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रमलाने दीवार घड़ी में समय देखा. रात के 12 बजे थे. पति मिहिर अभी तक घर नहीं पहुंचा था. कुछ देर पहले उस ने मिहिर को फोन किया तो जवाब मिला कि दिस नंबर इज नौट रीचेबल. मन घबरा गया. मिहिर को इतनी देर कभी नहीं होती थी फिर आज क्यों? कहीं कोई दुर्घटना तो नहीं हो गई? यह नौट रीचेबल क्यों आ रहा है?

रमला के मन में बुरेबुरे खयाल आ रहे थे. सोचने लगी कि यह शहर मेरे लिए बिलकुल नया है. आसपास किसी से परिचय नहीं है. किसे जगाएगी... आधी रात हो गई है. अपने शहर आगरा में पूरी गली में अपनी पहचान वाले थे. वहां तो आधी रात को भी किसी का भी दरवाजा खटका देती थी.

मिहिर पिछले 5 सालों से दिल्ली में रह रहा है. उस के यारदोस्तों की लिस्ट भी लंबी है. औफिस के दोस्तों के साथ अकसर पिक्चर चला जाता, पर देर होने पर फोन अवश्य करता है.

अकसर बौस के साथ औफिस में रुक कर फाइलें निबटाता है तब भी देर हो जाती है.

देखना, आते ही बोलना शुरू हो जाएगा कि बौस के मेन औफिस में कल मीटिंग है. उस के ही पेपर तैयार कर रहा था. बस, देर हो गई. मिहिर बौस के बारे में कई बार बता चुका है. उसे मेहनती और ईमानदार लोगों में खास दिलचस्पी है. नालायक लोगों से नफरत है. वैसे आदमी दिलचस्प है, मेहनती है. लोगों से काम कराना भी आता है, पर पक्का छोकरीबाज है. हर शाम उस के साथ एक लड़की अवश्य होती है. खूब शौपिंग कराता है, गिफ्ट भी खूब देता है. लड़कियां उस के साथ खुश रहती हैं.

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