली रंग सामने आने लगा था. वह सब से कठिन काम ऐश्वर्या को सौंपता और उस के पूरा न होने पर डांटने के साथसाथ मैमो भी पकड़ाता रहता.

एक दिन सुशांत ने सुबहसुबह ही ऐश्वर्या को अपने चैंबर में बुला कर कहा, ‘‘3 महीने में आप को 11 मैमो मिल चुके हैं. अगर आप ने अपने काम में सुधार नहीं किया तो कंपनी आप को डिसमिस करने के लिए मजबूर हो जाएगी. इसे आप आखिरी चेतावनी समझिएगा.’’

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