अपमानित ऐश्वर्या अपनी सीट पर लौट आई. अगर वह डिसमिस कर दी गई, तो इस दाग के कारण दूसरी कंपनी में नौकरी मिलना असंभव हो जाएगा. एक ही उपाय शेष था कि वह खुद ही यह नौकरी छोड़ दे. लेकिन यह भी आसान न था. उस ने 2 साल का बौंड भर रखा था. उस से पहले नौकरी छोड़ने पर 5 लाख की क्षतिपूर्ति देनी पड़ेगी. कहां से लाएगी इतने रुपए? पापा तो 3 माह बाद रिटायर होने वाले हैं. अपनी बेबसी पर ऐश्वर्या की आंखें छलछला आईं.
‘‘ऐश्वर्या, क्या बात है, इतना परेशान क्यों हो?’’ तभी स्नेहा ने उस के कंधे पर हाथ रखते हुए पूछा. इन दोनों की अच्छी दोस्ती हो गई थी.
ऐश्वर्या के होंठ कांप कर रह गए. वह चाह कर भी कुछ न कह सकी. उस की आंखों से आंसू टपक पड़े.
‘‘यहां नहीं, चलो कैंटीन में चल कर बात करते हैं,’’ स्नेहा ने उस का हाथ पकड़ कर खींचा तो ऐश्वर्या उठ खड़ी हुई.
फिर स्नेहा उसे अपने औफिस की कैंटीन के बजाय दूसरी मंजिल पर बनी एक दूसरी
कैंटीन में ले गई. सुबह होने के कारण वहां सन्नाटा था. उस के काफी कुरेदने पर ऐश्वर्या ने सुबकते हुए पूरी बात बताई, जिसे सुन स्नेहा का चेहरा तमतमा उठा.
‘‘इस का मतलब वह यह घिनौना खेल तुम्हारे साथ भी खेल रहा है,’’ स्नेहा ने दांत पीसे.
‘‘तुम्हारे साथ भी का मतलब?’’ ऐश्वर्या की आंखों में आशंका के चिह्न उभर आए.
‘‘उस ने मुझे भी अमेरिका जाने का लालच दिया था. मेरे मना करने पर 2 महीने से मुझे भी बातबात पर परेशान कर रहा है,’’ स्नेहा ने रहस्योद्घाटन किया.